मोदी जी शुक्र मनाइये, कि आपके पास ‘शल्य’ है !

मोदी जी ने कह तो दिया कि कुछ लोग “शल्य” बने हुए हैं। लेकिन क्या वो जानते हैं कि महाभारत में “शल्य” कौरवों को क्यों हतोत्साहित कर रहे थे ?

New Delhi, Oct 06 : बचपन में एक कहानी सुनी थी। एक बार एक जंगल में पक्षियों की सभा हो रही थी। पक्षीराज सभा की अध्यक्षता कर रहे थे। पक्षीराज ने पूछा : सुना है कि जंगल में पानी की बहुत कमी हो रही है, चील कौव्वों का आतंक बहुत बढ़ गया है।सारा पानी वो पी जाते हैं और जनता कह रही है कि हमें ये स्थान बदलना चाहिए। पहले पक्षीमंत्री उठे और बोले : नहीं महाराज ! ये सत्य नहीं है। आपके कुछ विरोधियों ने भ्रम फैला रखा है।

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पक्षीराज खुश हुए । ख़ुशी में वो एक ऊंची डाल पर बैठ गए और उन्होंने दूसरा सवाल किया : सुना है कि आम पक्षियों को भोजन हासिल करने में भी दिक़्क़त हो रही है,चील – कौव्वों ने हमारा भोजन भी नहीं छोड़ा , लिहाज़ा स्थान बदलने का सुझाव सही है। ये सुनकर दूसरे पक्षीमंत्री उठे और बोले कि महाराज ये बात भी सत्य से परे है। भला आपके राज में भोजन की कमी किसे हो सकती है।
ये सुनकर ख़ुशी से गदगद पक्षीराज और ऊंची डाल पर चले गए। उन्होंने तीसरा सवाल किया : सुना है कि चील कौव्वे हमारी प्रजा पर आक्रमण भी करते हैं और कई पक्षी राज्य से दूर जाने की सोच रहे हैं।तभी तीसरे पक्षी मंत्री उठे और बोले कि महाराज ! आप जैसे सर्वशक्तिमान के होते हुए कोई भी इतना दुस्साहस कैसे कर सकता है? पूरी प्रजा में सुकून है। ये सुनते ही सभा में तालियां बजने लगी।

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पक्षीराज की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर बैठकर भाषण देने लगे – हम जानते थे कि हमारे राज्य में ना कोई प्यासा मर सकता है और ना ही कोई भूखा मर सकता है।हमारे रहते हुए किसी की भी जान को कोई खतरा नहीं है क्योंकि अब पूरे जंगल को पता है कि इन दिनों पक्षीराज कौन है।
तभी एक चील तेज़ी से उड़ता हुआ आया और सबसे ऊपर बैठे पक्षीराज को झपटा मार कर अपने साथ ले उड़ा। पक्षीराज की कहानी हमेशा के लिए खत्म।

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इस कहानी का संदेश क्या है और इसे लिखने का आशय क्या है ? ये आप भी समझ ही रहे होंगे। दिक़्क़त ये है कि ऐसी कहानियाँ बचपन में सुनने-पढ़ने के बाद भी जब हम बड़े होते हैं तो इनका संदेश भूल जाते हैं। भारतीय राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि 2004-2014 तक का यूपीए का पूरा दशक ऐसी ही पक्षीराज और पक्षी मंत्रियों से भरा हुआ था । राहुल-सोनिया जैसे पक्षीराज की दुर्गति का कारण भी यही सब पक्षी मंत्री बने।
2014 के बाद अब तक़रीबन वही ग़लती नरेंद्र मोदी भी कर रहे हैं। मोदी जी को ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिये कि उनकी पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में यशवंत सिन्हा या कहें “शल्य” जैसे लोग हैं , जो उन्हें ग़लतियों पर टोक भी रहे हैं और सही रास्ता भी दिखा रहे हैं।वर्ना पक्षीमंत्रियों की फ़ौज उनके पास भी कम नहीं है।

मोदी जी ने कह तो दिया कि कुछ लोग “शल्य” बने हुए हैं। लेकिन क्या वो जानते हैं कि महाभारत में “शल्य” कौरवों को क्यों हतोत्साहित कर रहे थे ? शल्य ऐसा इसलिए कर रहे थे क्योंकि राजा होते हुए भी उन्हें गुमराह करके कर्ण का सारथी बना दिया गया था, जो कि पद और क़द दोनों में शल्य से बहुत छोटा था। उचित सम्मान नहीं मिलने की वजह से ही शल्य बाग़ी बने थे।
महाभारत में हुआ “ शल्य “ का अपमान अब भारत में भी उसी तरह बदस्तूर जारी है। सोचने वाली बात है ये कि भारत का ये शल्य क्या चाहता है ? सिर्फ इतना कि उसकी बात सुनी जाए , उसकी बात पर मनन किया जाए और कुछ हल ढूँढा जाए।लेकिन कोई तीन साल तक अगर शल्य से मिलेगा भी नहीं , बात भी नहीं करेगा और जब शल्य कुछ कह देगा तो अपने पक्षी मंत्रियों से उस पर हमला करवा देगा तो याद रखना- ऐसी कहानियों का अंत तभी होता है जब एक दिन अचानक पक्षीराज को कोई चील उठाकर चला जाता है।

(वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी के ब्लॉग से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)