चीनः मामला कुछ और ही है – Ved Pratap Vaidik

दोकलाम-विवाद में भारत के अत्यंत संयत रुख के बावजूद चीन का बार-बार इतना बौखलाना आश्चर्यजनक है। अब तो उसने हद ही कर दी है।

New Delhi, Aug 20 : भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सेनापति बिपिन रावत एक सैन्य समारोह के लिए लद्दाख जा रहे हैं। उसके पश्चात जनरल रावत सीमांत की कुछ चैकियों पर जाएंगे। चीन इसी बात से खफा है। वह कह रहा है कि इससे दोनों के बीच तनाव बढ़ेगा। याने चीन चाहता क्या है? भारत के राष्ट्रपति और सेनापति उससे पूछकर ही देश में कहीं आएं-जाएं ? क्या तिब्बत की तरह वह भारत को भी अपना कोई प्रांत समझ बैठा है ?

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उसने दलाई लामा की अरुणाचल-यात्रा का भी विरोध किया था। यह भारत के आंतरिक मामलों में चीन का सरासर हस्तक्षेप है। यदि भारत यह कहे कि तिब्बत और सिंक्यांग में चीनी नेता कदम न रखें, क्योंकि एक बौद्ध और दूसरा इस्लामी इलाका है तो चीन की प्रतिक्रिया क्या होगी? दोकलाम का मामला इतना गंभीर नहीं है कि चीन इस तरह की पैंतरेबाजी करे। मामला कुछ और ही है। इस समय चीन इस बात से बौखलाया हुआ है कि भारत ने दक्षिण चीनी समुद्री विवाद में चीन का नहीं, वियतनाम का समर्थन किया।

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दूसरा, वह सभी एसियान देशों को अपने इस गणतंत्र दिवस पर भारत में बुला रहा है। तीसरा, भारत ने अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर इस क्षेत्र की सामूहिक सुरक्षा की बात कही है। चौथा, भारत, अमेरिका और जापान ने अभी-अभी एक संयुक्त सैन्य-अभ्यास किया है। पांचवा, नई दिल्ली स्थित जापानी राजदूत ने दोकलाम-विवाद पर बहुत ही संयत बयान दिया था लेकिन उसे चीन-विरोधी मानकर चीनी सरकार चिढ़ी हुई है।

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चीन भारत की संयत प्रतिक्रियाओं से इतना हतप्रभ है कि वह अपने अफसरों और विशेषज्ञों से रोज ही भारत के विरुद्ध कुछ न कुछ उटपटांग बयान जारी करवाता रहता है। अब उसने ब्रह्मपुत्र नदी का पानी खुला छोड़ दिया है, जिसकी वजह से बिहार और उप्र के कई गांव डूब गए हैं। ऐसा करके चीन ने 2016 में हुए उस समझौते का उल्लंघन किया है, जिसके अनुसार उसे ब्रह्मपुत्र नदी के जल-स्तर और पानी छोड़ने  की अग्रिम सूचना भारत को देनी चाहिए थी। क्या चीन अपने इन सभी पैंतरों को इसीलिए अपना रहा है कि सितंबर में होनेवाली ब्रिक्स की बैठक में नरेंद्र मोदी न जा सकें ? क्या चीन अब भारत को अपना पड़ौसी समझने की बजाय प्रतिद्वंदी समझने लगा है ?
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग से सभार। ये लेखक के निजी विचार हैं।)