पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी, मेजर माइक टैंगो की जुबानी
पिछले साल इंडियन आर्मी के पैरा कमांडोज ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पढि़ए पूरी कहानी मेजर की जुबानी।
New Delhi Sep 11 : पिछले साल पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों के लांचिंग पैड को नेस्तनाबूत कर दिया था। कई आतंकियों को उन्हीं की ठिकानों में घुसकर ढेर कर दिया था। हकीकत की ये कहानी जितनी रोमांचक है उतनी ही खतरनाक है। सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल मेजर माइक टैंगो ने इसकी पूरी कहानी बयां की है। सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी, मेजर माइक टैंगों की जुबानी सुनकर उन लोगों के मुंह पर भी ताला लग जाएगा जो सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े कर इसके सबूत मांग रहे थे। जहां देश की सरहद के पार भारतीय सेना के जवान अपनी जान हथेली पर लेकर आतंकियों और पाक फौज का मुकाबला कर रहे थे। वहीं देश के भीतर कुछ सियासतदान इस पर राजनैतिक रोटियां सेंक रहे थे। मेजर माइक टैंगो ने ऐसे लोगों के मुंह पर तमाचा जड़ा है। सर्जिकल स्ट्राइक की जो बातें सामने आईं हैं वो रोंगटे खड़े करने वाली हैं।
पाकिस्तान के आतंकियों के खिलाफ हुई भारत की इस पहली सर्जिकल स्ट्राइक पर एक किताब लिखी गई है। जिसका शीर्षक ‘इंडियाज मोस्ट फीयरलेस : ट्रू स्टोरीज ऑफ मॉडर्न मिलिटरी हीरोज’ है। इस किताब में सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व करने वाले अफसर को मेजर माइक टैंगो के नाम से संबोधित किया गया है। कहानी का सार कुछ इस तरह है। 19 सितंबर को पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन हमलावरों ने कश्मीर के उरी सेक्टर में सेना के बेसकैंप पर हमला कर दिया था। इस आतंकी हमले में आर्मी के 19 जवान शहीद हो गए थे। इसी के बाद मोदी सरकार ने फैसला कर लिया था कि पाकिस्तान और वहां के आतंकी संगठनों को सबक सिखाना है। भारतीय सेना की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी की गई। खुफिया नेटवर्क सक्रिय कर दिया। तय किया गया कि 28/29 की रात इंडियन आर्मी के पैरा कमांडोज पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों के बेसकैंप पर हमला बोलेंगे।
इंडियन आर्मी की ओर सर्जिकल स्ट्राइक के लिए उस दो यूनिट के कमांडोज का चयन किया गया जिन्होंने उरी में आतंकी हमला का नुकसान झेला था। इस यूनिट में शामिल कमांडोज को दुश्मन की जमीन की कोई खास जानकारी नहीं थी। फिर भी इन लोगों का चयन किया गया। इस टीम का नेतृत्व मेजर माइक टैंगो कर रहे थे। टीम में शामिल कमांडोज का चयन खुद मेजर माइक टैंगो ने ही किया था। उनके सामने अपने 19 जवानों का बदला था और दुश्मन की जमीन से सुरक्षित वापसी की चुनौती थी। मेजर टैंगो को इस बात का डर था कि हम दुश्मन की जमीन पर अपने जवानों को खो सकते हैं। लेकिन, हर कीमत पर इस ऑपरेशन को पूरा करना ही था। दुश्मन को सबक सिखाना ही था। मेजर टैंगो किताब में लिखते हैं कि वास्तविक हमले से कमांडोज नहीं घबराए थे। लेकिन, सबसे ज्यादा मुश्किल वापसी की थी।
लाइन आफ कंट्रोल पर चढ़ाई वाले दुर्गम रास्ते को पार करना कमांडोज के लिए बड़ी चुनौती थी। कमांडो कार्रवाई के बाद पाक सेना ने अपने ऑटोमैटिक वैमन्स के बारुदी कपाट खोल दिए थे। भारतीय कमांडो पाक फौज के निशाने पर थे। भारतीय कमांडो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की ओर से संचालित आतंकियों के चार लांचिंग पैड को नेस्तनाबूत कर चुके थे। इन लांचिंग पैड्स को पाक आर्मी का भी संरक्षण हासिल था। मेजर माइक टैंगो ने अपनी किताब में बताया कि सर्जिकल स्ट्राइक के लिए उन्होंने पाकिस्तान में चार लोगों से संपर्क साधा था। इसमें दो पाक अधिकृत कश्मीर के नागरिक थे। जबकि दो जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी थे। ये दोनों ही आतंकी कुछ साल से भारत के लिए जासूसी कर रहे थे। दोनों ही गुप्तचर भारतीय एजेंसियों के संपर्क में थे। उस रात भी ये लोग कमांडोज के संपर्क में थे। कमांडोज ने अपने टॉरगेट की पुष्टि चारों ही जासूसों से अलग-अलग की। लांचिंग पैड पर हमले के लिए सैटेलाइट से भी सूचनाएं जुटाईं जा रही थीं।
मेजर माइक टैंगों की टीम सटीक सूचना के आधार पर पाक अधिकृत कश्मीर के काफी अंदर दाखिल हो चुकी थी। जबकि दूसरी टीम आधे किलोमीटर की दूरी पर दूसरे टॉरगेट की ओर थी। आतंकियों के लांचिंग पैड पाकिस्तानी पोस्ट के बेहद करीब थे। ऐसे में जान का खतरा बहुत था। एक घंटे के भीतर ही पूरे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचा दिया गया। आतंकियों की लाशें बिछा दी गई। कमांडोज ने अपने चारों टॉरगेट पर कुल चालीस आतंकियों को मार गिराया था। जिसमें पाक आर्मी के दो जवान भी शामिल थी। इसके बाद आपस में मास्क्ड कम्युनिकेशन डिवाइस से जुड़े कमांडोज की दोनों टीमें एक जगह पर इकट्ठा हुईं। फौरन ही कमांडोज की गिनती की गई। टीम के सभी सदस्य मौजूद थे। सुरक्षित थे। लेकिन, अब सभी को वापस भारत की ओर लौटना था। कमांडोज की तीसरी टीम एलओसी के पास ही मौजूद थी। ये बैकअप टीम थी। लेकिन, जिस वक्त कमांडोज भारत की सीमा की ओर बढ़ रहे थे पाकिस्तानी गोलियां उनके कान को छूती हुईं गुजर रही थीं। ये भारतीय सेना के जवानों के अध्म्य साहस की वो सच्ची कहानी है जिसे मेजर माइक टैंगो ने सुनाया है।