कौन है मुंबई का गुनाहगार, बारिश या नकारा BMC ?
मुंबई में इस वक्त त्राहिमाम मचा हुआ है। पूरी की पूरी मायानगरी पानी में समाती हुई नजर आ रही है। BMC को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने क्या किया ?
New Delhi Aug 30 : मायानगरी पानी में डूब चुकी है। मुंबई में हर तरफ त्राहिमाम है। जिधर नजर आती है वहां सिर्फ पानी ही पानी नजर आता है। समुद्र की लहरें भी ऊफान पर हैं। तीन मीटर से ज्यादा की लहरों के साथ समुद्र का पानी भी शहर में दाखिल हो रहा है। पानी और बारिश ने सरकार के दावों और व्यवस्थाओं को छलनी कर दिया है। मंगलवार को मुंबई लोकल का हाल ऐसा था कि मानो पटरी पर ट्रेन नहीं स्टीमर चल रहा हो। ट्रेन की चाल से पटरी पर समुद्री लहरें उत्पन्न हो रही थीं। बाइक और कार तो छोडि़ए कई इलाकों में पूरी की पूरी बस पानी में समाती हुई नजर आ रही थीं। ऐसे में ये सवाल जरुर पूछा जाना चाहिए कि मुंबई का गुनाहगार कौन है ? वो बारिश जो आसमान से अपना प्रकोप दिखा रही थी या फिर BMC का वो नकारापन जो पानी के साथ बहता हुआ नजर आ रहा था।
मुंबई के हालात ऐसे बिगड़े की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात कर हालात का जायजा लेना पड़ा। अगले दो दिनों के लिए 16 ट्रेनों को कैसिंल कर दिया गया है। देवेंद्र फडणवीस 24 घंटे दौड़ने वाली मुंबई से अपील कर रहे हैं कि लोग अपने कदमों को घरों में ही समेट लें। एहतियातन ये अपील जरुरी भी है। लेकिन, देवेंद्र फडणवीस के पास क्या इस बात का जवाब है कि आखिर BMC ने इस तरह के हालात से निपटने के लिए क्या कदम उठाए थे। जबकि पूरी मुंबई इस बात से वाकिफ है कि हर हाल बारिश में यहां के लोगों को पानी से जूझना पड़ता है। सड़कें तालाब बन जाती हैं। ज्यादा बारिश हो जाए तो समंदर बनने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता है। मंगलवार को भी यही सब हुआ।
मुंबई में नौ घंटे के भीतर करीब 12 इंच तक बारिश हो गई। छह लोगों की मौत भी हो गई। जो हाल हार्बर लाइन और सेंट्रल लाइन का था कमोवेश वही हाल एयरपोर्ट पर भी दिख रहा था। हर जगह सिर्फ पानी ही पानी था। मौसम विभाग कह रहा है कि अभी और बारिश होगी। लेकिन, BMC ये नहीं कर रही है कि हम इससे निपटने के लिए तैयार हैं ? BMC देश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली नगर पालिका है। मुंबईकर उससे बहुत कुछ नहीं चाहते हैं। सिर्फ इतना चाहते हैं कि वो अपने काम को जिम्मेदारी के साथ निभाएं। ईमानदारी से नदी-नालों की सफाई हो। ताकि बारिश का पानी आसानी से निकलता रहा। नाले जाम ना हों। लेकिन, अफसोस मुंबईकर की ये ख्वाहिश सालों से अधूरी ही है। कितने और साल अधूरी रहेगी, भगवान जाने।
मुंबई का डिब्बा गोल हो गया है। कहते हैं कि मुंबई में चाहे जो हो जाए लेकिन, डिब्बावाले अपने वक्त पर ही अपने गतंव्य पर पहुंचते हैं। लेकिन, आज डिब्बों का कलेक्शन बंद है। पानी में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए हर कोई जी जान से जुटा हुआ है। पूरी मुंबई एक नजर आ रही है। लेकिन, BMC इस वक्त उस अछूत छोर पर खड़ी हुई है जहां कोई देखना भी नहीं चाहता है। मंगलवार को मुंबई 2005 बनने से बच गई। ऐसा नहीं है इस बारिश में BMC ने कुछ किया ही नहीं। उसने भी बहुत कुछ किया। लेकिन, अगर तैयारियां पहले से की जाती, तो शायद ऐसे हालात ना बनते। वो तो शुक्र है सोशल मीडिया का जो पानी में लोगों तक मदद पहुंचा रहा था। आपातकालीन नंबर सर्कुलेट किए जा रहे थे। कोई ये नहीं कह रहा है कि देश का कोई भी सरकारी संस्थान प्राकृतिक आपदा को चुनौती दे सकता है। लेकिन, आपदाओं से निपटने की तैयारी तो कर सकते हैं ना। जिम्मेदार की जिम्मेदारी तो तय हो सकती है ना ? बस इतना ही चाहिए हुजूर।