यात्रीगण कृपया ध्यान दें ! यात्रा शुरु करने से पहले ‘प्रभु’ को याद करें, जान की हिफाजत स्वयं करें !
हर रेलवे स्टेशन और ट्रेन के हर डिब्बे में लिखा रहता है कि “यात्रीगण कृपया ध्यान दें” उसके बाद कई तरह की चेतावनियां जारी होती हैं। इसे भी अब बदल देना चाहिए।
New Delhi Aug 23 : रात करीब साढ़े तीन पौने चार बजे की बात रही होगी। गहरी नींद ने मुझे अपने आगोश में ले रखा था। मोबाइल फोन पर लगातार मैसेज टोन आ रहे थे। बीप-बीप और मोबाइल फोन के वाइब्रेशन से नींद में लगातार खलल पड़ रहा था। कुछ क्षण के लिए तो मोबाइल के मैसेज टोन सपने में मंदिर की घंटी में तब्दील हो चुके थे। वाइब्रेशन से लग रहा था कि मानो मंदिर में भूकंप आ रहा है। धरती कांप रही है। लेकिन, कुछ ही पलों में सपनों की दुनिया से बाहर आया और हकीकत की दुनिया में झांका को पता चला कि यूपी के औरेय्या में एक और रेल हादसा हो गया है। मैसेज पढ़ते ही नींद फाख्ता हो गई थी। मुझे ट्रेन में मौजूद यात्रीगण की चिंता सताने लगी थी। मैं अब तक मुजफ्फरनगर के खतौली रेल हादसे की तस्वीरों को भुला नहीं पाया था कि नए हादसे की तस्वीरें सामने थीं।
औरय्या में कैफियत एक्सप्रेस के पटरी से उतरने से 80 यात्रीगण जख्मी हो चुके थे। जबकि पांच दिन पहले हुए हादसे में 23 यात्रीगण की मौत हो चुकी थी। मन में सवाल कौंध रहा था कि आखिर ये सब क्यों और कैसे हो रहा है। सुबह होते-होते इस हादसे को लेकर ढेरों मैसेज आ चुके थे। लेकिन, नजर एक मैसेज पर जाकर टिक गई गई। जिस पर लिखा हुआ था “यात्रीगण कृपया ध्यान दें, भारतीय रेल में सफर करने से पहले एक बार प्रभु को जरुर याद करें।” यकीन मानिए ये मैसेज सरकारी व्यवस्था के मुंह पर तमाचा है। अगर इसी तरह से देश में रेल हादसे होते रहे तो आपको व्हाट्सअप पर आने वाले मैसेज रेलवे स्टेशन पर भी सुनाई और दिखाई पड़ सकते हैं कि यात्रीगण कृपया ध्यान दें, सफर शुरु करने से पहले प्रभु को याद कर लें, अपने माल के साथ अपनी जान की हिफाजत भी खुद ही करें तो बेहतर होगा।
कई लोगों को ये बातें मजाक लग सकती हैं। लेकिन, हमारा भारतीय रेलवे और रेल मंत्री सुरेश प्रभु से निवेदन है कि अगर आप अपने लापरवाह महकमे को नहीं सुधार सकते हैं तो रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में नई चेतावनी जरुर लिखवा दीजिए कि यात्रीगण कृपया ध्यान दें हम आपकी जान की कोई जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। अपने जोखिम पर ट्रेन में सफर करें। कम से कम यात्रीगण बाद में ये तो नहीं कह सकेंगे कि आपने हमें हादसे की कोई चेतावनी ही नहीं जारी की। सुरेश प्रभु जी आपके हर एक यात्रीगण की जान उसके परिवार के लिए बहुत कीमती है, उसे यूं मत मरने दीजिए। अपनों को खोने और बिछड़ने का दर्द जिस दिन आपको पता चलेगा कलेजा निकलकर मुंह में आएगा। चित्कार मारकर रोती विधवा, मां और बच्चे की तकलीफों को कलम से बयां नहीं किया जा सकता।
रेल हादसों में जिन्होंने अपनों को खोया है आपके लिए वो सिर्फ यात्रीगण हो सकते हैं लेकिन, वो किसी के बाप थे, किसी के पति थे, किसी के बेटे थे, किसी की बेटी थी, किसी की पत्नी थी, किसी की मां थी, किसी के कलेजा का टुकडा था। ये यात्रीगण ना तो 19 अगस्त को हुए मुजफ्फरनगर के खतौली का हादसा भूले हैं और ना ही 30 मार्च को यूपी के महोबा में महाकौशल एक्सप्रेस ट्रेन हादसे की तस्वीरें धुंधली हुई हैं। जिसमें पचास लोग मरे थे। आपके इन यात्रीगण को 21 जनवरी 2017 को कुनेरू में जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस के साथ हुआ हादसा भी याद है। इसमें 40 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी सुरेश प्रभु जी। ऐसे कई हादसे हैं जिनकी तस्वीरें आज भी हम सबके जेहन में जिंदा हैं क्योंकि इन हादसों में यात्रीगण या तो मर चुके हैं या फिर अपनों को खो चुके हैं।