देह से ज़बर्दस्ती ख़ून मत निकालो सरकार !

सरकार को यह समझना होगा कि आलोचना करने वाले सारे लोग निराशा या नकारात्मकता फैलाने वाले लोग नहीं हैं।

New Delhi, Oct 07 : मोदी सरकार फेल हो जाए, ऐसा उसके राजनीतिक विरोधी चाहते होंगे, हम सामान्य नागरिक और निष्पक्ष लोग ऐसा नहीं चाहते। हमने मनमोहन सरकार के फेल होने की भी कामना नहीं की थी। चाहे किसी भी पार्टी, किसी भी नेता की सरकार हो, हम चाहते हैं कि वह ठीक से काम करे और देश के लोगों का भला हो।

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इसीलिए हम मनमोहन सरकार की भी आलोचना करते थे और मोदी सरकार की भी आलोचना करते हैं। और इसीलिए पूर्वाग्रह के आधार पर हम न तो मनमोहन सरकार की आलोचना कर रहे थे, न मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। इसलिए सरकार को यह समझना होगा कि आलोचना करने वाले सारे लोग निराशा या नकारात्मकता फैलाने वाले लोग नहीं हैं।
लोकतंत्र में तो विरोधियों की आलोचना को भी स्वस्थ भाव से लिया जाना चाहिए, फिर अगर सामान्य नागरिकों और निष्पक्ष लोगों की आलोचना को भी निराशा और नकारात्मकता फैलाने के प्रयास के तौर पर लिया जाएगा, तो इससे केवल और केवल पतन का ही रास्ता प्रशस्त होगा।

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किसी भी नेता को यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि लोग उनके चेहरे से मोहब्बत करते हैं, इसलिए उनकी हर बात जनता को कबूल होगी। जनता यह देखेगी कि आपने कैसा काम किया और उम्मीदों पर कितने खरे उतरे। हमने पहले भी कहा था कि लोग मोदी के पीछे नहीं हैं, सपनों और उम्मीदों के पीछे हैं। इसलिए जो सपने आपने लोगों में जगाए थे, उन्हें टूटने न दें।
यशवंत सिन्हा ने भी हाल फिलहाल सरकार की जो आलोचना की है, उसे मैं इस रूप में नहीं देखता कि वह एक कुंठित या कुर्सी न मिलने से नाराज़ नेता की आलोचना है। यशवंत सिन्हा ने सही समय पर सरकार की आलोचना करके अपने लोकतांत्रिक और नागरिक दायित्व का निर्वाह किया है।

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यह अच्छी बात है कि मोदी ने ताज़ा आलोचनाओं के बाद कुछेक कदम उठाए हैं, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा है। जीएसटी के इम्प्लीमेंटेशन में दी गई ताज़ा राहत का हम स्वागत करते हैं। पेट्रोल और डीज़ल को भी जीएसटी के दायरे में लाने का प्रयास होना चाहिए और जब तक ऐसा नहीं होता, आप अनाप-शनाप एक्साइज़ ड्यूटी वसूसने का प्रयास नहीं करें।
शरीर में ख़ून रहेगा, तभी लोग रक्तदान करेंगे। ख़ून की कमी वाले लोगों के शरीर में जबरन इंजेक्शन डालकर ख़ून निकालने का प्रयास करेंगे, तो लोग ऐसा नहीं होने देंगे। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाइए मोदी जी!
इस वक्त अनेक सेक्टरों में मंदी छाई है। लोग माथा पकड़कर बैठे हैं। उनकी चिंताएं और परेशानियां दूर कीजिए। टैक्स रिफॉर्म के नाम पर आप न तो सारे लोगों को बेईमान कह सकते हैं, न उन्हें परेशान कर सकते हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)