गोरखपुर त्रासदी का ‘अखिलेश यादव’ कनेक्शन !

गोरखपुर : डॉ. आर. के. मिश्रा की प्राचार्य पद पर नियुक्ति/ पदोन्नति व डॉ. कफ़ील खान की नियुक्ति वर्ष 2015 में आज़म ख़ान की सिफ़ारिश पर अखिलेश यादव ने ही की थी।

New Delhi, Aug 15 : अब यह साफ़ हो गया है कि गोरखपुर में ‘ऑक्सीजन’ की कमी से 48 घंटे में 30 मासूमों की मृत्यु हुई, यह भी सही है कि दुःख की घड़ी में सरकार के किसी भी प्रतिनिधि को बिना जाँच पूर्ण हुए ‘अधिकारियों’ के बहकाबे पर यह नहीं कहना चाहिए था कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई। इन बयानों ने पीड़ित परिवारों का अवसाद को कम नहीं, अपितु और बढ़ा दिया।
साथ ही इस ‘बालसंहार’ के तीन खलनायक- प्राचार्य आर. के. मिश्रा/उनकी पत्नी, डॉ. कफ़ील खान व ऑक्सीजन सप्लाई कर्ता पुष्पा सेल्स के मालिक मनीष भंडारी है, यह भी लगभग स्पष्ट हो चुका है।

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अब जानिए इन तीनों खलनायकों का ‘अखिलेश यादव’ कनेक्शन। डॉ. आर. के. मिश्रा की प्राचार्य पद पर नियुक्ति/ पदोन्नति व डॉ. कफ़ील खान की नियुक्ति वर्ष 2015 में आज़म ख़ान की सिफ़ारिश पर अखिलेश यादव ने ही की थी। बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील खान की पत्नी एक दांतो की डॉक्टर है और चलाती है ‘बच्चों का नर्सिंग होम’। वस्तुतः बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील ही नियम विरुद्ध इस नर्सिंग होम को भी संचालित करता है और इसमें BRD अस्पताल से चोरी गया वेंटिलेटर भी लगा रखा है। कफ़ील खान सरकारी अस्पताल को अपने नर्सिंग होम में मरीज़ पहुँचाने का प्लेटफ़ॉर्म के रूप में इस्तेमाल करता था। डॉक्टर आर. के. मिश्रा प्राचार्य व डॉक्टर कफ़ील खान की दुरभि संधि थी, दोनों मिलकर सभी ख़रीदारी करते थे।

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अब बताता हूँ कि पुष्पा सेल्स के मालिक कौन हैं, उत्तराखंड निवासी मनीष सिंह भंडारी पुत्र श्री चंद्रशेखर सिंह भंडारी, अखिलेश यादव की पत्नी के रिश्तेदार हैं और मज़े की बात है कि यह फ़र्म BRD अस्पताल के साथ-साथ प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में ‘लिक्विड ऑक्सीजन’ अपने एकाधिकार के साथ सप्लाई करती है, जबकि इस फ़र्म की कोई मैन्युफ़ैक्चरिंग सुविधा/फ़ैक्टरी नहीं है। ये एक ट्रेडर/दलाल है जो अन्य मैन्युफ़ैक्चरिंग कम्पनियों से ख़रीद कर लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई करती है। सरकार यदि सीधे ऑक्सीजन बनाने वाली कम्पनी से लिक्विड ऑक्सीजन ले तो काफ़ी सस्ती पड़ेगी, लेकिन ऐसा केवल कमीशन के चक्कर में नहीं किया जाता है। यह भी बता दूं कि पुष्पा सेल्स के जिस लम्बित भुगतान को समय से न देने की बात की जा रही है। यह भुगतान भी पिछले साल ‘अखिलेश यादव’ के कार्यकाल का है।
प्रदेश में सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कालेजों की ख़स्ता हालत के लिए ‘अखिलेश यादव’ व ‘मायावती’ भी बराबर के ज़िम्मेदार हैं। यद्यपि अब इनको ठीक करने के ज़िम्मेदारी से वर्तमान सरकार बच नहीं सकती।

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अखिलेश सरकार में भी प्रत्येक वर्ष अगस्त माह में Encephalitis से 400-500 बच्चों की मृत्यु होती रही है अतः अखिलेश यादव यदि आज बड़ी-बड़ी बातें करे, तो इसे अपने निक्कमेपन को छुपाना व बेशर्मी ही कही जाएगी। CM योगी कर्मशील हैं अतः पूर्व वर्षों के हालत के क्रम में स्वयं BRD मेडिकल कॉलेज दिनांक 9 अगस्त, 2017 को गए थे, लेकिन शासन/प्रशासन के अधिकारियों ने सही बात उनके सामने नहीं रखी कि ऑक्सीजन की कमी है या पैसा चाहिये। मुख्यमंत्री का स्वयं अस्पताल जाकर समीक्षा करना दर्शाता है कि वे Encephalitis से होने वाली सम्भावित बाल मौतों को रोकने के प्रति गम्भीर थे जबकि अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में कभी इस अस्पताल में Encephalitis के बचाव के लिए समीक्षा करने नहीं पहुँचे। इनके पाँच वर्ष के कार्यकल में Encephalitis से लगभग 5000 बच्चों की मौत हुई थी।

जय हिंद-जय भारत !

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)