दाऊद इब्राहिम के बिना 1993 मुंबई बम ब्‍लास्‍ट का इंसाफ अधूरा है

1993 मुंबई बम ब्‍लास्‍ट केस में विशेष टाडा अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। लेकिन, 24 साल पुराने इस केस में दाऊद के बिना इंसाफ अधूरा है।

New Delhi Sep 07 : 12 मार्च 1993 का वो काला दिन 24 साल बाद भी हजारों लाखों लोगों को याद है। खासतौर पर मुंबई के लोगों की नजरों के सामने हुए दहशत के उस मंजर को याद कर आज भी लोगों की रुहें कांप जाती हैं। 1993 मुंबई बम ब्‍लास्‍ट केस में विशेष टाडा अदालत अपना फैसला सुना चुकी है। अदालत अबू सलेम को इस केस में सूली पर लटकाना चाहती थी। लेकिन, कानून के हाथ भी कानून से ही बंधे थे। पुर्तगाल से प्रत्‍यर्पण संधि के चलते अबू सलेम फांसी से बच गया। नहीं तो उसका भी हाल याकूब मेमन की तरह ही होता। लेकिन, अब वो ताउम्र जेल में ही सड़ेगा। 1993 मुंबई बम ब्‍लास्‍ट के पीडि़तों को थोड़ी राहत जरुर मिली होगी। लेकिन, इस केस में इंसाफ उस दिन पूरा माना जाएगा जब दाऊद इब्राहिम को भारतीय जेल में सूली पर लटकाया जाएगा।

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दाऊद इब्राहिम के बिना 1993 मुंबई बम ब्‍लास्‍ट का इंसाफ अधूरा है। गुरुवार को मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने जब इस केस में अबू सलेम और करीमउल्ला शेख को उम्र कैद की सजा सुनाई तो थोड़ी राहत जरुर मिली। दोनों पर दो-दो लाख का जुर्माना भी लगा। 16 जून को टाडा कोर्ट ने अबू सलेम, मुस्तफा दौसा और उसके भाई मोहम्मद दौसा के अलावा फिरोज अब्दुल राशिद खान, ताहिर मर्चेंट, रियाज सिद्दीकी और करीमउल्ला शेख को दोषी करार दिया था। मुस्‍तफा दौसा मर चुका है। 28 जून को उसे हार्टअटैक पड़ा था। जिसमें उसकी जान चली गई थी। बाकी दोषियों में अबू सलेम और करीमउल्‍ला शेख को उम्रकैद मिली। रियाज सिद्दीकी 10 साल जेल में रहेगा। जबकि ताहिर मर्चेंट और फिरोज अब्दुल राशिद खान को सूली पर लटकाया जाएगा। 1993 मुंबई बम ब्‍लास्‍ट केस में कुल 12 जगहों पर धमाके हुए थे। जिसमें 257 लोगों की जान गई थी।

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इन 257 मौतों में दोषियों की सजा कम नजर आती है। उस पर जब दाऊद इब्राहिम कठघरे में नहीं दिखता है तो यकीनन खून और भी जलता है। इस केस में 129 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की जा चुकी है। सौ लोग दोषी पाए जा चुके हैं। लेकिन, 1993 मुंबई बम ब्‍लास्‍ट का मास्‍टर माइंड दाऊद इब्राहिम, टाइगर मेमन समेत 27 आरोपी फरार हैं। अबू सलेम ने इस केस में अपने मन से कुछ नहीं किया था। उसने जो भी किया था। वो दाऊद इब्राहिम के ही कहने पर किया था। सलेम जनवरी 1993 में गुजरात के भरुच गया था। उसके साथ में दाऊद का एक और गुर्गा भी था। सलूम को भरुच से हथियार, एक्सप्लोसिव्स और गोला-बारूद लाने थे। सलेम को यहां पर नौ एके-56, 100 हैंड ग्रेनेड और गोलियां दी गईं थीं।

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जिन वैन में हथियार छिपाए गए थे वो वैन संजय दत्‍त के घर गई थी। कुछ हथियार संजय दत्‍त के घर पर छोड़ा गया था। दाऊइ इब्राहिम के इशारे ही पर ही करीमउल्‍ला शेख, मुस्तफा दोसा, ताहिर मर्चेंट, रियाज सिद्दीकी और फिरोज अब्दुल राशिद खान ने ना सिर्फ आरडीएक्‍स जुटाया बल्कि पाकिस्‍तान से विस्‍फोटक तैयार करने की ट्रेनिंग खुद भी ली और दूसरों को भी दिलाई। धमाकों से पहले दाऊद इब्राहिम ने 15 बैठकें की। इसके बाद 1993 मुंबई बम ब्‍लास्‍ट को अंजाम तक पहुंचाया गया। जिससे मुंबई की सड़कें खून से लाल हो गई थीं। इस हमले के बाद से दाऊद इब्राहिम फरार है। वो पाकिस्‍तान में इत्मिनान से बैठा हुआ है। लेकिन, कब तक वो खैर मनाएगा। आज नहीं तो कल उसे मुंबई वालों को अपने जुर्म का हिसाब देना ही होगा। बिना दाऊद इब्राहिम के सूली पर लटके मुंबई बम धमाकों का इंसाफ अधूरा है।