कांग्रेस पार्टी के फर्जी ‘सुल्‍तान’ ? स्‍वयंभू ‘भोकाल’ टाइट है !

कांग्रेस पार्टी की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है लेकिन, पार्टी के नेता आज भी खुद को सुल्‍तान समझते हैं। वो भी बिना किसी सल्‍तनत का।

New Delhi Aug 08 : बदलाव प्रकृति का नियम है। जो इस बदलाव के साथ चला उसकी किस्‍मत बदल गई। जो नहीं चल पाया वो लंगड़ा घोड़ा बन जाता है। बदलाव का ये नियम सियासी दलों पर भी लागू होता है। कांग्रेस पार्टी पर भी लागू होता है। लेकिन, अफसोस कांग्रेस पार्टी के नेताओं को ये बात समझ ही नहीं आ रही है। पता नहीं क्‍यों वो अपने दरकते हुए किले को नहीं देख पा रहे हैं। अभी भी कल्‍पनाओं के राजमहल में उड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के नेताओं को आज भी लगता है कि वो सुल्‍तान हैं। जिन्‍हें नहीं लगता है वो दूसरे नेता को एहसास करा देते हैं कि जनाब आप सुल्‍तान हैं। आप महान हैं। आपका सामना कोई नहीं कर सकता। हाईकमान के चुनिंदा नेता कोरी कल्‍पना के इस समुंदर में गोते लगाने लगते हैं।

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लेकिन, उन्‍हें पता नहीं ही नहीं कि वो डूबने वाले हैं। कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता है जयराम रमेश। जयराम रमेश के कुछ खास बयान सामने आए हैं। जिसमें उन्‍होंने ही ये बात कही है कि कांग्रेस पार्टी की सल्‍तनत जा चुकी है फिर भी नेता खुद को सुल्‍तान समझ रहे हैं। जयराम रमेश इस बात को मान चुके हैं कि अगर पार्टी संगठन में बदलाव नहीं किया गया, विचार धारा नहीं बदली गई। रणनीति चेंज नहीं की गई तो यकीनन पार्टी का अस्तित्‍व बचा पाना बहुत मुश्किल होगा। जयराम रमेश के ये सीधे सपाट शब्‍द सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समझने चाहिए। उन्‍हें ये समझना चाहिए कि आज देश की सियासत और जनता की सोच बदल गई है। वो जमाने लद गए हैं जब नेता कुछ कह दिया करता था और जनता यकीन मान लेती थी।

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आज बयानों के 36 पोस्‍टमार्टम हो जाते हैं। बयान देने वाला ही कंफ्यूज हो जाता है कि बयान दे कहां से और सुने कहां से। अब फर्जी फिकेशन की एक बानगी जान लीजिए। अभी हाल ही में कांग्रेस पार्टी के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी गुजरात गए हुए थे। बाढ़ पीडि़तों से मिलने के लिए। बाढ़ पीडि़तों ने राहुल गांधी की गाड़ी पर पथराव कर दिया, क्‍योंकि वो उसने नाराज थे। लेकिन, इस हमले को सियासतदानों ने मोल्‍ड कर दिया और कह दिया कि हमला बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने किया। सड़क का ये हंगामा संसद तक पहुंच गया। ये सोच कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं की हो सकती है। लेकिन, जनता ये बात बखूबी जानती है कि जब गुजराज के लोग बाढ़ से बेहाल थे तब कांग्रेस के 44 विधायक बंगलुरु के रिसॉर्ट में मस्‍ती कर रहे थे।

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44 विधायकों की मस्‍ती का गुस्‍सा राहुल गांधी की गाड़ी पर उतरा। लेकिन, नेताओं को लगता है कि वो जनता को जैसा बताएंगे वो वैसा ही मानेगी। इसे ही कहते हैं क‍ि स्‍वयं का भोकाल टाइट करना। कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता जयराम रमेश खुद इस बात को मान रहे हैं कि कांग्रेस के लिए मोदी और अमित शाह की जोड़ी से पार पाना मुश्किल है। वो भी उस सूरत में जब बिना सल्‍तनत के ही पार्टी का हर नेता अपने आप को सुल्‍तान समझ रहा है। कांग्रेस को इस वक्‍त अपने दरकते किले की जर्जर दिवारों को देखने की जरुरत है। ताकि पता चल सके कि एेसा हो क्‍यों रहा है। अगर कांग्रेस पार्टी के हाईकमान ने जयराम रमेश की बातों पर ध्‍यान नहीं दिया तो यकीनन आने वाले वक्‍त में कांग्रेस पर ध्‍यान देने वाला कोई नहीं बचेगा।