रोहिंग्याओं के हमदर्दों, चीन में भी इस्लाम खतरे में है, कुछ तो बोलो !

चीन में उइगर मुस्लिमों की जो हालत है क्या उस से इस्लाम खतरे में नहीं है। ये समझना होगा कि रोहिंग्याओं के मसले पर बोलने वाले कहां छिप गए हैं।

New Delhi, Oct 12: कभी कभी दिमाग में न चाहतेे हुए भी तुलनात्मक सवाल आ ही जाते हैं। ये सभी के साथ होता होगा। अब रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे को ही ले लेते हैं. रोहिंग्योओं के मसले पर केंद्र सरकार ने कहा कि वो देश की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं लिहाजा उनके शरण नहीं दी जा सकती है। सरकार का एक मत है, उसने विचार करने के बाद ये फैसला लिया होगा। लेकिन इस फैसले का सियासी विरोध शुरू हो जाता है। रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में नेेता सामने आने लगते हैं। तो यहीं पर तुलनात्मक सवाल दिमाग में खड़े होते हैं। सवाल ये है कि दुनिया भर में मुसलमानों की हालत को लेकर रोने वाले लोग चीन में उइगर मुसलमानों की हालत पर जुबान क्यों नहीं खोलते हैं।

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चीन में जिस तरह से उइगर मुसलमानों के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार होता है वो बेहद शर्मनाक है। कई मूलभूत अधिकार जो एक सामान्य इंसान के पास होते हैं वो भी उइगर मुसलमानों को हासिल नहीं हैं। उनके नमाज पढ़ने पर पाबंदी है, वो सामान्य चीनी नागरिकों की तरह नहीं रह सकते हैं। मस्जिद पर पाबंदी है। कुल मिलाकर चीन में भी इस्लाम खतरे में हैं। मगर ताज्जुब इस बात का होगा कि रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर सामने आने वाले दुनिया भर के नेता, NGO उइगर मुस्लिमों की हालत पर सन्नाटा मार जाते हैं। इस सवाल का जवाब खोजने से नहीं मिलता है, लेकिन समझनने की कोशिश करेंगे तो मिल जाएगा।

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आज कल एक शब्द का इस्तेमाल बहुत किया जाता है। सेलेक्टिव प्रोटेस्ट, जी हां इसका अर्थ ये हुआ कि आप अपनी पसंद का कोई मुद्दा चुन लें और उस पर विरोध जताएं, भले ही उसी तरह का दूसरा मुद्दा आप न उठाएं, लेकिन जहां पर फायदा हो रहा है वहां पर उठाएं। यही कारण है कि चीन के उइगर मुसलमानों की हालत पर कोई बोलने को तैयार नहीं होता है। पहली बात तो ये है कि चीन फिलहाल दुनिया में एक महाशक्ति के तौर पर स्थापित हो रहा है। उसके सामने मुंह खोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती है। दूसरा जो भी मुस्लिम देश हैं दुनिया में वो चीन से पंगा नहीं लेना चाहते हैं। चीन का साफ कहना है कि वो अपनी आंतरिक सुरक्षा के लिए जो भी करना होगा वो करेगा। उसके ऐसा करने से इस्लाम खतरे में नहीं आता है।

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चीन में उइगर मुसलमानों की हालत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं। 18 अक्टूबर से चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की कांग्रेस शुरू हो रही है। इस से पहले उइगर मुसलमानों के लिए कड़े नियम बना दिए गए हैं। वो देश के किसी भी होटल में नहीं रुक सकतेे हैं। ऐसा करने पर एक होटल मालिक पर जुर्माना भी लगा दिया गया है। शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमान बहुसंख्यक हैं। इस क्षेत्र को चीन अपने हथियारों की टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल करता है। जाहिर है कि उसके लिए उइगर मुसलमानों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं है। उसका मानना है कि देश में आतंकवाद और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए उइगर मुसलमान ही जिम्मेदार हैं। अब आप सोचिए कि चीन में इस्लाम खतरे में है लेेकिन सेलेक्टिव नाम की भी कोई चीज होती है।