गुजरात कांग्रेस की तरह होने वाला है हरियाणा कांग्रेस का हाल ! बुलंद हुए बागी बोल

कांग्रेस पार्टी में बगावत थमने का नाम ही नहीं ले रही है। पहले गुजरात कांग्रेस में बवाल हुआ अब हरियाणा कांग्रेस बगावत के पथ पर अग्रसर हो चली है।

New Delhi Aug 23 : कांग्रेस पार्टी में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। पार्टी आलाकमान के नाम पर सिर्फ दो ही नेता हैं। एक सोनिया गांधी और दूसरे राहुल गांधी। पूरी पार्टी की सियासत इन्‍हीं दोनों नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती है और इन दोनों ही नेताओं के इर्द-गिर्द कई नेता घूमते हैं। जिनके द्वारा हर खबर का फीडबैक सुविधा, समय और संकोच को ध्‍यान में रखकर दिया जाता है। जिससे पार्टी हाईकमान राज्‍य ईकाईयों से दूर हो रही है और राज्‍य ईकाईयों में हाईकमान के खिलाफ बगावती बोल बुलंद हो रहे हैं। जो हाल गुजरात कांग्रेस का हुआ है वैसा ही हाल अब हरियाणा कांग्रेस का भी होने वाला है। हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी विधायक इन दिनों पार्टी हाईकमान से नाराज चल रहे हैं। जबकि इससे पहले हुड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सभी को चौंका चुके हैं।  

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दरअसल, हरियाणा कांग्रेस के दो विधायकों ने पार्टी हाईकमान के खिलाफ खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। ऐसे में कयास लगाए रहे हैं कि हरियाणा कांग्रेस का हाल भी गुजरात की तरह ही होगा। जैसे शंकर सिंह बाघेला ने पार्टी हाईकमान को खरी-खोटी सुनाकर कांग्रेस को अलविदा कह दिया था वैसा ही कुछ हरियाणा कांग्रेस में भी दिख सकता है। ऐसे में सवाल उठने लाजिमी है कि क्‍या इन नेताओं की नजदीकियां बीजेपी से भी बढ़ रही हैं। नहीं तो ऐसी क्‍या वजह है कि हरियाणा कांग्रेस के विधायकों को हाईकमान से नाराजगी जाहिर करने के लिए पार्टी फोरम की बजाए पब्लिक मंच का इस्‍तेमाल करना पड़ रहा है। दरअसल, हुड्डा का खेमा हरियाणा कांग्रेस के अध्‍यक्ष अशोक तंवर को भी बदलवाना चाहता है।

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हरियाणा के जिन दो नेताओं ने पार्टी हाईकमान के खिलाफ बगावती तेवरों का झंडा बुलंद किया है उसमें कुलदीप शर्मा और करन दलाल हैं। करन दलाल तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रिश्‍तेदार भी हैं। दोनों ही नेता कहते हैं कि पार्टी हाईकमान उनकी बात नहीं सुनता। राज्‍य में मौजूदा नेतृत्व के अधीन कोई भी चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। इससे पहले हरियाणा के ही एक और विधायक जय तीरथ दहिया मोदी और हुड्डा की मुलाकात पर ये बयान दे चुके हैं कि इन दोनों ही नेताओं की मुलाकात राज्‍य में नए राजनैतिक समीकरण को जन्‍म दे सकती है। हालांकि हुड्डा कहते हैं कि मोदी से उनकी मुलाकात महज औपचारिकता थी। इसमें कोई भी राजनैतिक एंगल ना तलाशा जाए। बस संसद भवन में दोनों टकरा गए और मुलाकात हो गई।

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कुलदीप शर्मा भी कहते हैं कि हुड्डा की पीढि़यां कांग्रेस से जुड़ी रही हैं। वो बीजेपी में नहीं जाएंगे। असल मसला यहां पर हुड्डा का बीजेपी में जाने या ना जाने का नहीं है। बल्कि हरियाणा कांग्रेस में बगावत का है। हर कोई इस बात को जानता है कि हरियाणा में लंबे समय से कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी चल रही है। एक खेमा अशोक तंवर का है तो दूसरा खेमा भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है। दोनों ही नेता हरियाणा में वर्चस्‍व की लड़ाई लड़ते रहते हैं। एक नेता जाट समाज से आता है तो दूसरा दलित वर्ग से। एक सोनिया गांधी का खास है तो दूसरा राहुल गांधी का। दोनों में ही टकराव बड़ा और पुराना है। यहां तक की कांग्रेस की बड़ी रैलियों में भी दोनों ही नेताओं के वर्चस्‍व की ये लड़ाई पगडि़यों के रंग तक में दिख चुकी है। वो भी हरियाणा कांग्रेस में बगावत का ही एक इशारा था।