आतंकियों से जुड़े हैं बीफ पार्टी देने वाले विधायक इंजीनियर राशिद के तार ?
जम्मू-कश्मीर के विधायक इंजीनियर राशिद उर्फ शेख अब्दुल राशिद का नाम भी टेरर फंडिंग में आ गया है। उसके तार भी आतंकवादियों से जुड़ रहे हैं।
New Delhi Sep 28 : ये बात अक्टूबर 2015 की है। उस वक्त देश में बीफ को लेकर काफी हंगामा मचा हुआ था। विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रहा था। हिंदू संगठन अपनी आवाज बुलंद किए हुए थे। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में भी ये मामला उठा था। यहां पर भी बवाल चल रहा था। इसी बवाल के बीच कश्मीर के निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद ने कश्मीर में बीफ पार्टी का आयोजन कर इस आग में घी डालने का काम किया था। लेकिन, बीजेपी के विधायक रविंद रैना ने विधानसभा के भीतर ही इंजीनियर राशिद को थप्पड़ जड़ दिया था। जबकि इंजीनियर राशिद का कहना था कि बीजेपी विधायकों ने उन्हें लात घूसों से पीटा। बात आई गई हो गई। लेकिन, अब एक बार फिर इंजीनियर राशिद का नाम चर्चा में आ गया है।
इंजीनियर राशिद के तार आतंकियों से जुड़ते हुए नजर आ रहे हैं। कश्मीर के इस विधायक पर भी आरोप लग रहे हैं कि वो भी टेरर फंडिंग में शामिल है। ऐसे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने इस विधायक को समन जारी कर दिया है। तीन अक्टूबर को एनआईए ने इंजीनियर राशिद को पूछताछ के लिए हेडक्वाटर बुलाया है। माना जा रहा है कि अगर राशिद ने एनआईए के सवालों के सही जवाब नहीं दिए तो उसकी गिरफ्तारी तय है। और अगर वो पेशी से भी बचने की कोशिश करता है तो भी उसकी मुश्किलें कहीं से भी कम नहीं होंगी। जिस तरह से एनआईए ने दूसरे अलगाववादी नेताओं को कश्मीर से उठाया है। उसी तरह से राशिद के भी सलाखों के पीछे जाने की पूरी संभावना बनी हुई है।
टेरर फंडिंग मामले में इंजीनियर राशिद पहला ऐसा नेता है जिसे मुख्यधारा की राजनीति में होते हुए एनआईए ने समन भेजा है। दरअसल, टेरर फंडिंग की जांच में जुटी एनआईए ने जब कश्मीर के कारोबारी जहूर वटाली से पूछताछ की थी तो उसी दौरान इंजीनियर राशिद का भी नाम सामने आया था। जहूर वटाली को एनआईए गिरफ्ताार कर चुकी है और एक दूसरे से जुड़ते इस कनेक्शन की पूरी की पूरी चेन को एनआईए सलाखों के पीछे भेजती जा रही है। जहूर वटाली घाटी में आतंकी संगठनों और अलगाववादी नेताओं को पैसा मुहैया कराता था। शेख अब्दुल राशिद इस वक्त उत्तर कश्मीर के लागाते विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक है। हालांकि उसका कहना है कि इस मामले में उनका कोई लेना देना नहीं है।
एनआईए की जांच से बचने के लिए उसने एक नया पैंतरा भी चला। उसने इस मामले में जम्मू कश्मीर के विधानसभा अध्यक्ष से जांच की मांग की। वो एनआईए को विधानसभा के कानूनी पचड़ों फंसा कर घुमाना चाहता है लेकिन, ऐसा हो पाना मुश्किल है। दरअसल, एनआईए घाटी में टेरर फंडिंग की जांच लबे समय से कर रही है। इस केस में वो कई अलगाववादी नेताओं को भी गिरफ्तार कर चुकी है। जिसमें सैयद अली शाह गिलानी का दामाम अल्ताफ फंटूस भी शामिल है। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर आरोप है कि वो प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन, दुख्तरान-ए-मिल्लत, लश्कर-ए-तैयबा जैसे दूसरे संगठनों के सक्रिय आतंकवादियों के साथ ना सिर्फ सांठगांठ रखते हैं बल्कि उन्हें आर्थिक मदद भी मुहैया कराई जाती है।