ताजमहल को मंदिर और मकबरे में ना बांटो, इसे मोहब्बत की निशानी ही रहने दो
ताजमहल मंदिर है या फिर मकबरा है, इस से क्या फर्क पड़ता है, ये मोहब्बत की निशानी है, वही रहने दो, क्यों इस इमारत की पहचान को लेकर इतनी चर्चा होती है।
New Delhi, Aug 26: दुनिया में भारत की पहचान के लिए जिन प्रतीकों का उपयोग किया जाता है उनमें से एक ताज महल, जिसे पूरी दुनिया में मोहब्बत की निशानी माना जाता है। शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में इसका निर्माण किया था। ताज महल को लेकर कई तरह की कहानियां भी प्रचलित हैं। ये कहानियां लोककथा और किवदंतियों की शक्ल अख्तियार कर चुकी हैं।ताज महल बनवाने के बाद शाहजहां ने मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे। जिस से वो दूसरा ताज महल न बना सकें। इसके अलावा ताज महल वास्तव में एक शिव मंदिर है। जिसे तोड़कर वहां ये मोहब्बत की निशानी बनाई गई थी। बहुत से लोगों को सच्चाई का पता भले न हो लेकिन वो इन कहानियों को सच जरूर मानते हैं।
इसी तरह से कई और कहानियां भी हैं, कुछ लोग तो इन कहानियों में इतने रच बस जाते हैं वो अपनी सच्चाई को मनवाने के लिए कोर्ट तक का रुख कर लेते हैं। आगरा के ही कुछ वकीलों ने कोर्ट में अपील दाखिल करके मांग की थी कि ताज महल एक शिव मंदिर है, इसलिए वहां पर भक्तों को पूजा करने की इजाजत दी जाए। देखिए ये क्या है, मोहब्बत की निशानी के रूप में पूरी दुनिया में मशहूर और दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल में पूजा करने की मांग कर रहे हैं। इस पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जिसे हम सभी ASI के तौर पर जानते हैं उसने मंदिर और मकबरे के झाम को खत्म कर दिया है। एएसआई ने माना है कि ताज महल दरअसल एक मकबरा है।
वकीलों की उसी अर्जी पर सुनवाई के दौरान एएसआई ने माना कि ताज महल एक मकबरा है। एएसआई के मुताबिक ताज महल को संरक्षित रखने से जुड़े 1920 के एक नोटिफिकेशन के आधार पर अदालत में हलफनामा पेश किया गया है। तो अब ये साफ हो गया कि ताज महल एक मकबरा है, इस से पहले 2015 में मोदी सरकार ने भी लोकसभा में ये बात कही थी कि तााज महल की जगह पर मंदिर होने का कोई साक्ष्य नहीं है। ये भी देखिए कि वकीलों ने जो याचिका दाखिल की थी उसमें क्या कहा था। उन्होंने कहा था कि ताज महल की जगह पर शिव मंदिर था। उसे तेजो महालय के नाम से जाना था।
अब सोचने की बात ये है कि अगर ताजमहल की जगह पर मंदिर होता तो क्या होता। क्या वहां पर पूजा करने की इजाजत मिल जाती, ऐसा होना तो नहीं चाहिए, ताज महल पूरी दुनिया में एक अजीमोशान इमारत के रूप मेें मशहूर है, उसे मोहब्बत की सबसे बड़ी निशानी माना जाता है, न जाने कितने ही आशिकों ने अपनी अपनी मुमताज के लिए ताज महल बनाने का ख्वाब देखा होगा। तो भई हम तो यही कहेंगे कि ताज महल को मंदिर और मकबरे से दूर रखें। प्यार करने वालों के लिए ये अपने आप में मंदिर है मस्जिद है, इसे धर्म की दीवारों में जकड़ कर वीरान न करें। धर्म कोई भी हो मोहब्बत तो सबका आधार है। उस आधार को हिलने न दें।