बिगड़ैल ‘सांड’ बनता जा रहा है चीन ! डोकलाम के बाद लद्दाख में नया मोर्चा
चीन के सामने इस वक्त दो बातें नजर आ रही हैं। या तो वो भारत से बुरी तरह डरा हुआ है। या फिर डोकलाम का बदला वो लद्दाख में निकालना चाह रहा है।
New Delhi Aug 16 : लद्दाख की खूबसूरती देखते बनती है। यहां पर सैर करने के बाद आपको लगेगा कि आप जन्नत में हैं। ये जगह आपको दूसरी ही दुनिया में पहुंचा देती है। लद्दाख की पेंगोंग झील विश्व प्रसिद्ध है। जो भारत और चीन को आपस में जोड़ती है। पेंगोंग हिमालय की चोटियों से निकली वो झील है जिसका करीब 90 किलोमीटर का हिस्सा चीन के कब्जे में है और 45 किलोमीटर का हिस्सा भारत में आता है। समुद्र तल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर बनी इस झील को देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी यहां पर पहुंचते हैं। लेकिन, चीन के बिगड़ैल सांड ने यहां पर भी गंध फैलानी शुरु कर दी है। भारत से होती हुई ये झील तिब्बत पहुंचती है। जिस पर कब्जे को लेकर भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है।
लद्दाख की पेंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी चीनी फौज कई बार घुसपैठ कर चुकी है। 15 अगस्त यानी आजादी के दिन भी यहां पर चीनी फौज की हरकत देखने को मिली थी। जिस वक्त देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से देश और दुनिया को संबोधित कर रहे थे। उस वक्त पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक लद्दाख की पेंगोंग झील के उत्तरी हिस्से में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। फिंगर फोर और फिंगर फाइव प्वाइंट पर घुसपैठ की कोशिश की गई थी। जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। लेकिन, सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर चीन इस तरह की गुस्ताखी दिखाकर क्या साबित करना चाहता है। ये उसकी बौखलाहट या फिर डर है।
दरसअल, इस हिस्से पर 1990 के दशक में ही भारत ने अपना दावा ठोंक दिया था। इसके बाद चीन ने यहां पर सड़क का निर्माण किया और इस इलाके को अक्साई चीन का हिस्सा बता डाला। विवाद उसी वक्त से चला जा रहा है। चीनी फौज आती थी और चली जाती थी। पुरानी सरकारों की ओर से उसे कोई भी कड़ा जवाब नहीं दिया गया। लेकिन, अब डोकलाम की तरह यहां पर भी चीनी फौज को करारा जवाब मिला है। भारतीय सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को उसकी जद तक दौड़ा कर आई है। हम ये बात दावे के साथ कह सकते हैं इस वक्त चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है। डोकलाम में उसकी ना तो दाल गल रही है और ना ही चीन की धमकियों का कोई असर भारत पर पड़ रहा है।
लद्दाख के पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर घुसपैठ की ये कोशिश डोकलाम से ध्यान हटाने की साजिश भी हो सकती है। गौर करने वाली बात ये है कि यहां पर चीनी फौज ने पत्थरबाजी की। हथियारों का कोई भी इस्तेमाल नहीं हुआ। यानी वो भारतीय फौज को उकसाना चाहते थे। चीन चाहता है कि पहली गोली भारत की ओर से चले। घुसपैठ और पथराव की इस घटना को इसी साजिश से जोड़कर देखा जा रहा है। चीन की इस हरकत को भारत के खिलाफ नया मोर्चा खोलने के तौर पर भी देखा जा सकता है। हालांकि भारत की ओर से इंडो-चाइना बार्डर पर आर्मी का अलर्ट लेवल बढ़ा दिया गया है। आर्मी की ऑपरेशनल मूवमेंट बढ़ गई है। चीन को ये बात ध्यान रखनी होगी कि ये साल 2017 का भारत है ना कि 1962 वाला हिंदुस्तान। हिंदुस्तान में मजबूत सरकार है, मजबूत प्रधानमंत्री है। मजबूत सेना है।