बदले-बदले से तेवर मेरी सरकार के, और एक नाकामी भरी ‘झल्लाहट’ !

सीएम योगी ने कहा, ‘मुझे लगता है कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें, सरकार उनका पालन पोषण करे।’

New Delhi, Aug 31 : लो कल्लो बात, अब ‘ग़रीब’ की ज़िम्मेदारी कौन ले ?
गोरखपुर BRD हॉस्पिटल में फिर पिछले 48 घंटे में 42 बच्चों की मौत और उठते हुए सवाल, कंट्रोल नहीं हो रहा मौत का सितम, यूपी गर्वनमेंट बौखलाहट में, किया जाए तो क्या किया जाए। CM योगी ने बच्चों के माता-पिता व मीडिया को ही लताड़ा पिला दी ! सीएम योगी ने कहा, ‘मुझे लगता है कहीं ऐसा ना हो कि लोग अपने बच्चों के दो साल के होते ही सरकार के भरोसे छोड़ दें, सरकार उनका पालन पोषण करे।’

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उन्होंने फिर कहा, ‘मीडिया कहती है कि फलानी जगह कूड़ा पड़ा है। हमलोग मानते हैं कि हमारी जिम्मेदारी है। लगता है हम सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए हैं।’ यदि उत्तर प्रदेश में PHC स्तर पर चिकित्सा की समुचित व्यवस्था होती तो लोगों की अपने मरणासन बच्चों को गोरखपुर क्यों लाना पड़ता, वही इलाज न हो जाता। याद रहे कि चौपट व्यवस्था को ठीक न कर ‘झल्लाहट’ में जनता को दोष देना, ज़िम्मेदारी से बचना कहलाएगा। लोगों ने पूर्व सरकारों की निकम्मी व्यवस्था से तंग आकर वर्तमान सरकार को बड़े अरमानों से चुना है, अब ये सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकती। यदि लोगों की ग़रीबी विवशता न होती तो वे सरकार का मुँह नहीं देखते, स्वयं अपने ख़र्चे से ही बच्चों का इलाज करा लेते।

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उत्तर प्रदेश में आज राजनीतिक नेतृत्व अपना पल्ला झाड़ने के फ़िराक़ में लगता है, तभी तो स्वास्थ्य मंत्री भी पहले ऊलज़लुल बातें कर चुके हैं कि ‘अगस्त में बच्चे मरते ही हैं’। gorakhpurअब लोगों को यह उत्तर रास नहीं आ रहा कि पूर्व सरकार की ख़राब व्यवस्था को ठीक करने में समय लगेगा। अब वे मौतों से राहत चाहते हैं।

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याद रहे कि सरकार की नाकामी का पहला संकेत झल्लाहट ही होता है जिसे लाचारी में बदलने में देर नहीं लगेगी, फिर जनमानस कहां जाएगा ? gkp_hospital_tregedyचुनाव से पहले ‘आप’ जनता से कहते थे कि हम आपकी पूरी ज़िम्मेदारी लेंगे और आज जब कुर्सी मिल गयी तो उसी को दोष देते हो ….वाह भई वाह !

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह से फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)