डर के ‘सत्‍संग’ में होती ‘मुनाफे’ की खेती, भगवान बनता ‘शैतानी’ इंसान !

इन दिनों पूरे देश में सत्‍संग के नाम पर डर का धंधा चल रहा है। जिसमें ना जाने कितने बाबाओं की दुकानें चमक रही हैं। जानिए आखिर क्‍यों ?  

New Delhi Aug 27 : मेरी बात तमाम बाबाओं के अंधभक्‍तों को बुरी लग सकती है। लेकिन, मेरा मकसद किसी की भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है। हमारा मकसद सिर्फ आपकी आंखों को खोलना है। उस पर्दे को हटाना है जो भक्ति के नाम पर आप की आंखों पर पड़ा हुआ है। आप जिस सत्‍संग में जाते हैं वहां पर डर का कारोबार चल रहा है। सत्‍संग के नाम पर आपके जेहन में भगवान का डर पैदा किया जा रहा है। आपकी गलतियों को भगवान क्षमा करे इसके लिए आप चढ़ावा चढाते हैं। अपने गुरु पर अपना सब कुछ न्‍यौछावर कर देते हैं। जबकि गुरुओं के भेष में आसाराम बाबू और राम रहीम जैसे लोग बैठे होते हैं। जो सत्‍संग के बाद क्‍या करते हैं अब हर किसी को पता चल रहा है।

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मेरा आपसे सीधा सा एक सवाल है। अगर आप अपने इन गुरुओं को भगवान कहते हो, या ये गुरु अपने आपको स्‍वयंभू भगवान कहते हैं तो क्‍या इन्‍हें पता नहीं चल सकता कि कानून इसके साथ क्‍या करने वाला है ? अगर डर का सत्‍संग बाचने वाले राम रहीम सरीखे बाबा असल में मैसेंजर आफ गॉड हैं तो फिर इन्‍हें भगवान क्‍यों नहीं बचाता ? ये बाबा आप लोगों के कष्‍ट दूर करने के नाम पर तो चढ़ावा ले लेते हैं लेकिन, खुद के कष्‍ट दूर नहीं कर पाते कभी आपने सोचा है क्‍यों ? इसलिए कि ये ढोंगी हैं। ये सिर्फ आपका ब्रेन वॉश करके आपके लूटते हैं। आपको मूर्ख बनाते हैं। असल में देखा जाए तो सत्‍संग के नाम पर लोगों को डराकर लूटने वाले इस तरह के बाबा धर्म के लिए भी खतरनाक हैं।

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आप भगवान को इतना गया गुजरा हुआ क्‍यों मानते हैं ? क्‍यों आपको लगता है कि अगर आप एक दिन अपने गुरु या फिर भगवान की पूजा नहीं करेंगे तो वो आपसे नाराज हो जाएंगे ? आपको दंड देंगे। क्‍यों आपको लगता है कि अगर आप भगवान को चढ़ावे में मोटा माल नहीं चढ़ाएंगे तो उनकी कृपा दृष्टि आप पर नहीं पड़ेगी ? इस तरह की बातें सोच कर और इस तरह के काम करके आप भगवान का अपमान कर रहे हैं। यकीन मानिए अगर आप इस डर के सत्‍संग में मोटा माल चढ़ाने की बजाए किसी जरुरतमंद को एक वक्‍त की रोटी भी खिला देंगे तो आपको कई बार दुआएं मिलेंगी। किसी नंगे बदन गरीब को तन ढकने के लिए पुराना कपड़ा भी देंगे तो भगवान की पूजा करने की जरुरत नहीं पड़ेगी।

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सड़क पर भीख मांगने वाले बच्‍चों को अगर आप अपने बच्‍चे की पुरानी किताब, स्‍कूल बैग या फिर जूते दे देंगे तो वो आपको जीवनभर याद रखेंगे। तब आपको ना तो इन फर्जी बाबाओं से डरने की जरुरत होगी और ना ही इनके कथित प्रकोप से। शांति, संयम और क्षमा का दूसरा नाम भगवान है। ना की लोभ, डर और भय और हवस का। हम ये हरगिज नहीं कह रहे हैं कि हर बाबा फर्जी है। हर बाबा धूर्त और वहसी है। लेकिन, जो तस्‍वीरें सामने आ रही हैं उससे विश्‍वास हर किसी से उठता जा रहा है। ये बात सिर्फ हिंदू धर्म में ही लागू नहीं होती। उन मौलवियों पर भी लागू होती है जो लोगों को ठगते हैं। दूसरे धर्मों में भी डर का सत्‍संग चलता है। लेकिन, उसका रुप और रंग थोड़ा बदला हुआ होता है। क्‍योंकि ये डर ही है जिसने अधर्म के इस कारोबार को अरबों-करोड़ों का पहुंचा दिया है। जिसके जिम्‍मेदार हम और आप हैं।