महाराष्ट्र में किसान हलकान, 8 महीने में 580 किसानों ने की खुदकुशी !

महाराष्ट्र में एक बार फिर से किसानों की खुदकुशी का सिलसिला शुरू हो गया है। एक रिपोर्ट कहती है कि बीते 8 महीने में 580 किसान खुदकुशी कर चुके है।

New Delhi, Aug 17 : महाराष्ट्र में एक बार फिर से किसानों की खुदकुशी का सिलसिला शुरू हो गया है। सूखे से मराठवाड़ा बेहाल है। इस वजह से किसान खुदकुशी करने पर उतारू हो गए हैं। हाल ही में औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त ने कुछ आंकड़े पेश किए हैं। इन आंकड़ों में हैरान कर देने वाली रिपोर्ट सामने आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक मराठवाड़ा में हर दिन करीब 4 किसान खुदकुशी कर रहे हैं। बीते 8 दिनों के आंकड़े आपको हैरान कर सकते हैं। बीते 8 दिनों में 34 किसान खुदकुशी कर चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बीड में 12,  औरंगाबाद जिले में 5, परभणी में 7, नांदेड में 9, लातूर में 5, जालना में 6,  हिंगोली में एक और उस्मानामबाद में 4 किसान खुदकुशी कर चुके हैं।

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विभागीय आयुक्त ने जो रिपोेर्ट पेश की है, वो जनवरी 2017 से 15 अगस्त 2017 तक के बीच की है। खास बात ये है कि ये सिर्फ मराठवाडा की रिपोर्ट है, जो कहती है कि 8 महीने में 580 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। अधिकारिक तौर पर इन आत्महत्याओं की कोई वजह साफ नहीं हुई है। मराठवाड़ा में इस साल फिर से सूखे के हालात बन रहे हैं। इसे किसान की खुदकुशी की सबसे बड़ी वजह कहा जा रहा है। 48 दिन बीत चुके हैं और मराठवाड़ा में एक बूंद भी नहीं बरसी है। इस वजह से पहली बुआई तो बर्बाद हो गई लेकिन दूसरी बुआई भी बर्बाद हो गई है। इससे किसान के दिल में हताशा छा गई है।

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खास बात ये है कि मराठवाड़ा में सिंचाई की अब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है। जहां देशभर में मानसून अच्छा रहा तो मराठवाड़ा में जुलाई के आखिर तक 355 में से 223 तहसीलों में औसत से 75 फीसदी कम बारिश हुई है। खुदकुशी की एक और वजह ये है कि किसान को अब तक कर्ज माफी का फायदा नहीं मिला है। इस साल की बुआई के लिए कई किसान पहले से कर्ज ले चुके थे। अब उसका डर उन्हें सताने लगा है। अब आपको मराठवाड़ा के कुछ आंकड़े बताते हैं, जिन्हें पढ़कर आप सन्न हो जाएंगे। 2014 में मराठवाड़ा में 551 आत्महत्याएं हुई। इसके बाद 2015 में यहां 1133 किसानों ने आत्महत्या की।

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2016 में यहां 1053 आत्महत्याएं हुई। अकेले मराठवाड़ा की बात करें तो यहां छोटे, बड़े और मंझोले किसान मिलाकर कुल 34 लाख 82 हजार 643 किसान हैं। इनमें से 14 लाख 3 तीन हजार 341 छोटे किसान हैं। इनके पास 2 एकड़ से भी कम जमीन है। इसके अलावा 2 से 5 एकड़ कृषि भूमि वाले मंझोले किसान करीब 13 लाख 32 हजार 559 है। कुल मिलाकर कहें तो भारत सरकार के लिए एक बार फिर से बड़ा प्रश्न चिह्न ये है कि आखिर किस तरह से खुदकुशी कर रहे किसान को सुरक्षा दी जाए। देखना होगा कि अब किसान के लिए भारत सरकार तुरंत किस तरह का एक्शन लेती है ।