तेल के खेल में जीती मोदी सरकार, अब फंसीं राज्य सरकारें !
पेट्रोल और डीजल पर केंद्र की मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाकर बढ़ा दांव चल दिया है। अब राज्य सरकारों पर वैट घटाने का दवाब बढ़ गया है।
New Delhi Oct 04 : पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों से आम जनता में केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी। लेकिन, मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाकर पेट्रोल और डीजल के दामों को दो रुपए प्रति लीटर कम कर दिया है। अब बारी राज्य सरकारों की हैं। जो राज्य सरकारें पेट्रोलियम पदार्थों के दामों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधती रहती थीं अब उन पर इस बात का नैतिक दवाब बन गया है कि वो भी वैट के दाम घटाकर आम जनता को राहत दें। इस बीच खबर ये भी है कि केंद्र सरकार खुद भी राज्य सरकारों से ये अपील करेगी कि वो पेट्रोल और डीजल पर से वैट के दाम घटाए। इसके लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को खत भी लिखा जाएगा।
खबर के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जल्द ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखेंगे और उनसे अपील करेंगे कि जिस तरह से मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर से एक्साइज ड्यूटी कम की है उसी तरह से वो भी वैट घटाएं। दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार को ये पता है कि वो राज्य सरकारों पर पेट्रोल और डीजल के दामों में वैट की कटौती के लिए दवाब नहीं बना सकती है। सिर्फ उसने अपील ही की जा सकती है। माना जा रहा है कि इसीलिए राज्य सरकारों पर नैतिक दबाव बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी में कटौती की गई है। अब राज्य सरकारें ये नहीं कह पाएंगी कि डीजल और पेट्रोल के दाम केंद्र सरकार की ओर से बढ़ रहे हैं। दाम को कम करना उनके हाथ में भी है।
भारतीय जनता पार्टी ने इस पर पॉलिटिक्ल माइलेज लेते हुए मोदी सरकार के इस कदम की सराहना की है। बीजेपी का कहना है कि मोदी सरकार ने अपना काम कर दिया है। जनता को राहत दे दी है। अब बारी राज्य सरकारों की है। पिछले कुछ महीनों से लगभग हर दिन डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं। ये हाल तब है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम हैं। आलम ये है कि पेट्रोल और डीजल के रोजाना बढ़ते दामों से पेट्रोल की कीमत 2014 के उच्चतम स्तर पर है। महंगाई का ये स्लो पॉइजन हर किसी को परेशान कर रहा है। आम जनता बेहाल है। क्योंकि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते ही ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा बढ़ जाता है। जिससे दूसरी वस्तुओं के दाम भी बढ़ जाते हैं।
जरा डीजल और पेट्रोल पर सरकारी वसूली का खेल भी समझ लीजिए। ऑयल कंपनियां रिफाइनरियों से 26.65 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से तेल खरीदती हैं। इसके बाद 4.05 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और वैट वसूलती है। ये सब मिलाकर पेट्रोल का भाव बैठता है 30 रुपए 70 पैसे। बात यहीं खत्म नहीं होती। इसके बाद फिर से पेट्रोल पर 21 रुपए 48 पैसे प्रति लीटर के हिसाब से अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है। अब जाकर इसका दाम बनता है 51 रुपए 19 पैसे। अब सिर्फ इतना भर से मोदी सरकार इस तेल को आपकी गाड़ी तक तो पहुंचा नहीं सकती है। डीलरों को कमीशन भी देना होता है। कमीशन की ये रकम तीन रुपए 23 पैसे प्रति लीटर होती है। अब बारी आती है राज्यों की। हर राज्य अपने हिसाब से इस पर वैट लगाते हैं। जैसे दिल्ली में 27 फीसदी वैट लगता है। हर राज्य अपने हिसाब से अलग-अलग वैट लगाता है। जिसमें मुनाफा का मुनाफा होता है और राजनीति की राजनीति।