खुश मत हो रामपाल, तुम बरी हुए हो, जेल से रिहा नहीं, बड़े मुकदमें अभी बाकी हैं
सतलोक आश्रम के बाबा रामपाल के समर्थक आज बहुत खुश होंगे। लेकिन, ये वक्त खुशी मनाने का नहीं बल्कि अपनी-अपनी आंखे खोलने का है।
New Delhi Aug 29 : मंगलवार को लग रहा था कि राम रहीम की तरह रामपाल के गुनाहों का भी फैसला हो जाएगा। लेकिन, अदालत का फैसला उम्मीद के विपरीत आया। अदालत का जो भी फैसला है वो सर्वमान्य है। हिसार की अदालत रामपाल को दो केस में बरी कर चुकी है। लेकिन, कोर्ट के इस आदेश से बाबा के समर्थकों को बहुत उत्साहित होने की जरुरत नहीं है। बेशक सतलोक आश्रम के मुखिया के वकील एपी सिंह इसे सच्चाई की जीत करार दे रहे हों लेकिन, ना तो बाबा अभी जेल से रिहा होने वाले हैं और ना ही उन पर चल रहे हत्या और देशद्रोह के मुकदमे खत्म हुए हैं। बड़े मुकदमों का फैसला आना अभी बाकी है। इस केस में भी राम रहीम की तरह ही जीत सच की ही होगी। ढोंग और पाखंड का नकाब यहां से भी उतरेगा।
जिन दो मामलों में रामपाल को बरी किया गया है उसमें एक केस बरवाला के सतलोक आश्रम में हुए हंगामे के दौरान सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का था। दूसरा केस रास्ता रोककर लोगों को बंधक बनाने का था। हिसार की अदालत ने मुकदमा नंबर 426 और 427 में बाबा को बरी किया। लेकिन, ये बाबा जेल से बाहर आ जाए इसकी कोई वजह नहीं है। रामपाल पर देशद्रोह जैसा संगीन मुकदमा अभी भी चल रहा है। इसके अलावा हत्या का भी एक केस है। ये केस 2006 का है। उस वक्त सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल ने एक धार्मिक किताब पर टिप्पणी कर दी थी। इसके बाद बाबा के समर्थक और दूसरे समुदाय के लोगों में झड़प हो गई थी। इसी झड़प में एक महिला की मौत हुई थी। जिसकी हत्या का केस बाबा के खिलाफ दर्ज है।
इस केस में बाबा की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। रामपाल, राम रहीम और आसाराम जैसे कथित संत खुद को हमेशा से कानून के ऊपर समझते हैं। ये गलत फहमी ही उन्हें ले डूबती है। रामपाल भी इसी गलतफहमी को पाले बैठे हुए थे। साल 2014 की बात रही होगी। अदालत बाबा को कोर्ट में हाजिर होने के लिए बार-बार समन भेज रही थी। लेकिन, बाबा कानून को कुछ समझ ही नहीं रहे थे। जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी के आदेश हुए थे। उस वक्त पुलिस बाबा को उसके बरवाला वाले आश्रम से गिरफ्तार करना चाहती थी। लेकिन, उसने महिलाओं और बच्चों को ढाल बनाकर आश्रम में खड़ा कर दिया। लोगों को भड़काकर और बहकाकर सरकार के खिलाफ ही जंग छेड़ दी थी। आश्रम के अंदर और बाहर ये संघर्ष कई दिनों तक चला था।
छापेमारी में आश्रम से आपत्तिजनक सामान बरामद हुए थे। गर्भपात की किट मिली थी। अब जरा सोचिए ज्ञान बांचने वाले इस आश्रम में भला कंडोम और गर्भपात की किट का क्या काम था। सतलोक आश्रम में ज्ञान की कौन सी पाठशाला चलती होगी ये सारा सामान मिलने के बाद बताने की जरुरत नहीं है। बाबा की संघर्षमयी गिरफ्तारी में भी कई लोगों की जान पर बन आई थी। कई जख्मी हुए थे। अभी उनका उन सब का हिसाब किताब बाकी है। इसीलिए तो हम कह रहे हैं कि बाबा और उसके अभी भी बचे-खुचे अंध भक्तों को बहुत ज्यादा खुशफहमी में जीने की जरुरत नहीं है। असली मुकदमें अभी बाकी हैं। सच का सामना अभी बाकी है। जीत हर हाल में इस केस में भी सत्य की होगी।