क्या कहें मी लॉर्ड ? पटाखों पर प्रतिबंध है दिवाली मनी नहीं है फिर भी दिल्ली प्रदूषित है
दिल्ली-एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। पर असर विपरीत हैं।
New Delhi Oct 19 : आज दिवाली का शुभ त्योहार है। दिल्ली-एनसीआर में शायद ये पहला मौका होगा जब दिवाली के मौके पर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि ‘नो क्रेकर्स’ की मुहिम हर साल छेड़ी जाती है, बहुत से लोग इस मुहिम में जुड़ते भी थे और पटाखों को जलाने से परहेज करते थे। लेकिन, इस बार तो कानूनी तौर पर ही पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ये देखना चाहता है कि अगर इस बार दिल्ली एनसीआर में दिवाली के दिन पटाखे नहीं जलाए जाते हैं तो वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का स्तर क्या रहता है। लेकिन, अदालत के इंतजार से पहले ही इसका परिणाम सामने आ गए हैं। पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध और दिवाली मनाने से पहले ही वायु प्रदूषण के आंकड़े सामने आ चुके हैं। जो काफी डराने वाले हैं। आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है।
इसमें ना तो पटाखों के धुओं का मिश्रण हैं और ना ही धमाकों का। ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर दिल्ली की आबोहवा साफ कैसे होगी। दिवाली से महज एक दिन पहले प्रदूषण विभाग की ओर से लिए गए जो आंकड़े सामने आए हैं वो वाकई बहुत चौंकाने वाले हैं। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी ने शहर में दस स्टेशनों पर एयर क्वालिटी मापने की व्यवस्था की हुई है। आंकड़े ये बता रहे हैं कि दिवाली से पहले ही एयर पॉल्युशन ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से करीब नौ गुना ज्यादा बढ़ गया है। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमेटी ने ये आंकड़े श्रीनिवासपुरी, वजीरपुर, ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम, करणी सिंह स्टेडियम, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, ITI जहांगीरपुरी, आनंद विहार बस टर्मिनल, मंदिर मार्ग, पंजाबी बाग और आरके पुरम से लिए हैं।
दिल्ली के वजीरपुर की आबोहवा सबसे प्रदूषित है। वो भी तक जब कहीं पर भी पटाखे नहीं जलाए गए हैं। दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध की वजह से छोटी दिवाली भी सिर्फ दियों से ही रोशन की गई थी। लेकिन, उत्तरी दिल्ली के वजीरपुर में जब हवा की गुणवत्ता मापी गई तो पता चला कि यहां पर वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य से नौ गुना तक ज्यादा पहुंच चुका है। वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली का आनंद विहार बस अड्डा दूसरे नंबर पर रहा। यहां की आबोहवा भी वजीरपुर की तरह ही बहुत खराब थी। दोनों ही जगहों पर वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर में मामूली अंतर था। इन इलाकों के अलावा पॉश इलाकों में भी एयर क्वालिटी इतनी खराब थी कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था।
इंडिया गेट से लेकर आरके पुरम तक के इलाके में वायु प्रदूषण सामान्य से सात गुना ज्यादा मापा गया। इसका मतलब साफ है कि वायु प्रदूषण बिना पटाखों के ही सातवें आसमान पर है। हां इतना जरूर है कि अगर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध ना लगा होता तो वायु प्रदूषण का ये स्तर पता नहीं कहां जाकर थमता। लेकिन, सोचने वाली बात ये है कि जब दिल्ली में पटाखे जल नहीं रहे हैं तो फिर आबोहवा कैसे खराब हो रही है। इस वक्त जरूरत वायु प्रदूषण के असली जड़ को पकड़ने की है जो तामपान, हवा का रूख और हरियाणा-पंजाब में जलाई जाने वाली फसलों की पराली के प्रदूषण पर भी निर्भर करता है। सिर्फ पटाखे ही प्रदूषण नहीं फैलाते हैं। गाडि़यों से निकलने वाला धुआं भी हर सेकेंड हवा को जहरीला बना रहा है। जो दिवाली के पटाखों की तरह साल में एक बार नहीं निकलता है बल्कि हर दिन हर सेकेंड निकलता है।