क्‍या यशवंत सिन्‍हा ने जेटली के सहारे मोदी से निकाली खुन्‍नस ?

देश के पूर्व वित्‍त मंत्री यशवंत सिन्‍हा ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमला कर विपक्ष को बैठे-बिठाए एक मुद्दा दे दिया है। सवाल है कि उनके निशाने पर मोदी थे या फिर वाकई अरुण जेटली ?

New Delhi Sep 27 : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेता और देश के पूर्व वित्‍त मंत्री यशवंत सिन्‍हा ने अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। कहने को तो यशवंत सिन्‍हा के निशाने पर देश की अर्थव्‍यवस्‍था और वित्‍त मंत्री अरुण जेटली थे। लेकिन, फिर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या सिन्‍हा जेटली पर वार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपनी खुन्‍नस निकाल रहे हैं। क्‍योंकि जब से केंद्र में मोदी की सरकार बनी है या कहें उससे भी पहले से यशवंत सिन्‍हा पार्टी में साइड लाइन ही चल रहे हैं। हालांकि उनके बेटे को जरुर एडजस्‍ट किया गया है लेकिन, उन्‍हें पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल कर दिया गया है। ये कोई पहला मौका नहीं है जब यशवंत सिन्‍हा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ कोई बयानबाजी की हो।

Advertisement

इससे पहले भी वो कई बार मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर चुके हैं। शायद यही वजह है कि सवाल किए जा रहे हैं क्‍या यशवंत सिन्‍हा ने निजी खुन्‍नस निकालने के लिए वित्‍त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा। सिन्‍हा जेटली को बेहतर नहीं मानते हैं। लेकिन, कहते हैं कि मोदी सरकार में उन्‍हें सबसे बेहतर मंत्री माना जाता है। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही ये तय हो गया था कि बीजेपी की सरकार बनते ही जेटली को वित्‍त मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन, वित्‍त मंत्री अमृतसर से लोकसभा का चुनाव हार गए। इस हार के बाद भी उन्‍हें देश का वित्‍त मंत्री बनाया गया। इतना ही नहीं मनोहर पर्रिकर की गोवा में वापसी के बाद उन्‍हें रक्षा मंत्री का भी अतिरिक्‍त कार्यभार सौंपा गया।

Advertisement

यानी यशवंत सिन्‍हा को इस बात की भी तकलीफ है कि लोकसभा की हार भी उनके मंत्री बनने में रुकावट नहीं बन पाई। सिन्‍हा ने इसके लिए अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार का उदाहरण भी दिया और बताया कि जो हालात 2014 में जेटली के साथ वैसे ही हालात उस वक्‍त प्रमोद महाजन और जसवंत सिंह के साथ थे। दोनों ही बाजपेयी जी के करीब थे। फिर भी दोनों को मौका नहीं दिया गया। यशवंत सिन्‍हा कहते हैं कि अरुण जेटली देश की अर्थ व्‍यवस्‍था में सुधार नहीं कर पाए। उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली दोनों पर ही तंज कसते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि मैंने गरीबी बहुत करीब से देखी है। अब अरुण जेटली सभी भारतीयों को बेहद करीब से गरीबी दिखाएंगे।

Advertisement

कहीं ना कहीं ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यशवंत सिन्‍हा देश की अर्थव्‍यवस्‍था के सहारे अपनी निजी भड़ास निकाल रहे हैं। यशवंत सिन्‍हा जीएसटी को गलत बता रहे हैं। कहते हैं क‍ि इससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए। लेकिन, वहीं दूसरी ओर उन्‍हीं के बेटे जयंत सिन्‍हा टीवी पर जयंत सर की क्‍लास लगाकर लोगों को जीएसटी के फायदे बता रहे हैं। अगर जीएसटी की बुराई यशवंत सिन्‍हा अपने बेटे को नहीं समझा सकते हैं तो फिर वो देश को क्‍या समझाएंगे। हम अर्थ शास्‍त्री नहीं हैं। विकास दर, जीडीपी बगैरह-बगैरह नहीं समझ में आता है। इतना समझ में आता है कि कहीं महंगाई बढ़ी है तो कहीं कम भी हुई है। जो लोग पहले टैक्‍स चोरी किया करते थे आज वो अदा कर रहे हैं। कैश पेमेंट से लोग कतरा रहे हैं। बिना अर्थ व्‍यवस्‍था की समझ वाली जनता के यही तीन चीजें समझ में आती हैं। जो यशवंत सिन्‍हा ने नहीं बताईं। पता नहीं क्‍यों उनकी नियत में खोट नजर आती है। इसलिए नहीं कि वो पूर्व वित्‍त मंत्री हैं। बल्कि इसलिए कि वो बीजेपी में साइड लाइन हैं। उन्‍हें कोई पूछता नहीं है।