सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बलात्‍कार होगा नाबालिग पत्नी से संबंध बनाना

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला देश में बड़ा परिवर्तन लाएगा। खासतौर पर उस सोच को चोट पहुंचेगी जो ब‍ेटियों को बोझ समझकर फटाफट उनकी शादी कर देते हैं।

New Delhi Oct 11 : बेटियों को लेकर देश में तमाम कंपेन चलाए जाते हैं। कन्‍या भ्रूण हत्‍या के खिलाफ जागरुकता अभियान चलता है। बेटी बचाने और बेटी पढ़ाने का कंपेन चलता है। बेटियों को बेटे के बराबर का दर्जा देने की वकालत की जाती है। उनकी कम उम्र में शादी ना करने को लेकर अभियान चलाया जाता है। लेकिन, इन सब के बाद भी देश में अभी भी ऐसे लोगों की बड़ी आबादी है जिनकी सोच अपनी बेटियों के प्रति नहीं बदली है। वो आज भी बेटियों को बोझ मानते हैं और जल्‍द से जल्‍द उनकी शादी कर पराए घर भेज देेते हैं। लेकिन, इस तरह की सोच पर अब सुप्रीम कोर्ट का डंडा चल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्‍पष्‍ट तौर पर कह दिया है कि अगर नाबालिग पत्‍नी से भी पति शारीरिक संबंध स्‍थापित करता है तो वो बलात्‍कार ही कहलाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट का ये बड़ा फैसला बुधवार को ही आया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना बलात्‍कार है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सहमति से शारीरिक संबंध बनाने  की उम्र को कम नहीं किया जा सकता है। ऐसे में अगर कोई 15 साल से 18 साल तक की पत्‍नी से भी शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे बलात्‍कार की श्रेणी में ही रखा जाएगा। पीडि़त पत्‍नी पुलिस से शिकायत कर सकती है। सबसे खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश और प्रावधान को पोक्‍सो के साथ जोड़ा है। यानी अगर कोई व्‍यक्ति अपनी नाबालिग पत्‍नी से शारीरिक संबंध बनाता है तो उसके खिलाफ बलात्‍कार के साथ-साथ पोक्‍सो एक्‍ट के तहत भी मुकदमा चलेगा।

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इस मामले में कानून और उसकी धाराएं क्‍या कहती हैं जरा इसको भी समझ लीजिए। दरअसल आईपीसी की धारा 375 (2) का अपवाद कहता है कि अगर काई व्‍यक्ति अपनी नाबालिग पत्‍नी से शारीरिक संबंध बनाता है यानी अगर उसकी उम्र 15 से 18 के बीच है तो उसे दुष्‍कर्म नहीं माना जाएगा। देश की सामाजिक परिस्थितियों केा देखते हुए केंद्र सरकार ने भी कभी आईपीसी की धारा 375 (2) के इस अपवाद को नहीं छेड़ा। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने स्‍पष्‍ट तौर पर कह दिया है कि सहमति से भी शारीरिक संबंध बनाने की उम्र को कम नहीं किया जा सकता है। इसलिए इसे बलात्‍कार की श्रेणी में ही रखा जाएगा। जैसा की सभी को मालूम है कि देश में लड़कियों की शादी के लिए न्‍यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 बरस रखी गई है।

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लेकिन, देश के कई हिस्‍सों में आज भी बाल विवाह की प्रथा है। आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े समाज में ये सारी बातें सबसे ज्‍यादा देखने को मिलती हैं। ऐसी जगहों पर लड़की 14 की भी नहीं हो पाती है और उसके हाथ पीले कर दिए जाते हैं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने अब ऐसी लड़कियों को ये अधिकार दे दिया है कि अगर उनके मां-बाप कम उम्र में भी उनकी शादी कर देते हैं तो वो कानून की मदद ले सकती हैं। क्‍योंकि इस तरह के केस में अब दोहरा अपराध होगा। एक तो बाल विवाह का अपराध दूसरे नाबालिग पत्‍नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का गुनाह। जाहिर सी बात है कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला देश में बड़ा परिवर्तन ला सकता है। बशर्ते सभी लोग कानून के प्रति सजग और जागरूक हों।