पाकिस्तान सरकार आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ सबूत देेने में डर क्यों रही है?

पाकिस्तान की सरकार को आतंकी हाफिज सईद से डर लगता है, यही कारण है कि वो कोर्ट में उसके खिलाफ सबूत पेश नहीं कर रही है, इस से उसकी नजरबंदी खत्म हो जाएगी.

New Delhi, Oct 12: हाफिज सईद, ये आतंक का दूसरा नाम है, जिस शख्स को भारत में मोस्ट वॉन्टेड कहा जाता है वो पाकिस्तान के शहरों में आराम से घूमता है, भारत केे खिलाफ भड़काऊ भाषण देता है, उसे पाक में वो दर्जा हासिल है जो वीआईपी लोगों को मिलता है। मतलब ये ह कि आतंकी हाफिज को पाकिस्तान में बाकायदा इज्जत के साथ देखा जाता है। अब जब इतनी इज्जत  है तो उसे नजरबंद क्यों किया गया है। ये पाकिस्तान न कन्फ्यूज कर देता है, वो आतंकवाद को समझता भी है या नहीं। अब ये देखिए कि किस तरह से पाकिस्तान की हाईकोर्ट ने किस तरह से पाक सरकार को फटकार लगाई है। आतंकी सईद के खिलाफ सबूत नहीं पेश करने को लेकर।

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पाकिस्तानी हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर सरकार हाफिज सईद के खिलाफ सबूत नहीं पेश कर पाती है तो उसे नजरबंद रखने का क्या फायदा है. उसकी नजरबंद की अवधि को बढ़ाया नहीं जाएगा। उसे रद्द कर दिया जाएगा। यहां पर ये जानकारी दे दें कि हाफिज 31 जनवरी से नजरबंद है, उस पर भड़काऊ भाषण का आरोप है। जमात-उद-दावा चीफ के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी कोर्ट ने की थी। अब ये समझना मुश्किल नहीं है कि पाकिस्तान की सरकार सईद के खिलाफ सबूत क्यों नहीं दे रही है। इसके जरिए पाकिस्तान की सरकार एक साथ दो निशाने साध रही है। ये तो साफ हैै कि पाकिस्तान आतंकियों की मदद करता है। हाफिज के नजरबंद होने के बाद पाक पर आतंकी संगठनों का दबाव काफी बढ़ गया है।

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उसको नजरबंद करने के कारण सरकार पर दबाव पड़ रहा है, लेकिन दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को ये भी दिखाना है कि वो आतंकवाद के खिलाफ एक्शन ले रहा है। हाफिज को नजरबंद करना दुनिया की आंखों में धूल झोंकने जैसा ही था। सूत्रों का कहना है कि नजरबंदी के दौरान हाफिज को सारी सुविधाएं मिली हुई हैं। वो अपने मन से अपना संगठन चला रहा है। तो ये बात तो साफ है कि पाकिस्तान की पूंछ सुधरने वाली नहीं हैं। भारत ने हाफिज सईद के खिलाफ जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय मंचों से हमला किया है, वो भी पाकिस्तान के लिए गले की हड्डी बन गया है। पाकिस्तान के सामने दो चुनौतियां हैं। वो हाफिज के खिलाफ एक्शन भी नहीं ले सकता है और ये भी दिखाना है कि वो आतंक पर कार्रवाई कर रहा है।

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ऐसे में पाक सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है। हाफिज की नजरबंदी को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान सबूत ही पेश नहीं किए गए। इसी पर हाईकोर्ट ने कहा कि अगर सबूत पेश नहीं किए गए तो हाफिज की नजरबंदी को रद्द किया जा सकता है। केवल प्रेस की क्लिपिंग के आधार पर किसी को इतने लंबे समय तक नजरबंदी करके नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने ये भी मान लिया है कि सरकार के पास आतंकी हाफिज के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। हाफिज मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है, भारत कई बार कह चुका है कि पाकिस्तान हाफिज केे खिलाफ कार्रवाई करे, भारत ने तमाम सबूत भी सौंपे हैं। वही सबूत अगर पाक अदालत में पेश किए तो उसे वहां पर उम्रकैैद हो जाए। लेकिन पाक सरकार तो डरती है।