डोकलाम पर फंस गए राहुल गांधी, विदेश मंत्रालय ने कर दी बोलती बंद !
डोकलाम में चीनी सैनिकों की मौजूदगी को लेकर राहुल गांधी ने मोदी पर हमला किया था। उनके हमले की हवा विदेश मंत्रालय के एक बयान ने निकाल दी है।
New Delhi, Oct 07: डोकलाम विवाद को लेकर चीन की काफी किरकिरी हुई थी। भारत ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। इस विश्व स्तर पर भारत की साख मजबूत हुई थी। पीएम मोदी ने भी इसका जिक्र किया था। हालांकि शायद कुछ लोगों की इस बात पर शक है कि भारत ने चीन को पीछे हटा दिया है। उनका यही मानना है कि चीन को इतनी आसानी से नहीं मजबूर किया जा सकता है। वो पलटवार जरूर करेगा। राहुल गांधी ने इसी को लेकर मोदी सरकार पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि डोकलाम को लेकर मोदी जी अपनी छाती ठोंकना बंद करें, डोकलाम में फिर से चीनी सैनिक जमा हो रहे हैं।
राहुल गांधी ने बड़े जोर शोर से ये मुद्दा उठाया था। लेकिन उनके ये मुद्दा उठाते ही इसकी हवा निकल गई। हवा निकालने का काम किया है भारत के विदेश मंत्रालय ने। विदेश मंत्री ने डोकलाम विवाद को लेकर बयान जारी किया है। जिसके मुताबिक वहां पर चीनी सैनिक नहीं जमा हो रहे हैं। यथास्थिति बरकरार है। 28 अगस्त के बाद से ही वहां पर हालात सामान्य हैं। कोई सड़क निर्माण नहीं हो रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की जो भी खबरें आ रही हैं वो निराधार हैैं। अब विदेश मंत्रालय के इसस बयान से साफ है कि राहुल हमला करने में गलती कर गए हैं, वो फिर से अपने ही बयान में फंस गए हैं।
बता दें कि मीडिया में जो खबरें आई थी उसके मुताबिक डोकलाम के पास फिर से चीनी सैनिकों का जमावड़ा शुरू हो गया है। जिस सड़क को लेकर विवाद हुआ था, उसका निर्माण फिर से शुरू हो गया है। मुख्य जगह से लगभग 12 किलोमीटर दूर सड़क के चौड़ीकरण का काम चीनी सेना द्वारा किया जा रहा है। इसी खबर को आधार बना कर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि अगर ये खबर सही है तो मोदी जी अपनी छाती ठोंकना बंद करें औऱ जनता को सच्चाई बताएं। वहीं कांग्रेस के नेताओं ने भी मोदी पर हमला किया था। अब ये साफ हो गया है कि डोकलाम में यथास्थिति बरकरार है तो क्या राहुल अपने बयान पर सफाई देंगे।
वैसे डोकलाम विवाद के दौरान राहुल की चीनी राजदूत से मुलाकात भी विवाद का कारण बनी थी। पहले तो कांग्रेस ने ये मानने से ही इंकार कर दिया था कि राहुल ने चीनी राजदूत से मुलाकात की है। लेकिन बाद में ये कहते हुए मान लिया था कि चीनी राजदूत से मुलाकात करने में क्या गलत है। अगर गलत नहीं है तो पहले इंकार क्यों किया। कुल मिलाकर राहुल लगातार इस तरह के बयान दे रहे हैं जिनके कारण लोग उन पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। वो एक विश्वसनीय राजनेता की छवि नहीं बना पा रहे हैं। अब डोकलाम विवाद पर उनके आरोप की हवा विदेश मंत्रालय ने भी निकाल दी है।