कश्मीर में राजनाथ सिंह की पहल : 7 खून तो नहीं लेकिन, पहली पत्थरबाजी जरुर माफ होगी
गृहमंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों कश्मीर के दौरे पर हैं। केंद्र सरकार की ओर से लगातार इस तरह की कोशिशें की जा रही है कि घाटी में शांति स्थापित हो।
New Delhi Sep 12 : केंद्र की मोदी सरकार कश्मीर के लोगों का दिल जीतने की पूरी कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक चाहते हैं कि घाटी में शांति स्थापित हो और यहां के भटके हुए युवा सही रास्ते पर आएं। सरकार और सेना ने इस दिशा में काम करना भी शुरु कर दिया है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सिक्योरिटी फोर्सेज को निर्देश दिया है कि वो कश्मीर में किसी युवा की पहली पत्थरबाजी की घटना को माफ कर दें। ऐसे युवाओं को जेल भेजने की बजाए पुनर्वास केंद्र भेजना चाहिए। कश्मीर में आर्मी और सुरक्षाबलों के जवानों ने ये काम शुरु भी कर दिया है। इसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में चल रहे पत्थरबाजों के मामलों को रिव्यु करने का भी निर्देश दिया है।
राजनाथ सिंह बताते हैं कि कश्मीर में शांति बहाली के लिए हमारी सरकार पांच सी के फार्मूले पर काम कर रही है। जिसमें करुणा यानी कंपेशन, संवाद यानी कम्यूनिकेशन, सह-अस्तित्व यानी को-एक्सिस्टेंस, विश्वास बहाली यानी कॉन्फिडेंस बिल्डिंग और निरंतरता यानी कंसिस्टेंसी शामिल है। ये सारी सिर्फ कहने भर की बातें नहीं हैं। जैसा राजनाथ सिंह कह रहे हैं घाटी में उसी दिशा में काम भी हो रहे हैं। आर्मी के जवान जहां एक ओर शांति स्थापित करने के लिए आतंकवादियों का सफाया कर रही है। वहीं दूसरी ओर भटके हुए युवाओं को भी सही रास्ते पर लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। उनके स्वरोजगार के लिए घाटी में लगातार कैंप लगाए जा रहे हैं। जहां पर युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वो अपना खुद का रोजगार स्थपित कर अपनी रोजी-रोटी कमा सके और देश निर्माण में अपनी भागीदारी को दर्ज करा सकें। जहां एक ओर आर्मी के ये काम हैं वहीं दूसरी ओर घाटी के अलगाववादी नेता कश्मीरी युवाओं के भीतर जहर घोल रहे हैं। वो नहीं चाहते हैं कि कश्मीरी युवा पढ़ लिखकर अच्छा इंसान बन सके। मदरसों को छोड़कर स्कूलों को फूंक दिया जाता है। भारत के खिलाफ उनके मन में अलगाववाद के बीज बोए जाते हैं। सुरक्षाबलों पर पथराव के लिए दिहाड़ी दी जाती है। किेसी को दो सौ रुपए दिए जाते हैं तो किसी को पांच सौ रुपए मिलते हैं। राजनाथ सिंह या कह लें कि केंद्र की मोदी सरकार नहीं चाहती है कि घाटी में पत्थरबाजों की संख्या बढ़े।
इसीलिए ये फैसला किया है कि अगर पहली बार कोई कश्मीरी युवा सुरक्षाबलों पर पथराव करता हुआ पकड़ा जाएगा तो उसे जेल भेजने की बजाए पुनर्वास केंद्र भेजा जाएगा। ताकि उसका भविष्य खराब ना हो। घाटी में सोच-सोच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकार युवाओं की भलाई चाह रही है वहीं अलगाववादी तत्व इनके हाथ में पत्थर और हथियार थमाना चाहते हैं। वो भी सिर्फ अपने निजी फायदे के लिए, चंद रुपयों की खातिर। लेकिन, ये बात कश्मीरी युवाओं को समझनी होगी। उन्हें अपना भला बुरा देखना होगा। उन्हें ये भी समझना होगा कि सरकार पहली पत्थरबाजी की घटना तो माफ कर सकती है लेकिन, 7 खून तो क्या एक खून भी माफ नहीं किया जा सकता है।