शरद यादव के झूठ का पर्दाफाश, लालू यादव के खिलाफ PM को सौंपे थे भ्रष्‍टाचार के 600 पन्‍ने

शरद यादव का प्रेम इन दिनों लालू यादव पर उमड़ रहा है। वो नीतीश कुमार के खिलाफ हो चुके हैं। लेकिन, कुछ ऐसा है जो उन्‍हें पूरी तरह बेनकाब कर रहा है।

New Delhi Sep 26 : शरद यादव को आज लालू यादव के भ्रष्‍टाचार भा रहे हैं। उन्‍हें लगता है कि भ्रष्‍टाचार के मामले में नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़ने का जो फैसला लिया था वो गलत था। शरद यादव बिहार में घूम-घूमकर ये कहते फिर रहे हैं कि यहां तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाला हाल है। आपको भी पता होगा कि जिस वक्‍त सीबीआई ने आईआरसीटीसी घोटाले में लालू एंड फैमिली के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी उसी वक्‍त से नीतीश कुमार और उनके बीच मनमुटाव बढ़ गया था। खासतौर से उस वक्‍त जब इस घोटाले में तत्‍कालीन उप मुख्‍यमंत्री और लालू के बेटे तेजेस्‍वी यादव के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई थी। नीतीश कुमार बस इतना चाहते थे कि तेजेस्‍वी यादव स्‍वैच्छिक तौर पर इस पद से इस्‍तीफा दे दें। वो भी तब तक जब तक उनके खिलाफ जांच चल रही है।

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जांच पूरी होने के बाद अगर वो पाक साफ निकलते हैं तो इस कुर्सी पर फिर से उनका स्‍वागत होगा। लेकिन, लालू यादव को ये मंजूर नहीं था। इसके बाद ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन को तोड़ने का फैसला किया था। लेकिन, क्‍या आपको पता है कि जिस केस को लेकर बिहार में महागठबंधन टूटा है और आज लालू यादव के जिस भ्रष्‍टाचार को लेकर शरद यादव उनकी पैरोकारी कर रही है किसी जमाने में इसी केस में शरद बाबू ने प्रधानमंत्री को 600 पन्‍नों के दस्‍तावेज सौंपे थे। IRCTC के जिस होटल को नीलाम कर उसके बदले निजी लाभ लेने का आरोप लालू यादव पर लगा है ये मामला पूर्व जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने ही उजागर किया था। वो भी शरद यादव की सरपरस्‍ती में।

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बात 12 अगस्त, 2008 को इस घोटाले का खुलासा किया गया था। इसके बाद ललन सिंह और जेडीयू के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने 600 पन्ने के दस्‍तावेज उस वक्‍त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपा था। इतना ही नहीं शरद यादव ने उस वक्‍त इस मामले की जांच सीबीआई से भी कराने की मांग की थी। पर ये बात दीगर है कि उस वक्‍त की मौजूदा यूपीए सरकार ने इसे जांच के लायक ही नहीं माना था। मानते भी कैसे लालू यादव उनके सहयोगी जो हुआ करते थे। लेकिन, सवाल शरद यादव से ये बनता है कि जिस भ्रष्‍टाचार के 600 पन्‍नों के सबूत लेकर वो पूर्व प्रधानमंत्री के पास गए थे आज उन्‍हें की ओर से दिए सबूत बोगस और बेकार कैसे हो सकते हैं ? शरद बाबू ये सुविधा की राजनीति नहीं है करोड़ों रुपए के भ्रष्‍टाचार का मामला है।

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किसी को इस बात से कतई मतलब नहीं है कि आपकी किस नेता बनती है और किस नेता से आपका मनमुटाव है। हम सीधी बात बोलने और सीधा जवाब जानने की हिम्‍मत रखते हैं। आज आप लालू यादव के साथ खड़े हैं। जिस भ्रष्‍टाचार को लेकर नीतीश कुमार ने उसने किनारा कर लिया है आज वहीं लालू यादव का भ्रष्‍टाचार आपको भा रहा है। जबकि 2008 में आपको ये घोटाला नजर आता था। 2017 में इसके पीछे केंद्र सरकार और मोदी सरकार की साजिश नजर आती है। जबकि सीबीआई आपके उन्‍हें 600 पन्‍नों के दस्‍तावेज के आधार पर इस केस में आगे बढ़ी है जो आपने 2008 में सौंपे थे। बिहार की जनता के साथ-साथ पूरे देश की जनता को आपको ये जवाब देना होगा कि आप उस वक्‍त राजनीति कर रहे थे या फिर आज सियासत कर रहे हैं ? आप भ्रष्‍टाचार के खिलाफ हैं या फिर उसके पक्षधर ?