आज UNSC में होगा नॉर्थ कोरिया का फैसला, नजरें चीन और रूस पर

हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा प‍रिषद में नॉर्थ कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध को लेकर वोटिंग होनी है। सभी की नजरें चीन और रूस पर हैं।

New Delhi Sep 11 : नॉर्थ कोरिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। आलम ये है कि नॉर्थ कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन अब दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है। तमाम अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंधों के बाद भी वो जब चाहता है परमाणु परिक्षण करता है। तीन सितंबर को तो उसने हाइड्रोजन बम का परिक्षण कर पूरी दुनिया में खलबली ही मचा दी थी। नॉर्थ कोरिया का ये हाइड्रोजन बम कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि परिक्षण के वक्‍त भूकंप आ गया था। तानाशाह का ये बम जापान के हिरोशिमा-नागासाकी में गिराए गए परमाणु बम से कहीं ज्‍यादा शक्तिशाली है। लेकिन, अब नॉर्थ कोरिया के खिलाफ सभी देश एकजुट हो गए हैं। बस चीन का रवैया ढुलमुल बना हुआ है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ये पता चल जाएगा कि चीन किसके साथ है आतंक के साथ या फिर दुनिया में शांति के लिए प्रतिबद्ध देशों के साथ।

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हाड्रोजन बम के परिक्षण के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से नॉर्थ कोरिया पर आठवीं बार आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की तैयारी है। 11 सितंबर यानी सोमवार को उत्‍तर कोरिया पर प्रस्‍तावित कठोरतम प्रतिबंधों पर मतदान होना है। संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में होने वाली इस वोटिंग पर पूरी द‍ुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। खासतौर पर चीन और रूस पर। दरअसल, चीन नॉर्थ कोरिया का सबसे बड़ा बाजार है। दूसरे नंबर पर रूस है। अगर ये दोनों देश उत्‍तर कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध के लिए होने वाली वोटिंग में इसका विरोध करते हैं तो समझ लीजिए कि उत्‍तर कोरिया को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बेशक वोटिंग आर्थिक प्रतिबंध के पक्ष में ही क्‍यों ना हो। जब तक चीन नॉर्थ कोरिया पर लगाम नहीं लगाता उसकी नकेल कसी जानी मुश्किल है।

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दूसरी ओर उत्‍तर कोरिया की सेहत पर अंतरराष्‍ट्रीय दवाब का कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है। अभी शनिवार को ही उत्‍तर कोरिया ने अपना 69 वां स्‍थापना दिवस मनाया था। जिसमें यहां के तानाशाह ने अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंधों को ठेंगा दिखाते हुए अपने परमाणु वैज्ञानिकों से ज्‍यादा से ज्‍यादा परमाणु हथियार बनाने की अपील की। यानी तानाशाह को ना तो अमेरिका की चिंता है और ना ही किसी दूसरे देश की। हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है जब नॉर्थ काेरिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की तैयारी चल रही हो। इससे पहले भी जब उसने चार जुलाई और 28 जुलाई को बैलेस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया था तब भी संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से उस पर प्रतिबंध लगाया गया था। उस वक्‍त भी इस प्रतिबंध की पहल अमेरिका ने ही की थी।

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कहा तो यहां तक जा रहा है कि नॉर्थ कोरिया को चीन का पूरा समर्थन हासिल है। हालांकि चीन अपनी दोगली नीति को अपनाते हुए कई बार नॉर्थ कोरिया के खिलाफ अमेरिका के साथ भी खड़ा हो जाता है। लेकिन, परदे के पीछे की कहानी कुछ और ही है। नॉर्थ कोरिया का करीब नब्‍बे फीसदी व्‍यापार चीन के साथ होता है। चीन इसीलिए ढुलमुल रवैया अख्तियार करता है। लेकिन, अब नॉर्थ कोरिया पर फिर से नए प्रतिबंध लगाए जाने की तैयारी की जा रही है। इसका फैसला सोमवार को हो जाएगा। नए प्रतिबंधों में उसकी तेल सप्‍लाई रोके जाने की बात है। किम जोंग उन की संपत्ति जब्‍त करने का प्रस्‍ताव है। टेक्‍सटाइल निर्यात पर रोक लगाने कका प्रस्‍ताव है। लेकिन, सभी की नजरें चीन और रुस पर ही टिकी हुईं हैं।