बिहार कांग्रेस में सोनिया-राहुल के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी बगावत
बिहार कांग्रेस में बगावत हो गई है। कांग्रेस के विधायक सोनिया गांधी और राहुल गांधी का फैसला मानने को ही तैयार नहीं हैं। जरा समझिए राजनीति को।
New Delhi Sep 29 : बिहार कांग्रेस में बगावत हो गई है। बिहार के 27 कांग्रेसी विधायकों में से 26 विधायक पार्टी हाईकमान के फैसले के खिलाफ हैं। अभी हाल ही में पार्टी हाईकमान ने बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को उनके पद से हटा दिया था। उनकी जगह पर कौकब कादरी को नया कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। बुधवार की ही बात है कौकब चौधरी अपना पदभार ग्रहण करने पार्टी दफ्तर पहुंचे थे। लेकिन, यहां 27 विधायकों में से 26 पहुंचे ही नहीं। संकेत साफ है कि ये लोग सोनिया गांधी और राहुल गांध के फैसले से खुश नहीं हैं। ऐसे में कयास तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि लालू के परिवार के कथित भ्रष्टाचार की वजह से सियासी बेरोजगार हुए ये विधायक जेडीयू के साथ भी हाथ मिला सकते हैं।
हालांकि इस तरह की संभावनाएं लंबे समय से बिहार की राजनीति में बन रही हैं। पहले तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक चौधरी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। अब उनकी अपमानजनक विदाई कर उनकी जगह पर कौकब कादरी को बिठा दिया गया है। सोचने वाली बात है कि भला कांग्रेस के विधायक इस तरह का तुगलकी फरमान क्यों मांगेंगे। बिहार कांग्रेस के विधायक बागी हो चुके हैं। लेकिन, ये बात ना तो सोनिया गांधी को समझ में आ रही है और ना ही राहुल गांधी को। दरसअल, कांग्रेस हाईकमान को बिहार की राजनीति ही समझ नहीं आ रही है। शायद यही वजह है कि वो इस तरह के फैसले ले रहे हैं। जो सिर्फ बगावत को बढ़ाने वाला है।
बिहार कांग्रेस के तमाम नेता हाईकमान के उस फैसले से नाराज हैं जिसमें उन्होंने अशोक चौधरी को उनके पद से हटाने का निर्णय लिया था। इस वक्त बिहार कांग्रेस की बड़ी लॉबी अशोक चौधरी के साथ है। जहां एक ओर कौकब कादरी के कार्यभार ग्रहण करने में सिर्फ एक ही विधायक सिद्धार्थ पहुंचे वहीं दूसरी ओर अशोक चौधरी के घर पर बाकी कांग्रेसी विधायकों का जमघट लगा रहा। जिसमें एमएलसी भी शामिल थे। अशोक चौधरी पार्टी हाईकमान के खिलाफ अपनी नाराजगी को खुलकर बयां कर चुके हैं। वो कह चुके हैं कि उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि उन्हें इस तरह से बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटा दिया जाएगा। उनका कहना था कि वो पार्टी के नेता होने के नाते इस फैसले का स्वागत तो करते हैं लेकिन, वो इस अपमान के हकदार नहीं थे।
वाकई अशोक चौधरी को सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अच्छा सिला नहीं दिया है। उन्होंने अपनी दो पीढि़यों को बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने में झोंक दिया। बदले में उन्हें सिर्फ और सिर्फ हाईकमान से अपमान ही मिला। हालांकि अशोक चौधरी की हालत को देखकर बिहार कांग्रेस के दूसरे नेता भी सतर्क हो गए हैं। जो नेता पहले दबी जुबान में हाईकमान के खिलाफ बोलते थे आज उनके बगावती तेवर खुलकर सामने आ रहे हैं। हाईकमान के इस फैसले से पहले अशोक चौधरी के पास भी विधायकों का समर्थन कम था। लेकिन, अब उनके पास मौजूदा वक्त में इतने विधायक हैं जो दल-बदल कानून से बचकर बड़ा फैसला ले सकते हैं। अगर अशोक चौधरी का गुट जेडीयू में शामिल हो जाता है तो यकीन मानिए बिहार में कांग्रेस को अपने पैर दोबारा से जमाने में दशकों का वक्त लगेगा। ऐसी बगावत में 27 तो छोडि़ए दोबारा सात सीटें भी आ जाएं तो बड़ी बात होगी।