‘कूप मंडूप’ बने शरद यादव, अपने ही ‘कुएं’ में दी चुनाव आयोग को चुनौती !

बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद से ही नीतीश कुमार और शरद यादव में 36 का आंकड़ा चल रहा है। लेकिन, अब ये लड़ाई दिलचस्‍प मोड़ पर पहुंच गई है।  

New Delhi Sep 18 : कूप मंडूप वाली कहावत तो सुनी ही होगी आपने। इसका मतलब भी पता होगा आपको। नहीं पता है तो समझ लीजिए। कूप मंडूप का इस्‍तेमाल उदारहण के तौर पर ऐसे मेढ़क के लिए किया जाता है जिसका संसार एक कुएं के भीतर ही सीमित होता है। उसका ज्ञान और उसकी जानकारी उसी कुएं तक सीमित रहती हैं। वो खुद को यहां का शहंशाह और बादशाह समझता है। इससे बाहर निकलने की कोशिश भी नहीं करता। शरद यादव अपनी सियासत के कूप मंडूप बन गए हैं। उन्‍हें लगता है वो जो कर रहे हैं सब ठीक है। दुरुस्‍त है। उससे आगे कुछ भी नहीं है। चाहें वो भ्रष्‍टाचारी लालू यादव का खुला समर्थन ही क्‍यों ना हो। चाहें वो चुनाव आयोग के फैसले को खुली चुनौती ही क्‍यों ना हो।

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दरसअल, शरद यादव के गुट ने चुनाव आयोग में जनता दल यूनाइटेड पर अधिकार को लेकर एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में शरद यादव के गुट ने नीतीश कुमार के नेतृत्‍व वाली जेडीयू को फर्जी करार दिया था और दावा किया था कि उनके समर्थन वाली जेडीयू असली है। लेकिन, चुनाव आयोग ने शरद यादव के गुट को झटका देते हुए उनकी याचिका को रद्द कर दिया था। बावजूद इसके शरद यादव का गुट नीतीश कुमार के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन करने में जुटा है। जेडीयू के इस खेमे ने दिल्‍ली में मीटिंग कर नीतीश कुमार को ही जनता दल यूनाइटेड के अध्‍यक्ष पद से हटा दिया। इसके साथ ही गठबंधन तोड़ने का फैसला भी अपनी ओर से रद्द कर दिया। यानी जनता दल यूनाइटेड की जगह डिवाइडेड हो गई है।

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गुजरात के राज्‍यसभा इलेक्‍शन में कांग्रेस उम्‍मीदवार अहमद पटेल की लाज बचाने वाले विधायक छोटू भाई वसावा को जनता दल यूनाइटेड का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। मसला आपकी समझ में आ गया होगा। यानी शरद यादव ने अपनी ओर से जेडीयू के दो टुकड़े कर दिए हैं। एक हिस्‍सा नीतीश कुमार के पास है दूसरा हिस्‍सा उनके खेमे के पास। अब जरा सोचिए कि दिल्‍ली के कांस्‍टीट्यूशन क्‍लब में चंद नेताओं की मीटिंग को कार्यकारिणी की बैठक का नाम देकर इस तरह की कार्रवाई करना कहां तक जायज है? दावा किया गया है इसमें 19 राज्‍यों के प्रदेश अध्‍यक्ष शामिल हुए थे। जिस पार्टी का बेस ही बिहार है उस पार्टी में बिहार को छोड़कर पूरी दुनिया की बात की जा रही है।

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इन लोगों ने स्‍वयंभू मठाधीश बनते हुए नीतीश कुमार और जेडीयू के पुराने सभी फैसलों को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही जिन लोगों को पार्टी से निकाला गया है उनके संबंध में भी जारी आदेश रद्द किए जा चुके हैं। ये तो वही बात हुई, जैसे जगह भी हमारी, कोर्ट भी हमारी, जनता भी हमारी, जज भी हमारा, मुजरिम भी हमारा और फैसला भी हमारा। जाहिर है इस तरह के फैसलों और कार्यों को ही कूप मंडूप कहा जाता है। यहां ये भी कहना गलत नहीं होगा कि शरद यादव नीतीश कुमार के खिलाफ गोली चलाने के लिए बंदूक और कंधा छोटू भाई वसावा का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। ताकि लोगों को ये भी ना लगे कि वो पद के भूखे हैं और काम भी हो जाए। जबकि हकीकत ये है कि शरद यादव का राज्‍यसभा से जाना तय है। उन्‍हें नोटिस हो चुका है। अपनी इसी एकमात्र कुर्सी को बचाने के लिए उनके भीतर राजनैतिक छटपटाहट देखने को मिल रही है।