पुत्रमोह में ‘धृतराष्‍ट्र’ बने मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ेंगे शिवपाल यादव !

मुलायम सिंह यादव के यूटर्न ने शिवपाल यादव का दिल तोड़ दिया है। दोनों के बीच खटास पैदा हो गई है। ऐसे में शिवपाल की अपनी नई राजनैतिक डगर होगी।

New Delhi Sep 27 : कोई कुछ भी कहे लेकिन, एक बात तो माननी होगी शिवपाल यादव ने हमेशा से अपने भाई मुलायम सिंह यादव के लिए ही लड़ाई लड़ी है। बेटे ने मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ दिया लेकिन, भाई ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा। लेकिन, पुत्रमोह ने मुलायम सिंह को धृतराष्‍ट्र बना दिया है। उनकी आंखों पर पुत्रमोह की पट्टी बंध गई है। अभी सोमवार की ही बात थी। मुलायम ने लोहिया ट्रस्‍ट में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी। यहां वो नई पार्टी के गठन का एलान करने वाले थे। प्रेस रिलीज तक तैयार कर ली गई थी। लेकिन, ऐन वक्‍त पर मुलायम ने यू टर्न ले लिया और नई पार्टी के एलान की कोई बात नहीं की। मुलायम के इस रुख ने शिवपाल यादव का दिल तोड़ दिया है। वो उनसे अलग हो सकते हैं।

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ऐसे में अब शिवपाल यादव के पास एकमात्र यही विकल्‍प बचता है कि वो अपनी नई पार्टी का गठन स्‍वयं ही करें। ऐसा नहीं है कि श्‍ािवपाल यादव समाजवादी पार्टी में फूट चाहते हैं। या वो नहीं चाहते हैं कि पूरा का पूरा परिवार एक बार फिर एक साथ हो। हर किसी को पता है कि समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह के परिवार के इस आपसी झगड़े से किसी का फायदा नहीं हो रहा है। पार्टी लगातार कमजोर पड़ती जा रही है। लेकिन, अहम के इस टकराव में पार्टी किनारे हो गई और जिद ज्‍यादा बड़ी हो गई है। सीधे शब्‍दों में समझेंगे तो ये कहा जा सकता है कि शिवपाल यादव की एक मात्र मांग ये है कि मुलायम सिंह यादव उर्फ नेता का सम्‍मान उन्‍हें लौटाया जाए। यानी अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष की जो कुर्सी अपने पिता से छीनी है वो उन्‍हें वापस की जाए।

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खुद अखिलेश यादव ने ही जनवरी महीने में कहा था कि वो तीन महीने बाद उत्‍तर प्रदेश फतेह कर नेता जी को ये कुर्सी जीत के तोहफे के साथ उन्‍हें वापस करेंगे। लेकिन, उन्‍होंने ऐसा कुछ नहीं‍ किया। अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में इसी बात को लेकर तनातनी चल रही है। मुलायम सिंह यादव और शिवपाल को लगता है कि अखिलेश रामगोपाल के बताए रास्‍ते पर चलते हैं। जो खतरनाक है। अखिलेश और रामगोपाल को शिवपाल यादव नहीं पसंद हैं। जबकि मुलायम सिंह यादव और शिवपाल को रामगोपाल। समझौता हर कोई चाहता है कि लेकिन, झुकना कोई नहीं चाहता है। समझौता होता ना देख मुलायम सिंह यादव और शिवपाल ने ही नई पार्टी बनाने का एलान करने का फैसला किया था। जिससे ऐनवक्‍त पर मुलायम सिंह यादव मुकर गए।

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मुलायम सिंह यादव के इसी व्‍यवहार ने शिवपाल का दिल तोड़ दिया है। शिवपाल और मुलायम की नाराजगी इतनी बढ़ गई कि सोमवार को वो नेता जी की प्रेस कांफ्रेंस में भी नहीं पहुंचे थे। वैसे भी अब जब मुलायम सिंह यादव ने पुत्रमोह में अपनी आंखों पर पट्टी बांध ही ली है तो शिवपाल यादव के सामने अलग रास्‍ता अख्तियार करने के अलावा कोई दूसरा रास्‍ता नहीं बचता है। शिवपाल को भी अब ये एहसास हो गया है कि बेटे के पॉलिटिकल करियर को बचाने के चक्‍कर में वो अपने भाई के साथ ही धोखा कर रहे हैं। उन्‍हें नजरअंदाज किया जा रहा है। माना जा रहा है कि ऐसे में अब शिवपाल जल्‍द ही अपने नई पार्टी या फिर मोर्चे के गठन का एलान कर सकते हैं। अब इस टूटते हुए समाजवाद के स्‍तंभ को कोई नहीं बचा सकता।