हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, दलित और जाट नेतृत्व में उलझा हाईकमान
कांग्रेस हाईकमान नए फार्मूले के साथ हरियाणा कांग्रेस को आगे बढाना चाहती है लेकिन, सबसे बड़ी मुश्किल पार्टी नेतृत्व को लेकर सामने आ रही है।
New Delhi Sep 13 : एक वक्त था जब हरियाणा को कांग्रेस का गढ़ कहा जाने लगा था। कांग्रेस ने चौटाला से सत्ता हथियाई थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता के तौर पर उभर कर सामने आए थे। सालों तक उनका दबदबा भी हरियाणा में दिखा। लेकिन, अब बहुत कुछ खत्म हो चुका है। पार्टी हाईकमान चाहता है कि हरियाणा कांग्रेस को फिर से चार्ज किया जाए। लेकिन, कमान किसे सौंपी जाए इस बात को लेकर दस जनपथ उलझन में है। ऐसा नहीं है हरियाणा कांग्रेस में नेताओं की कोई कमी है लेकिन, जितने नेता हैं उतने ही चौधरी हैं। हरियाणा में हर नेता चौधरी बना घूमता है कोई अपने को दूसरे से 18 मानने को तैयार नहीं है। 21 हर कोई दिखना चाहता है।
दरसअल, हरियाणा में जाटों का वर्चस्व है। लेकिन, कांग्रेस हाईकमान चाहता है कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन भी कर दिया जाए और जाटों के नेतृत्व से परहेज भी किया जाए। इस वक्त अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। जो राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं। हरियाणा की राजनीति में ये बात हर किसी को पता है कि अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की आपस में बहुत अच्छी नहीं बनती है। जिसका खामियाजा वक्त बेवक्त हरियाणा कांग्रेस को ही उठाना पड़ता है। पार्टी हाईकमान चाहता है कि हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष को बदल दिया जाए। लेकिन, दलित से इस कुर्सी को लेकर किसी दलित को ही सौंप दी जाए। ऐसे में पार्टी हाईकमान के पास सिर्फ कुमारी का ही ऑप्शन बचता है।
कुमारी सेलजा अंबाला से आती हैं और दलित परिवार से हैं। इसके साथ ही वो सोनिया गांधी की बेहद करीबी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान अशोक तंवर को पद से हटाकर उनकी जगह कुमारी शैलजा को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष बना सकता है। अशोक तंवर को पद से हटाने के पीछे एक बड़ी वजह तंवर और हुड्डा के बीच चल रहे वर्चस्व की लड़ाई भी है। हाईकमान नहीं चाहता है कि दोनों के आपसे झगड़े का असर पार्टी की परफॉरमेंस पर पड़े। सूत्र बताते हैं कि दोनों की सुलह की तमाम कोशिशें भी हो चुकी हैं। लेकिन, ना तो हुड्डा पीछे हटने को तैयार हैं और ना ही अशोक तंवर। लेकिन, कुमारी सेलजा के नाम पर हुड्डा भी राजी हैं और अशोक तंवर भी। लेकिन, पार्टी अभी जातिगत नफा-नुकसान का आकलन कर रही है।
अगर अशोक तंवर को हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाया गया तो ये भी तय मान लीजिए कि इसका असर किरण चौधरी पर भी पड़ेगा। किरण चौधरी अभी विधानसभा में नेता विपक्ष हैं। तंवर के हटते ही किरण चौधरी से भी ये पद छीना जा सकता है। उनकी जगह यहां पर हुड्डा के ही किसी करीबी नेता को बिठाया जा सकता है। हुड्डा पर ज्यादा मेहरबानी की कई और वजहें भी बताई जा रही हैं। दरसअल, पिछले लोकसभा सत्र के दौरान हुड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद हरियाणा की राजनीति में मानो भूचाल आ गया था। कहा जाने लगा था कि हुड्डा बीजेपी में आ सकते हैं। हालांकि उन्होंने इस तमाम बातों को कोरी अफवाह करार दिया था। लेकिन, कांग्रेस हाईकमान को पता है कि हरियाणा कांग्रेस से अगर हुड्डा निकल गए तो फिर प्रदेश में कांग्रेस का वजूद बचाए रखना बेहद मुश्किल होगा।