“तीन सालों में कुछ नहीं हुआ” यह “70 सालों में कुछ नहीं हुआ” का नया वर्जन है !

इन पंद्रह सालों में अटल और मनमोहन दोनों की सरकार रही। कल मोदीजी ने कहा कि कोई उन्हें न बोले, क्योंकि पहले भी ग्राेथ रेट कम रही है।

New Delhi, Oct 05 : भारत की जीडीपी ग्रोथ देखें पिछले 15 सालों में। निर्विवाद रूप से अंत के सालों में बहुत खराब काम करने वाली मनमोहन सरकार ने भी मोदी सरकार को 67 जीडीपी ग्रोथ विरासत में। इन पंद्रह सालों में हमने 9 फीसदी और 8 फीसदी से भी अधिक ग्रोथ देखा है। ऐस तब जब हम एक धारणाा-भावना में कहते हैं कि 70 सालों में कुछ नहीं हुआ और देश की सबुह 26 मई 2014 से हुई।

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खैर, यह आंकड़े तथ्य है। इन पंद्रह सालों में अटल और मनमोहन दोनों की सरकार रही। कल मोदीजी ने कहा कि कोई उन्हें न बोले, क्योंकि पहले भी ग्राेथ रेट कम रही है। जेटली ने यशवंत सिन्हा को जवाब देते हुए कहा था कि उन्हें पता है कि अटल सरकार की आर्थिक नीति कारगर थी। मतलब आप जिस अटल-मनमोहन सरकार सिरे से खारिज कर रहे हैं आज उनके सबसे खराब सालों से तुलना कर खुद को बेहतर बताने की लाइन खींच रहे हैं। अगर अच्छे भाषण-आक्रामक भाषण-काउंटर से जीडीपी बढ़ जाती, इकोनॉमी फिक्स हो जाती तो नाना पाटकेर या इरफान खान के पीएम बनने से तो जीडीपी कहां चली जाती, अंदाज लगा लें।

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इन सबके बीच मोदीजी की बात सही है कि हालत उतनी बुरी नहीं है जिनती बतायी जा रही है। यह उतना ही गलत है जितना कहना कि 70 सालों में कुछ नहीं हुआ। बहुत सारे स्टेप लिये भी गये। आगे हालात ठीक भी होंगे। जब दोनों साइड ने अति की दीवार खींच दी तो फिर बीच की लकीर किसे दिखे, कौन देखे। दोनों बात सही हैं कि 70 सालों में भी बहुत कुछ हुआ और पिछले तीन साल भी बुरे नहीं रहे।
खैर,इनके बीच धारणा-भावना अाधारित राजनीति में जिसकी बात सुनी जाय,उसकी बात ही सच मानी जाती है। इस हिसाब से नरेन्द्र मोदी की बात अभी सच मानी जाती है। इकोनॉमी बढ़े न बढ़े। उनकी पॉलिटिकल इकोनॉमी There Is No Opposition के कारण अभी भी ग्रोथ जोन में ही है।
2019 में वह और शिखर पर जाते ही दिख रहे हैं।

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नीचें-चार्ट 15 सालों के जीडीपी का
2000 5.6
2001 6.0
2002 4.3
2003 8.3
2004 6.2
2005 8.4
2006 9.2
2007 9.1
2008 7.4
2009 7.4
2010 7.1
2011 6.8
2012 6.5
2013 5.1
2014 6.9
2015 7.3

(पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)