गुजरात विधानसभा चुनाव के सियासी ‘दंगल’ में बीजेपी की बैचेनी, कुछ कहते हैं मोदी के दौरे
गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की बैचेनी बढ़ गई है। पार्टी ने अपने सभी रणबांकुरों को चुनाव मैदान में उतार दिया है। मुकाबला दिलचस्प है।
New Delhi Oct 16 : बेशक अब तक गुजरात विधानसभा चुनाव का एलान ना हुआ हो लेकिन, हर किसी को मालूम है कि ये चुनाव इसी साल दिसंबर से पहले हो जाएंगे। दिवाली के बाद चुनाव आयोग गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान भी कर सकता है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के भीतर गुजरात इलेक्शन को लेकर काफी बैचेनी देखने को मिल रही है। दरअसल, पिछले 15 सालों में ये पहला मौका होगा जब गुजरात के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होंगे। अमित शाह भी गुजरात से निकलकर केंद्र की राजनीति में आ चुके हैं। गुजरात इलेक्शन बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार गुजरात के दौरे पर हैं। पिछले एक साल में वो 14 बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने इस वक्त सबसे बड़ा संकट करिश्माई चेहरे का है। गुजरात के दो सबसे बड़े करिश्माई चेहरे रहे हैं एक खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे अमित शाह। लेकिन, दोनों ही नेता इस वक्त गुजरात की राजनीति से बाहर हैं। दोनों के ही कंधों पर पूरे देश को संभालने की जिम्मेदारी है। नरेंद्र मोदी सरकार में रहकर देश को संभाल रहे हैं। तो अमित शाह बीजेपी के नजरिए से पार्टी की देशव्यापी रणनीति बना रहे हैं। इसमें गुजरात भी शामिल हैं। बीजेपी के सामने इस वक्त इस बात का भी संकट है कि वो गुजरात विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा किसे बनाए। हालांकि इस रेस में अभी सबसे आगे विजय रूपाणी ही चल रहे हैं। लेकिन, वो करिश्मा, वो तेज उनके व्यक्तित्व में नहीं है, बीजेपी को गुजरात में चाहिए।
गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की चिंता एंटी इंकबेंसी को लेकर भी है। गुजरात में करीब दो दशकों से बीजेपी का ही राज है। जाहिर है इतने लंबे वक्त के राज में उसे लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है। ऐसे में राज्य में एंटी इंकबेंसी का माहौल भारतीय जनता पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकता है। दूसरी ओर पाटीदारों के तेवर भी काफी गरम हैं। हार्दिक पटेल पाटीदार समुदाय के लोगों को लेकर अपनी ताकत पहले ही दिखा चुके हैं। राज्य में करीब बीस फीसदी आबादी पाटीदारों की हैं। जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं। ऐसे में पाटीदारों की नाराजगी को शांत कराना भी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर राज्य का दलित भी बीजेपी से नाराज बताया जा रहा है।
गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस भी काफी आक्रामक तेवर में नजर आ रही है। बीजेपी बेशक ये दिखाने की कोशिश करे कि वो राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर कूल है। लेकिन, ऐसा है नहीं। तभी तो शायद भारतीय जनता पार्टी ने अभी से अपने सभी स्टार प्रचारकों को गुजरात में उतार दिया। बीजेपी का हिमाचल से ज्यादा फोकस गुजरात पर है। इस बा का गुजरात विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद भी अपने गुजरात दौरे बढ़ा दिए हैं। इस साल हुए उनके सभी दौरों को गुजरात इलेक्शन से ही जोड़कर देखा जा रहा है। आगे के दौरे तो विशुद्ध तौर पर चुनावी ही होंगे।