बीजेपी को मिलने वाली है ‘गद्दार दोस्‍त’ शिवसेना से मुक्ति !

महाराष्‍ट्र में जल्‍द ही शिवेसना और बीजेपी का गठबंधन टूट सकता है। दोनों ही दलों में पिछले लंबे समय से खटास बनी हुई है। जानिए क्‍या है पीछे की रणनीति।

New Delhi Sep 18 : शिवसेना भारतीय जनता पार्टी की एकमात्र ऐसी सहयोगी पार्टी है जिसके रहते बीजेपी को कभी भी विपक्ष की जरुरत नहीं पड़ सकती है। बीजेपी के वजूद में शिवसेना को अपना अस्तित्‍व खतरे में नजर आ रहा है। शायद ही ऐसा कोई दिन गुजरता होगा जब शिवसेना और बीजेपी में कोई अनबन ना होती हो। हालांकि यहां पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की दाद देनी होगी। उन्‍होंने अपनी ओर से कभी भी शिवसेना पर कोई सियासी वार नहीं किया। हमेशा बड़े भाई और गठबंधनक का धर्म निभाया है। वहीं दूसरी ओर शिवसेना ने दोस्‍त होते हुए भी कई मौकों पर बीजेपी की पीठ में छूरा घोपने का काम किया। इस बार भी खुद शिवसेना ने ही बीजेपी से गठबंधन तोड़ने की बात कर उसे धमकी दी है।

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यानी भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच चली आ रही लंबी सियासी जंग अब किसी भी दिन किसी भी नतीजे पर पहुंच सकती है। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने खुले तौर पर एलान कर दिया है कि उनकी पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन पर जल्‍द ही कोई बड़ा फैसला लेगी। हालांकि ऐसा नहीं है कि बीजेपी शिवसेना की ओर से लार टपका रही हो। महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहले भी ये कह चुके हैं कि अगर शिवेसना भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ती है तो सरकार मध्‍यावधि चुनाव के लिए भी तैयार है। ताजा विवाद सोमवार को निकल कर सामने आया। उद्धव ठाकरे के घर यानी मातोश्री में शिवसेना के नेताओं की सोमवार को एक महत्वपूर्ण मीटिंग हुई।

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शिवसेना के नेताओं का कहना है जनता के मन में मोदी सरकार के खिलाफ पेट्रोल-डीजल दामों को लेकर काफी नाराजगी है। जनता मोदी सरकार से बढ़ती महंगाई को लेकर खफा है। संजय राउत कहते हैं कि शिवसेना भारतीय जनता पार्टी के इस पाप में उसकी भागीदार नहीं बनना चाहती है। इसके बाद संजय राउत ने एक ट्वीट भी किया। जिसमें उन्‍होंने लिखा है कि उद्धव ठाकरे सरकार से खुश नहीं है। शिवसेना जल्‍द ही पेट्रोल के बढ़ते दामों के खिलाफ बीजेपी को लेकर कोई बड़ा फैसला लेगी। सोमवार को मातोश्री में हुई बैठक में कई विधायकों ने बीजेपी के साथ गठबंधन पर फैसला लेने के लिए उद्धव ठाकरे पर भी दवाब बनाया। इसी बैठक में गठबंधन को तोड़ने की बात भी सामने आई।

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दरअसल, बीजेपी और शिवसेना के बीच सियासी उठापटक लंबे समय से चली आ रही है। शिवसेना हर वक्‍त मौके की तलाश में रहती है। उसे लगता है महंगाई के मसले पर अगर वो सरकार से गठबंधन तोड़ती है तो उसका इसे सियासी फायदा होगा। हालांकि शिवसेना को यहां ये भी ध्यान रखना होगा 2014 के बाद से महाराष्‍ट्र में भारतीय जनता पार्टी का जनाधार लगातार बढ़ा है। बीएमसी का चुनाव भी शिवसेना ने बीजेपी से अलग होकर लड़ा था। तब भी बीजेपी ने सेना को अपनी ताकत का एहसास करा दिया था। इसके बाद भी जो चुनाव हुए वहां भी बीजेपी ने बड़े पैमाने पर अपनी जीत दर्ज की है। ऐसे में कहीं शिवसेना का ये फैसला आत्‍मघाती साबित ना हो। लेकिन, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी को भी इस रोज की किचकिच से छुटकारा मिल जाएगा।