आडवाणी के बाद अब बीजेपी से मुरली मनोहर जोशी भी आउट

मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में हैं। कानपुर से सांसद भी हैं। लेकिन, पार्टी के नेताओं ने अब उन्‍हें पोस्‍टरों के काबिल भी नहीं समझा है।

New Delhi Oct 12 : कहते हैं अच्‍छा और बुरा वक्‍त हर किसी के साथ आता है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आडवाणी की स्थिति क्‍या है हर कोई जानता है। पार्टी में वो साइड लाइन चल रहे हैं। उन्‍हें पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया जा चुका है। यही हाल पार्टी के दूसरे बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी का भी है। मुरली मनोहर जोशी भी पार्टी में साइड लाइन हो चुके हैं। नेता जी कानपुर से सांसद हैं और कानपुर में ही भारतीय जनता पार्टी की कार्य समिति की मीटिंग है। लेकिन, नेताओं ने उन्‍हें अब पोस्‍टर में भी जगह देने के काबिल नहीं समझा है। बीजेपी कार्य समित‍ि की मीटिंग को लेकर पूरे शहर में ढेरों पोस्‍टर लगे हुए हैं। लेकिन, ज्‍यादातर पोस्‍टरों से वो गायब हैं।  

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या कहें किसी भी पोस्‍टर में उनकी तस्‍वीर नजर नहीं आ रही है। कानपुर में जो पोस्‍टर लगे हुए हैं। उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हैं। इसके अलावा मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, उपमुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा के भी ढेरों पोस्‍टर लगे हुए हैं। प्रदेश अध्‍यक्ष महेंद्र नाथ पांडे को भी पोस्‍टरों में खूब जगह मिली है। बस कहीं कोई नहीं दिख रहा है तो वो हैं मुरली मनोहर जोशी। दरसअल, यहां कुछ बातें हैं जिन पर गौर करने की जरूरत है कि आखिर ऐसा क्‍यों हो रहा है। लालकृष्‍ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मोदी का विरोधी माना जाता है। दोनों ही बुजुर्ग नेता कई मसलों पर अपनी ही सरकार की किरकिरी करा चुके हैं।

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तमाम लोग ऐसा मानते हैं कि वक्‍त के साथ जो बदलाव आने चाहिए वो बदलाव इन नेताओं में नहीं आए। जिस वक्‍त भारतीय जनता पार्टी में राष्‍ट्रपति के नाम पर चर्चा चल रही थी उस वक्‍त भी लालकृष्‍ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम इस रेस में श‍ामिल था। लेकिन, राष्‍ट्रपति चुनाव से पहले ही एक बार फिर से राम मंदिर का केस इन नेताओं के लिए गले की फांस गया था। जिसके चलते पार्टी इनका नाम आगे नहीं बढ़ा पाई। दूसरी बात ये भी है कि मुरली मनोहर जोशी सरीखे नेताओं को अब भी बहुत सी बातों का गुरूर है। जो इस उम्र में उन्‍हें शोभा नहीं देता है। वो कानपुर के सांसद हैं। लेकिन, हकीकत ये है कि कानपुर की जनता ही उनसे खुश नहीं हैं। मोदी लहर ना होती तो मुरली मनोहर जोशी का चुनाव जीतना भी मुश्किल हो जाता।

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कानपुर की जनता की हमेशा से ये शिकायत रही है कि वो अपने सांसद महोदय के दर्शन तक नहीं कर पाते हैं। काम की बात तो बहुत दूर की है। राजनीति से जुड़े हर व्‍यक्ति को ये बात बहुत अच्‍छे से मालूम हैं कि पार्टी के किसी भी कार्यक्रम के लिए पोस्‍टरबाजी बड़े नेता नहीं बल्कि उनके चेले चपाटी करते हैं। कानपुर में अगर मुरली मनोहर जोशी के पोस्‍टर नहीं लगे हैं तो इसका मतलब साफ है कि यहां के स्‍थानीय नेता भी उन्‍हें पसंद नहीं करते हैं। ऐसा क्‍यों हैं। इस बारे में खुद जोशी जी को भी विचार करने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि मुरली मनोहर जोशी अपने संसदीय क्षेत्र में होने वाली पार्टी की कार्यसमिति की मीटिंग के लिए अपने किसी समर्थक से कहते कि सौ-पचास पोस्‍टर लगवा दो तो वो ना लगवाते।