पाकिस्‍तान को आतंकी देश घोषित करेगा ‘पेंटागन’ ?

पेंटागन को भी ये बात समझ में आ गई है कि अब पाकिस्‍तान को आतंकी देश घोषित कर देना चाहिए। लेकिन, इसके लिए अभी अमेरिका में विचार चल रहा है।  

New Delhi Oct 03 : पाकिस्‍तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। जहां एक ओर वो भारत के खिलाफ पाक अधिकृत कश्‍मीर में आतंकी संगठनों को संरक्षण दे रहा है वहीं दूसरी ओर अफगानिस्‍तान के खिलाफ बार्डर पर भी तालिबानी और हक्‍कानी नेटवर्क को पूरा सपोर्ट कर रहा है। ताकि अफगानिस्‍तान में गड़बड़ी फैलाई जा सके। पाकिस्‍तानी आतंकवाद से भारत खुद निपट रहा है। जबकि अफगानिस्‍तान में पाकिस्‍तानी आतंकी संगठनों का मुकाबला अफगान सेना और यूएस आर्मी मिलकर कर रही है। पाकिस्‍तान के इस आतंकवाद प्रेम से अमेरिका के अफगानिस्‍तान में अपने हित प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पेंटागन पाकिस्‍तान को आतंकी देश घोषित कर सकता है।

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इस तरह की संभावनाओं को उस वक्‍त और भी ज्‍यादा बल मिला जब पेंटागन के ही एक पूर्व अधिकारी ने पाकिस्‍तान, कतर और तुर्की को आतंकी देश घोषित करने की सिफारिश की। पेंटागन के पूर्व अधिकारी कहते हैं कि अब वो वक्‍त आ गया है कि जब ट्रंप प्रशासन को पाकिस्तान के साथ-साथ कतर और तुर्की को आतंक को प्रायोजित करने वाले देशों के रूप में चिन्हित कर लेना चाहिए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। पेंटागन के पूर्व अधिकारी के इस बयान को हल्‍के में नहीं लिया जा सकता है। क्‍योंकि ये सिर्फ सुझाव नहीं बल्कि फैसला भी हो सकता है। अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के रेजिडेंट स्कॉलर माइकल रुबिन ने द वाशिंगटन एग्जामिनर के संपादकीय पेज इस बारे में विस्‍तार से लिखा है।

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माइकल रुबिन साफ तौर पर लिखते हैं कि अब वो वक्‍त आ गया है जब आतंकवाद को लेकर पाकिस्‍तान की जवाबदेही तय होनी चाहिए। अगर पाकिस्तान अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिबंधों से बचना चाहता है तो उसे अपने यहां पनप रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। आतंकियों को जेल में डालना होगा। उनका वित्त पोषण और दूसरी सहूलियतों को बंद करना होगा। माइकल रूबिन बताते हैं कि 1979 में अमेरिका का विदेश विभाग पाकिस्‍तान को आतंक प्रयोजित करने वाले देशों की लिस्‍ट में रखता है। ये बात भी हर कोई जानता है कि अमेरिका का विदेश विभाग भारत के विदेश मंत्रालय के बराबर है। सालों हो गए हैं लेकिन, पाकिस्‍तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। उसमें आज तक कोई सुधार देखने को नहीं है।

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अमेरिका की ओर से अब तक इराक, ईरान, लीबिया, दक्षिणी यमन, क्‍यूबा, सीरिया, क्यूबा, सूडान और नॉर्थ कोरिया को लगातार अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों को समर्थन देने के कारण इन्‍हें आतंक प्रायोजित करने वाला देश घोषित कर चुका है। ऐसा नहीं है कि अमेरिका की लिस्‍ट एक बार बन गई तो उसमें कभी किसी देश का नाम हटया या फिर जोड़ा नहीं गया। वक्‍त के साथ-साथ अमेरिका अपनी इस लिस्‍ट में आतंक प्रयोजित देशों के नाम हटाता और बढ़ाता गया है। जिसने अपने भीतर सुधार किया और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की उसका नाम इस लिस्‍ट से हटा दिया गया। इस लिस्‍ट से ईरान, सूडान और सीरिया का नाम  हट चुका है। लेकिन, पाकिस्‍तान, कतर और तुर्की का नाम इस लिस्ट में जोड़े जाने की जरूरत है। माइकल रूबिन का तर्क है कि आतंक के खिलाफ इस कार्रवाई में अमेरिका को ये भी नहीं देखना चाहिए कि वो देश उसका सहयोगी है या नहीं है। जंग सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ होनी चाहिए।