बुढ़ापे में राजनीति क्यों नहीं करनी चाहिए, सीखिए यशवंत सिन्हा से !
यशवंत सिन्हा अटल सरकार में वित्त मंत्री थे, मोदी सरकार में उनको जगह नहीं मिली तो वो उन्होंने दिल पर ले लिया, उसकी कसर वो अब निकाल रहे हैं।
New Delhi, Oct 12: चलो अब कुछ अलग बात करते हैं, आपको कुछ बताते हैं, बहुत ज्ञान की बात कर रहे हैं। काहे कि ज्ञान की गंगा तो आज कल सोशल मीडिया से ही निकलती है, इस गंगा में हमने भी हाथ धोने की कोशिश की है। इसी गंगा से कुछ काम की बातें समझ में आई हैं। सबसे पहली बात तो ये है कि बुढ़ापे में राजनीति क्यों नहीं करनी चाहिए। क्यों नहीं करनी चाहिए, इसके बारे में आप यशवंत सिन्हा से सीख सकते हैं। अकॉर्डिंग टू सोशल मीडिया इंस्टीट्यूट ऑफ ज्ञान बुढ़ापे में राजनीति करके क्यों अपनी फजीहत करवाना। जिंदगी भर जो कमाया है उसे उम्र बढ़ने के साथ खोना कौन चाहेगा। यशवंत जी ने तो सब करके देख लिया।
यशवंत सिन्हा ने बीजेपी पर आरोप लगाए हैं, मोदी सरकार पर निशाना साधा है। वो कहते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी को सही से लागू नहीं किया गया। जिसके कारण लोगों को परेशानी हुई. यही बातें तो कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष कर रहा था, उस समय तो बीजेपी को कोई दिक्कत नहीं हुई लेकिन जैसे ही बिहारी बाबू ने हमला किया तो बीजेपी की तरफ से पलटवार में सामने आ गए खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली, जिनकी नीतियों का आलोचना सिन्हा करते रहते हैं। इस से ये संकेत भी मिलता है कि दोनों के बीच कोई पुरानी सियासी अदावत है। जैसे हम लोग नहीं कहते हैं कि कोई बात नहीं फिर कभी देख लेंगे। तो सिन्हा साहब का फिर कभी अब आया है।
यशवंत सिन्हा जेटली को देख रहे हैं, कायदे से देख रहे हैं, लगातार देख रहे हैं। इसी देखा देखी में वो ऐसे बयान दे रहे हैं जिनसे उनका बुढ़ापा बेकार होता दिख रहा है। चलो समझते हैं इस बात को, सिन्हा जी अटल सरकार में मंत्री रहे हैं, वो भी वित्त मंत्री, कहा तो ये भी जाता है कि वो मोदी सरकार में भी वित्त मंत्रालय चाहते थे। लेकिन इस बार दाल नहीं गली तो किनारे हो गए, या कर दिए गए। यही बात उनको शूल की तरह चुभ रही थी। ये हम नहीं कह रहे हैं ये ज्ञान सोशल मीडिया से मिला है। अब जब उन्होंने मौका देखा तो कर दिया हमला, पुरानी कसर निकालने का मौका आपको मिले तो आप जाने देंगे। ये मौका सिन्हा को मिला अर्थ व्यवस्था में गिरावट के संकेत से।
यहीं पर सिन्हा ने सरकार को लपेटे में ले लिया। एक के बाद एक हमला, बयानों के भाले छोड़ना, यहां तक कि उन्होंने अमित शाह के बेटे के मामले पर भी बीजेपी को लपेट दिया। यार ये क्या कर दिया, देखा देखी तो जेटली से चल रही थी, अमित शाह के बेटे जय शाह के मामले को उठा कर सिन्हा ने कहा कि बीजेपी ने अपने उच्च नैतिक आदर्श खो दिए हैं। लो अब बात आदर्शों तक पहुंच गई है, राजनीति में कोई आदर्श की बात करेे तो वैसे ही अच्छा नहीं लगता है, सिन्हा जी तो अपनी पुरानी कसर निकालने के लिए इन भारी शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। फिलहाल बुढ़ापा तो इन्होंने अपना खराब कर लिया है, जैसा की सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है। अब पार्टी में इनकी कोई जगह नहीं बची, निकाला नहीं जा रहा है वही गनीमत है। देखो ये सारा ज्ञान सोशल मीडिया से मिला है, इसको दिल पर मत लेना, जवानी से लेकर बुढ़ापे तक राजनीति तो हर कोई किसी न किसी रूप में करता ही है। इस लेख का मकसद किसी की भावनाओं को आहत करनाा नहीं है। (लिखना पड़ता है)