लालू यादव पर CBI का शिकंजा, घबराया विपक्ष, सबको याद आया अपना अतीत !

लालू यादव और उनके कुनबे के खिलाफ सीबीआई का कसता शिकंजा विपक्ष के लिए घबराहट का कारण बन रहा है। सबको अपनी बारी आने का डर सताने लगा है।

New Delhi, Oct 07: भगदड़, घबराहट, परेशानी, बेचैनी ये तमाम शब्द आज की राजनीति में विपक्ष के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ऐसा क्यों है, बड़ा सवाल ये है कि विपक्ष के नेता क्यों इन शब्दों के जाल में खुद को असहाय पा रहे हैं। दरअसल इन सबकी शुरूआत लालू यादव से होती है, वो लालू जिनको भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार का शिखर पुरुष माना जाता है। जो एक घोटाले के दोषी करार दिए जा चुके हैं, जिनके चुनाव लड़ने पर रोक लगी हुई है। लालू के खिलाफ जिस तरह से सीबीआई और दूसरी जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है, वो एक संकेत है पूरे विपक्ष के लिए। इस संकेत को विपक्ष के नेता समझ रहे हैं। लालू के बेटे तेजस्वी और बेटी मीसा के खिलाफ भी शिकंजा कस रहा है।

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लालू यादव भले ही ये कहते रहें कि उनको राजनीतिक बदले की भावना के कारण फंसाया गया है, लेकिन उनका इतिहास देख कर कोई उनकी बात पर यकीन नहीं करेगा, लालू यादव के खिलाफ जिस तरह से केंद्रीय जांच एजेंसियां काम कर रही है उस से विपक्ष के अंदर सीबीआई और ईडी का खौफ घर कर गया है। अभी तक ये माना जाता रहा है कि सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल केंद्र सरकारें राजनीतिक विरोधियों को काबू में करने के लिए करती हैं। लेकिन मोदी सरकार के दौरान ये एजेंसियां आरोपियों के खिलाफ एक्शन ले रही हैं। मामले को लटका नहीं रही हैं। लालू के अलावा जितने भी विरोधी दलों के नेता हैं जिनके खिलाफ सीबीआई या फिर ईडी की जांच चल रही है वो सब अब डरे हुए हैं।

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अखिलेश यादव जो ताजा ताजा सियासी बेरोजगार हुए हैं, वो भी केंद्र सरकार पर सीबीआई और ईडी के जरिए डराने का आरोप लगा रहे हैं। उनको भी डर लग रहा है, इसका कारण ये है कि योगी सरकार ने अखिलेश राज के दौरान हुई नियुक्तियों को लेकर सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा यादव सिंह प्रकरण में अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव की भूमिका की भी जांच हो रही है। अब कांग्रेस के नेता कैसे पीछे रह सकते हैं। यूपीए सरकार के दौरान घोटालों का एक अलग ही चैप्टर खुल गया था। अब कांग्रेस के कई नेता सीबीआई और ईडी की जांच में फंसे हुए हैं। हिमाचल के सीएम वीरभद्र सिंह, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ये सभी सीबीआई के घेरे में हैं।

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इनके अलावा अरविंद केेजरीवाल, मायावती, ममता बनर्जी, रॉबर्ट वाड्रा, कई लोग हैं जिनके खिलाफ सीबीआई जांच कर रही है। ये सभी इस बात का आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार उनके खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से काम कर रही है। सीबीआई का गलत इस्तेमाल कर रही है। सियासी तौर पर देखा जाए तो एक सरकार के खिलाफ शायद ये पहला मौका है जब तमाम विपक्ष लामबंद होने की कोशिश कर रहा है। बीजेपी को पहलेे से सियासी तौर पर अछूत माना जाता था। मोदी के पीएम बनने के बाद से जिस तरह से विरोधी दलों की हवा खराब हुई है, और जिस तरह से उनके अतीत के काले पन्नों को निकाल कर सामने लाया जा रहा है वो सब घबराए हुए हैं। लालू का हश्र देख कर विपक्ष का घबराना लाज़मी भी है। सवाल ये है कि इस समस्या से विपक्ष के नेता बाहर कैसे निकलेंगे।