एक छात्र अपने स्कूल पहुंचा, या एक प्रधानमंत्री, या वोट का तलबगार ?

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार अपने वडनगर पहुंचे, वहां पर वो अपने स्कूल भी गए, वहां की मिट्टी को नमन किया, ये भावनाओं के साथ जुड़ा है।

New Delhi, Oct 08: गुजरात का चुनाव इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण होने वाला है। फिलवक्त जितनी भी सियासी सरगर्मियां चल रही हैं उनके केंद्र में गुजरात चुनाव ही है। इस से पहले तक गुजरात में बीजेपी के सामने कोई खास मुश्किल नहीं आती थी। नरेंद्र मोदी का नाम ही काफी होता था। बतौर मुख्यमंत्री गुजरात के विकास का मॉडल तैयार किया था मोदी ने। मगर अब वो देश के प्रधानमंत्री हैं। राज्य में बीजेपी कमजोर दिखाई दे रही है। राहुल गांधी ने गुजरात को मथ डाला है। शायद यही कारण है कि अब नरेंद्र मोदी भी गुजरात का ताबड़तोड़ दौरा कर रहे हैं। पिछले एक महीने में वो तीसरी बार गुजरात पहुंचे हैं।

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हर बार मोदी के आगमन पर राज्य को तोहफे दिए जा रहे हैं। योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया जा रहा है। पीएम बनने के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी अपने गृहनगर  वडनगर पहुंचे हैं। यहां पर उनके स्वागत के लिए उनके बचपन की तस्वीरों को लगाया गया है। मोदी अपने स्कूल भी पहुंचे, वहा की मिट्टी को नमन किया। इस दौरान कई सवाल मन में उठ रहे हैं। स्कूल पहुंच कर मिट्टी को नमन करने वाला कौन है। एक छात्र है, एक प्रधानमंत्री है या फिर वोट का तलबगार है। ये लाजमी है कि मोदी अपने राज्य के लोगों को ये यकीन दिलाना चाह रहे हैं वो पीएम बाद में हैं, पहले गुजराती हैं। ये कनेक्शन भावनात्मक स्तर पर काम करता है।

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वडनगर के बीएन हाईस्कूल में पीएम मोदी की मिट्टी को नमन करने की छवि हमेशा के लिए गुजराती लोगों के मन में कैद हो गई है। इसके आगे राहुल गांधी के हमले बेअसर हैं। इसके आगे सियासी वार बेकार हैं। मोदी जानते हैं कि गुजरात के लोगों के दिलों तक कैसे पहुंचा जाए। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मोदी ने अपने स्कूल की मिट्टी को नमन किया तो वहां पर लोगों की भारी भीड़ ने एक सुर में मोदी के नाम का शोर मचा दिया। ये सबूत हैै कि मोदी और गुजरात एक दूसरे के पूरक हैं। इसी से ये भी साफ हो जा रहा है कि मोदी वहां पर बीजेपी के वोटबैंक को मजबूत करने के लिए गए हैं।

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वडनगर के साथ मोदी का संबंध जितना पुराना है उतना ही रोमांचकारी भी है। इसी की कहानियां मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले सुनाया करते थे। अब उनके दौरे से पहले जिस तरह से पूरे वडनगर को मोदी की बचपन की तस्वीरों से पाट दिया गया था वो एक संकेत है। बीजेपी और मोदी बाखूबी जानते हैं कि इस तरह की छवियों पर राजनीति नहीं होती है। अगर विरोधी इस पर हमला करते हैं तो उसका फायदा मोदी को ही होगा। कुल मिलाकर मोदी ने खुद की ऐसी छवि पेश की है जिसके बाद कांग्रेस का हालिया हमले बेअसर होते दिख रहे हैं। भावनाओं के साथ जुड़ाव मोदी की खासियत है। वो एक रिश्ता कायम करते हैं। अब देखना है कि कांग्रेस इस भावनात्मक वार का जवाब किस तरह से देती है।