राहुल राजनीति से पिंड छुड़ाएं … !

 नाम तो कई हैं लेकिन उन्हें जानना और फिर याद रखना राहुल के बस की बात नहीं है। इन नामों का जिक्र करके राहुल यह तर्क देना चाह रहे थे…

New Delhi, Sep 14 : अमेरिका की केलिफोर्निया युनिवर्सिटी में छात्रों के सामने बोलते हुए राहुल गांधी ने अपने आप को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया। उन्हें राजवंशी या खानदानी नेता बताने की मजाक उड़ाई और नरेंद्र मोदी की नीतियों पर उन्होंने खुलकर प्रहार किया। उनके इस भाषण को देश के अखबारों ने मुखपृष्ठ पर छापा, वरना अब उन्हें एक-दो कालम से कम ही जगह अंदर के पृष्ठों पर ही मिलती है।

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इस भाषण की खूबी यह थी कि उन्होंने पहली बार स्वीकार किया कि नरेंद्र मोदी उनसे अच्छे वक्ता हैं या यों कहें कि वे अपनी गलत बात भी लोगों के गले उतारने में सक्षम हैं। राहुल ने पते की एक बात और कही। खानदानी नेताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने अखिलेश यादव, स्तालिन, अभिषेक बच्चन आदि के नाम भी लिये। नाम तो कई हैं लेकिन उन्हें जानना और फिर याद रखना राहुल के बस की बात नहीं है। इन नामों का जिक्र करके राहुल यह तर्क देना चाह रहे थे कि उनको अकेले क्यों कठघरे में खड़ा किया जाता है?

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वे सही हैं। पिछले दिनों मैं इंदौर में था। वहां कुछ मित्रों ने मुझे यह दोहा सुनाया:राहुल हमारे नेता हैं, अपने पुरखों की वजह से । मोदी हमारे नेता हैं, अपने मूरखों की वजह से । राहुलजी ने अपने भाषण में इस कथन पर मुहर लगा दी है लेकिन साथ ही साथ उन्होंने यह भी कह दिया है कि किसी व्यक्ति की असली पहचान उसके खानदान से नहीं, उसके गुणों से होती है। यही सच्ची कसौटी है। इस कसौटी पर मोदी कितने खरे और राहुल कितने खोटे उतरे हैं, यह चुनाव-परिणामों ने बता दिया है।

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राहुल गांधी ने कश्मीर की स्थिति पर भी हास्यास्पद बयान झाड़ दिया है। उन्हें शायद पता नहीं कि आजकल गृहमंत्री राजनाथसिंह ने वहां कितनी सराहनीय पहल की है। राहुल गांधी प्रधानमंत्री का सपना देखने की बजाय विवाह करें, सदगृहस्थ बनें, कोई धंधा या नौकरी करें तो वे कांग्रेस का और अपने खानदान का ज्यादा भला करेंगे। यह जरुरी है कि वे राजनीति से अपना पिण्ड छुड़ाएं।
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)