‘भ्रष्‍ट’ नवाज शरीफ को सताई पाकिस्‍तान में लोकतंत्र की चिंता !

भ्रष्‍टाचार के आराेपों में घिरे पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अब कुर्सी गंवाने के बाद लोकतंत्र की चिंता सता रही है। उन्‍हें लगता है कि लोकतंत्र खतरे में है।   

New Delhi Aug 14 : पाकिस्‍तान के सबसे भ्रष्‍ट नेता नवाज शरीफ को अब लग रहा है कि उनके देश में लोकतंत्र खतरे में है। कुर्सी गंवाने के बाद शरीफ साहब को संविधान में बदलाव करने की जरुरत महसूस हो रही है। वो अपने समर्थकों से कह चुके हैं कि आप तैयार रहिए जल्‍द ही कुछ बड़ी घोषणा होगी। ये घोषणा क्‍या होगी अब तक इसका खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन, आज लोकतंत्र की दुहाई देने वाले नवाज शरीफ पाकिस्‍तान में किस लोकतंत्र की बात कर रहे हैं ? क्‍या आतंकी संगठनों को खुली छूट देना यहां का लोकतंत्र है ? क्‍या सरकार पर सेना का दबदबा लोकतंत्र है? क्‍या पाकिस्‍तान की सुप्रीम कोर्ट एक भ्रष्‍ट नेता को उसके पद के लिए अमान्‍य करार दे तो ये लोकतंत्र पर हमला है? नहीं साहब ये सिर्फ सुविधा की राजनीति है।

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मियां नवाज शरीफ साहब ‘शरीफ’ तो आप पहले भी ना थे और आज भी नहीं हैं। दरसअल, नवाज इन दिनों पाकिस्‍तान में शक्ति परीक्षण में जुटे हुए हैं। अभी शनिवार को ही उन्‍होंने पाकिस्‍तान के लाहौर में एक रैली की थी। पाकिस्‍तान की सुप्रीम कोर्ट पनामा लीक्‍स मामले में उन्‍हें प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्‍य करार दे चुकी है। जिसके बाद शरीफ बहुत ही शराफत के साथ अपनी बात को जनता के सामने रखना चाहते हैं। शरीफ का कहना है कि उनका असली मुकदमा तो जनता की अदालत में चलेगा। भ्रष्‍टाचारी नवाज को आज भी ये लगता है कि उन्‍हें पाकिस्‍तान की करोड़ों जनता ने चुनकर प्रधानमंत्री बनाया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने उसी करोड़ों की जनता के सामने उन्‍हें रुसवा कर दिया।  

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नवाज को उम्‍मीद है कि वो एक बार फिर से पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री बनेंगे। शायद इसी वजह से उन्‍होंने लोकतंत्र के खतरे में होने का नाटक शुरु कर दिया है। उन्‍होंने पता है कि सुप्रीम कोर्ट का मौजूदा बयान उन्‍हें कभी भी संवैधानिक गद्दी पर नहीं बैठने देगा। लेकिन, अब भी सत्‍ता की कमान परदे के पीछे ही सही लेकिन, है नवाज शरीफ के हाथ में ही। शायद इसी वजह से उन्‍होंने पाकिस्‍तान में लोकतंत्र के नाम पर संविधान में बदलाव का शिगूफा छाेड़ दिया है। ताकि भविष्‍य में उनकी राह आसान हो जाए। इसीलिए नवाज कहते हैं कि अब मैं घर में नहीं बैठूंगा, आवाम को जगाने के लिए घर से बाहर निकलूंगा। मुल्‍क और कौम को बदलना होगा। हालांकि विपक्ष शरीफ की पूरी रणनीति को समझ रहा है।

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पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो कहते हैं कि कुर्सी जाते ही शरीफ़ को लोकतंत्र की याद आ गई। बिलावल का कहना है कि दरअसल, खतरे में पाकिस्‍तान का लोकतंत्र नहीं बल्कि नवाज शरीफ की सियासत है। जब ये लोग सत्‍ता में होते हैं तो सारे लोकतांत्रिक मूल्‍यों को भुला देते हैं। जैसे ही सत्‍ता से बेदखली होती है जनता और लोकतंत्र याद आने लगता है। असली बात को बिलावल ने कही है कि संसद में न्‍यायपालिका और फौज का हस्‍तक्षेप ना हो। लेकिन, हर कोई इस बात से वाकिफ है कि पाकिस्‍तान में फौज की सरकार से ज्‍यादा चलती है। तख्‍तापलट भी इसीलिए होते हैं। खुद नवाज शरीफ भी पाकिस्‍तान में फौज की तख्‍तापलट के सबसे बड़े सबूत हैं। फिर भी बात लोकतंत्र की करते हैं। पता नहीं पाकिस्‍तान का ये सियासी नाटक वहां की आवाम कम समझेगी ?