मोदी ने उड़ा दी ‘आजादी की ठेकेदार’ कांग्रेस की धज्जियां, दे दी बड़ी नसीहत
कांग्रेस पार्टी हमेशा से जनता के सामने ये बखान करती है कि देश को आजाद कराने में उसी का रोल रहा है। लेकिन, इस बार मोदी ने उसे समझा दिया है।
New Delhi Sep 17 : देश जिस वक्त ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था उस वक्त भारत माता को आजाद कराने में लाखों लोगों ने अपना बलिदान दे दिया था। करोड़ों लोग आजादी की इस जंग में शामिल हुए थे। लेकिन, आजादी के 70 बरस गुजर जाने के बाद भी कांग्रेस जनता के सामने इस आजादी को ऐसे पेश करती है जैसे मानो इसकी सारी ठेकेदारी उसी ने ले रखी थी। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस को बता दिया है कि केवल मुट्ठीभर लोगों ने ही देश को आजादी नहीं दिलाई है। इसमें लाखों करोड़ों भारतवासियों का खून पसीना लगा है। इसमें वो आदिवासी लोग भी शामिल हैं जिन्हें आज तक पूछा तक नहीं गया। उनका कहना है कि देश की आजादी के लिए आदिवासियों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
दरअसल, रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नर्मदा महोत्सव समापन समारोह के मौके पर सरदार सरोवर बांध को देश को सौंप दिया। उन्होंने इस डैम को इंजीनियरिंग का अनूठा नमूना बताया। विश्वकर्मा जयंती के दिन सरदार सरोवर बांध को देश को समर्पित करते हुए उन्होंने बांध का निर्माण करने वालों का भी स्मरण किया। दरअसल, ये बांध सत्तर-अस्सी के दशक में ही बनकर तैयार हो जाता है। लेकिन, कुछ लोगों ने इसमें ऐसा फच्चर फंसाया कि बांध के निर्माण में देर होती ही चली गई। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि अगर सरदार बल्लभ भाई पटेल और भीमराव अंबेडकर कुछ दिन और जीवित रहे होते तो यकीनन ये बांध 70 या फिर 80 के दशक में ही बनकर तैयार हो जाता।
दरसअल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक सबसे अच्छी बात ये है कि वो किसी के भी योगदान को नकारते नहीं हैं। बल्कि उसकी सराहना करते हैं। जबकि दूसरे दल सिर्फ अपने या फिर अपनी पार्टी के निजी फायदे के लिए इस पर भी राजनीति करने से नहीं कतराते हैं। यही वजह है कि जिन आदिवासियों के बलिदान को आज तक किसी भी दल ने याद नहीं किया आज उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। वो कहते हैं कि कुछ लोगों को लगता है कि कुछ मुट्ठीभर लोगों ने ही देश की आजादी के लिए बलिदान दिया है, आदिवासियों के बलिदान को भुला दिया गया है। ऐसा हरगिज नहीं होना चाहिए था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो मानते हैं कि आजादी में जिन आदिवासियों और योद्धाओं ने अपना योगदान दिया उनके लिए म्युजियम बनना चाहिए। ताकि नई पीढ़ी को पता चल सके कि देश की आजादी में कौन-कौन लोग शामिल थे।
हालांकि सरदार सरोवर बांध भी भुला दिए गए आदिवासियों के ही जंग की कहानी है। जिन्होंने देश की खातिर अपनी जमीन दे दी अपने हित त्याग दिए। इस बांध के निर्माण को रोकने के लिए बहुत बड़े-बड़े षडयंत्र किए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस बात को बताते हैं कि दुनिया की ऐसी कोई ताकत नहीं थी जिसने इसमें रुकावटें ना पैदा की हों। सरदार सरोवर बांध को लेकर अफवाहें भी खूब उड़ाई गईं। अनाप-शनाप आरोप लगाए गए। कई दलों ने इस पर खूब राजनीति करनी चाही। लेकिन, सफल नहीं हुए। डैम के निर्माण में बाधक बनने वाली पार्टियां कोई और नहीं बल्कि वहीं दल हैं जो खुद को आजादी की जंग के ठेकेदार बताते हैं। जरा सोचिए अगर विकास के किसी प्रोजेक्ट से प्यासों को पानी मिल जाए तो इससे बेतहर क्या हो सकता है, लेकिन, कुछ दलों ने तो लोगों की प्यास पर भी राजनीति कर अपना गला तर किया है? अब जनता ऐसे लोगों को पहचान चुकी है।