राहुल गांधी की नजर में कांग्रेस ‘असफल’, हर बार ये बयान नई राजनीति का संकेत हैं ?

राहुल गांधी लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जिनमें वो कांग्रेस सरकार की विफलताओं का जिक्र कर रहे हैं। सवाल ये है कि क्या ये नई राजनीति के संकेत दे रहे हैं।

New Delhi, Sep 21 : हाल ही में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी ही पार्टी की खामियों को विश्व के बड़े मंच पर उजागर किया है। राहुल ने आखिरकार मान ही लिया कि यूपीए सरकार ने युवाओं और बेरोजगारों से जो वादा किया था, वो वादा पूरा नहीं कर पाई। राहुल का कहना है कि कांग्रेस अपना वादा पूरा नहीं कर पाई और इस वजह से उसे हार झेलनी पड़ी। हालांकि इस बीच राहुल ने कांग्रेस सरकार के दौरान हुए घोटालों की बात नहीं बताई। शायद ये बात राहुल के नजरिए से पार्टी के हारने की वजह नहीं बनी। अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में दिए गए राहुल के बयान काफी कुछ संकेत दे रहे हैं।

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इससे पहले बिर्कली यूनिवर्सिटी में भी उन्होंने छात्रों को संबोधित किया था। इस दौरान उनका कहना था कि कांग्रेस वंशवाद की राजनीति का शिकार रही है और इस वजह से भारत की जनता ने पार्टी को नकार दिया। क्या इस तरह के बयानों से राहुल एक बार फिर से नई राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं ? क्या एक बार फिर से अपनी ही पार्टी के कड़े आलोचक वाली भूमिका में आकर राहुल कोई नया स्टैंड खड़ा करना चाह रहे हैं ? एक सवाल ये भी कि क्या राहुल के ऐसे बयानों से भारत में एक बार फिर से कांग्रेस अपनी पैठ बना पाएगी ? हाल ही में हुए विधानसाभा चुनाव और उससे पहले हुए लोकसभा चुनावों के नतीजों से राहुल हैरान तो हुए होंगे।

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लेकिन इसके बाद भी भारत में जमीनी स्तर पर वो क्या कर रहे हैं ? हालांकि ऐसा नहीं है कि राहुल मोदी सरकार के खिलाफ नहीं बोल रहे। मोदी सरकार के खिलाफ उनकी बयानबाजियों का दौर लगातार जारी है, जैसा कि प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में भी उन्होंने दिया। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में राहुल ने कहा कि मोदी सरकार भी कुछ ऐसा ही काम कर रही है और इस वजह से आने वाले वक्त में लोग उन्हें नकारेंगे। राहुल ने साफ तौर पर ये भी माना कि कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार को नौकरी देने के मोर्चे पर नाकामी ही हाथ लगी है। राहुल इससे पहले कई मंचों पर कह चुके हैं कि कांग्रेस में जमीनी स्तर पर काम नहीं हुआ।

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राहुल कहते हैं कि कांग्रेस में वंशवाद लगातार हावी हो रहा है, कांग्रेस के नेताओं में गुटबाजी चरम पर रही। ऐसे बयानों से एक बात तो साफ है कि या तो राहुल एक नए सिरे से राजनीति की शुरुआत करने का मन बना चुके हैं, या फिर कांग्रेस की बची-कुची लुटिया डुबोने का काम कर रहे हैं। ये वक्त भारत में रहकर जमीनी स्तर पर राजनीति करने का है, ना कि विदेशों में जाकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ ऐसे बयान देने का। क्या इसे वंशवाद की ही राजनीति माना जाए कि राहुल गांधी के इन बयानों के बाद भी कांग्रेस का कोई बड़ा नेता उनके खिलाफ नहीं बोल रहा है ? देखना है कि आगे आने वाले वक्त में राहुल की ये नई पॉलिटिक्स क्या रंग दिखाती है।