अन्‍ना हजारे का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अब तक का सबसे बड़ा वार, बता दिया धोखेबाज

अन्‍ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और खुला खत लिखा है। जिसमें उन्‍होंने पीएम को जनता के साथ धोखाधड़ी करने वाला बताया है।

New Delhi Oct 10 : समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक और खुला खत लिखा है। जिसका मजमूम कुछ इस तरह है कि ‘सरकार या प्रधानमंत्री ही जनता के साथ धोखाधडी करने लगे तो इस देश और समाज का क्या उज्वल भविष्य रहेगा ?’ इसी शीर्षक के साथ अन्‍ना हजारे से अपने खत की शुरुआत की है। अन्‍ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने खुले खत में क्‍या कुछ कहा है आप खुद ही पढ़ लीजिए। वो भी अक्षरश:। अन्‍ना हजारे ने अपने खत में लोकपाल, लाेकायुक्‍त के अलावा भ्रष्‍टाचार के मसले को भी उठाया है। अन्‍ना हजारे का खत पढ़ाने से पहले हम आपको बता दें कि अभी दो अक्‍टूबर को यानी गांधी जयंती के दिन अन्‍ना ने दिल्‍ली के राजघाट में एक दिन का सत्‍याग्रह भी किया था। तो चलिए प‍ढ़ लीजिए कि उन्‍होंनें क्‍या लिखा अपने खुले खत में।

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लोकपाल, लोकायुक्त जैसे कानून जो कानून जनता को जल्‍द गति से किफायतशीर न्याय दे सके। शासन-प्रशासन मे बढ़ते भ्रष्टाचार को नियंत्रण में लाये। शासन-प्रशासन में बढ़ते अनियमितताओं और मनमानी को प्रतिबंध लगे। स्वच्छ शासन और प्रशासन निर्माण हो। शासन और प्रशासन जनता को जवाबदेही हो। क्यों की जनता इस देश कि मालिक है। शासन-प्रशासन में बैठे सभी लोग जनता के सेवक है। शासन-प्रशासन व्यवस्था लोकतांत्रिक हो। इसलिए सरकार के काम मे जनता का सहभाग ऐसे ना कहते हुए लोगों के काम मे सरकार का सहभाग हों। यह परिवर्तन लाने की शक्ती शक्ती लोकपाल, लोकायुक्त कानून में हैं। साथ साथ लोकपाल, लोकायुक्त पर सरकार का नियंत्रण ना रहते हुए जनता का नियंत्रण रहे। इसलिए प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्री, सांसद, विधायक, सभी अधिकारी, कर्माचारी लोकपाल, लोकायुक्त के दायरे में होने चाहिए। अगर जनता ने सबुत के साथ शिकायत कि तो लोकपाल इन सबकी जाँच कर सकता है। दोषी मिलने पर सजा हो सकती है। इसलिए किसी भी पक्ष-पार्टी लोकपाल, लोकायुक्त कानून लाना नहीं चाहती।

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हमारी टीम ने लोकपाल, लोकायुक्त कानून का बहुत अच्छा मसौदा बनाया था। उससे देश के भ्रष्टाचार पर सौ प्रतिशत नहीं लेकिन 80 प्रतिशत से जादा रोक लगनी थी। इसलिए 2011 में पुरी देश की जनता लोकपाल, लोकायुक्त कानून की मांग को ले कर रास्ते पर उतर गई थी। और तत्कालीन प्रधानमंत्री, उनकी सरकार और संसद ने जनता को लिखित आश्वासन दिया था की, हम लोग जल्द ही एक सशक्त लोकपाल, लोकायुक्त कानून पारित करेंगे। उस वक्त लोकसभा का अधिवेशन चल रहा था। जनता की तरफ से हमारी टीम ने जनता की सनद, हर राज्योंमें लोकायुक्त और क्लास 1 से 4 तक सभी अधिकारी, कर्मचारी लोकपाल, लोकायुक्त के दायरे में लाना, इन तीन मुद्दों को संसद में पारित किजिए, तब मै मेरा अनशन वापस लेता हूँ ऐसा बताया था। उसके बाद रात को एक बजे तक संसद का सत्र चलाया गया। बहस कर के इन तिनों मुद्दों पर संसद के दोनो सदनों में सर्व सम्मतीसे रिज्योलेशन पारित कर दिया। प्रधानमंत्रीजी ने लिखित आश्वासन दिया कि, तीनो मुद्दे दोनों सदनों ने सर्व सम्मती से पारित किए है। उसके बाद देश की जनता ने आंदोलन वापस लिया और मैने अपना अनशन तोड दिया।

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संसद के दोनों सदनों ने सर्व सम्मती से रिज्योलेशन पारित हो किया था। लेकिन सरकार कार्यवाही नहीं कर रही थी। यह इस सरकार और प्रधानमंत्री कि पहली धोखाधडी रही।  इसलिए मैने 10 दिसंबर 2013 को रालेगणसिद्धी में फिर से आंदोलन शुरू किया। उसके बाद सरकार जाग गयी। और 17 दिसंबर 2013 को लोकपाल लोकायुक्त विधेयक को राज्यसभा में रखा गया। दोनों सदनों ने सर्व सम्मतीसे पारित भी किया गया। वास्तविक रूप से बिल को राज्यसभा में फिर से रखने कि जरूरत नहीं थी। फिर भी बिल को सदन में रखते हुए राज्योंमें लोकायुक्त स्थापना से संबंधित सभी धारायें हटा दी गई। और उस सरकारने लोकायुक्त कानून को कमजोर कर दिया। देश की जनता के साथ धोखाधडी किया। क्या यह दोनों संसद का अपमान नहीं है? उन्होंने भी जनता को बार बार बताया था कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है, कटीबद्ध है। फिर भी जनता के साथ धोखाधडी किया।

2014 में अब आज की नई सरकार सत्ता में आई। पहले सरकार ने लोकपाल, लोकायुक्त कानून कमजोर किया था। लेकिन जो कुछ बचा हुआ कानून था वह नई सरकार लागू करेगी ऐसे लगा था। लेकिन नई सरकारने भी 18 दिसंबर 2014 को और एक संशोधन बिल संसद में पेश किया। वह सिलेक्ट कमिटी के पास भेजा गया। सिलेक्ट कमिटीने अच्छे सुझाव देने के बाद भी यह बिल अब तक प्रतिक्षित रखा गया हैं। वह तुरन्त पारित करना चाहिए था। लेकिन नही किया गया। सिलेक्ट कमेटी के अच्छे सुझावओंको नहीं लेते हुए सिर्फ धारा 44 में बदलाव किया गया। उसके बाद 27 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने अपने विशेषाधिकार के जरिए लोकसभा में लोकपाल, लोकायुक्त (संशोधन) बिल 2016 पेश किया। कानून की धारा 44 में बदलाव कर के इस कानून को कमजोर करने की और एक कोशिश की गयी। विशेषता यह हैं की, बिल 27 जुलाई को लोकसभा मे रखा और कोई बहस ना करते हुए केवल ध्वनी मत से एक दिन में पास किया गया। दुसरे दिन 28 जुलाई 2016 को राज्यसभा में रखा और फिर बिना बहस ध्वनी मत से पारित किया गया।  29 जुलाई 2016 को राष्ट्रपतीजी के पास भेजा और राष्ट्रपतीजी ने तुरन्त उसी दिन बिल पर हस्ताक्षर किए। इस तरह लोकपाल, लोकायुक्त कानून को तोडमोड करनेवाला कानून सिर्फ तीन दिन में बनाया गया।

लोकपाल, लोकायुक्त कानून बनाने में पांच साल में नहीं हो सकता। लेकिन इस कानून को तोडमोड करनेवाला बिल तीन दिन में बनता है। यह देशवासियों के साथ बहुत बडी धोखाधडी है। इस प्रकार को देखते हुए लगता है कि, प्रधानमंत्री हम जनता को कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार मुक्त भारत का संकल्प करो। ऐसे स्थिती में जनता उनपर कैसे विश्वास करें? फोर्बज् का रिपोर्ट कहता हैं कि, आज की तारिख में भारत भ्रष्टाचार में पुरे एशिया में पहले स्थान पर हैं। मेरा तो इस प्रधानमंत्रीजी के बातों पर का विश्वास ही उड़ गया है। बड़ी आशा से मैं इनकी तरफ देख रहा था। इसलिए तीन साल में इनके बारे में कुछ बोला नहीं। सिर्फ चिठ्ठी लिखते रहां। याद दिलाते रहां। इन सभी बातों को देशवासियों के सामने रखने के लिए मैं नए साल में जनवरी के आखरी सप्ताह में या फरवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली में आंदोलन करने जा रहा हूँ।
धन्यवाद।
दि. 10/10/2017
रालेगणसिद्धी
भवदीय,
कि. बा. तथा अन्ना हजारे