अयोध्या में ‘योगी’ की दीपावली क्या कारसेवकों के रक्तरंजित ‘बलिदान’ के प्रति श्रद्धांजलि है ?

उत्‍तर प्रदेश में योगी आदित्‍यनाथ की सरकार ने ब्राण्ड- अयोध्या (Brand-Ayodhya) को हाइप (Hype) करने में अपनी पूरी ताक़त झोंकी।

New Delhi Oct 19 : अयोध्या में 30 जनवरी,1990 को चित्थकार मची थी, सरजु में राम भक्तों का ख़ून बहा था।धर्माँध्य सरकार की वोट पाने की ‘लालसावश’ चली थीं, पुलिस की गोलियाँ, एक नेता ‘जी’ की ‘मतसंग्रह’ की भ्रष्ट मति और छद्म धर्मनिरपेक्षता के शिकार हुए थे, निहत्थे कारसेवक …और जानते हो उस नेता ने गोली चलवा कर गर्व महसूस किया था और कहा था कि’ गोली न चलवाता तो मुसलमानों का विश्वास कैसे जीतता, मुसलमानों की ख़ातिर 16 क्या 30 कारसेवकों की भी मरवा देता’। मैं फ़ैज़ाबाद/अयोध्या में आयुक्त रहा हूँ और मैंने अयोध्या के हर गली-कूँचे को पैदल चल कर देखा है। तब राम भक्त कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे और उन्होंने मुझे वहाँ भेजा था। रु. 55 करोड़ अयोध्या के विकास के लिए दिए थे।

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मैंने मौक़े पर खड़े होकर काम कराया था, किसी को एक पैसा भी खाने नहीं दिया था। लेकिन बाद में इस भी कुछ ऐसी सरकारें आयीं, जिन्हें अयोध्या के नाम से जैसे नफ़रत सी थी या फिर वे अयोध्या को भूल गए थे या फिर अयोध्या के नाम लेने से उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि को धक्का लगता था। कुछ ने दिखावे ज़रूर कुछ करने का प्रयास किया लेकिन किसी भी सरकार ने कोई ख़ास काम नहीं किया। आज भी अयोध्या विकास के लिए चीख़ रही है। मैंने गत विधानसभा चुनाव से पूर्व ‘सरकारें जवाब दें कि अयोध्या उपेक्षित क्यों?’ शीर्षक से एक गोष्ठी अयोध्या के साकेत महाविद्यालय में की थी और सभी सरकारों से जवाब माँगा था कि राम की नगरी की इतनी उपेक्षा का क्या कारण है, जबकि अयोध्या के नाम पर कितनी ही सरकारें बनी और कितनी ही गिरीं।

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लेकिन अब लगता है कि अयोध्या के दिन बहुरने वाले हैं। आग़ाज़ दीपावली मना कर किया जा रहा है। अयोध्या के लोगों का आत्मसम्मान वापिस लोटे, यह प्रयास किए जा रहे हैं। कौन हिंदू नहीं चाहेगा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने और राम की भव्य मूर्ति लगे, प्रसन्नता की बात है। लेकिन अयोध्या एक बहुत बड़ा नाम है। यहाँ पर विश्वभर से पर्यटक आना चाहते हैं लेकिन इन्फ़्रस्ट्रक्चर के नाम पर यहाँ कुछ भी नहीं है। परिक्रमा कर्ताओं के लिए समुचित सुविधाएँ नहीं हैं। ये सब भी चाहिए। अयोध्या को एक विश्वस्तरीय ‘धार्मिक’ पर्यटक स्थल की सुविधाएँ चाहिए। उत्तर प्रदेश में आने वाले कुल धार्मिक पर्यटकों का 65% बनारस व बाक़ी मथुरा/बृन्दावन में जाते हैं। अयोध्या में केवल स्थानीय ‘low income’ ग्रामीण पर्यटक अधिक आते हैं। अंतरराष्ट्रीय पर्यटक अयोध्या आना चाहते है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में नहीं आ पाते। पर्यटन का विकास अयोध्या में युवाओं के लिए रोज़गार का साधन बन सकता है।

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अब जैसी तवज्जो आज उत्तर प्रदेश सरकार व ख़ासकर ‘योगी’ जी की है, उससे आशा तो है कि अबकि बार कुछ ख़ाली दिखावे से इतर अवश्य कुछ विकास होगा। बुधवार के आयोजन में उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग ने दो बड़ी ‘Event Management’ कम्पनियों को काम दिया है, इतना पैसा ख़र्च हुआ है तो आयोजन तो अच्छा हो ही जाएगा। यह भी सच है कि इस आयोजन के साथ योगी सरकार ने BRAND-AYODHYA के विकास की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। इस आयोजन का आगे असर क्या पड़ेगा यह पता चलने में वक्त लगेगा लेकिन फिलहाल जिस तरह का उत्साह अयोध्या में दिख रहा है, वह अच्छा है। मुझे व्यक्तिगत रूप से सुखद लग रहा है क्यों कि मैं बड़े मनोभाव से अयोध्या से जुड़ा रहा हूँ। हिंदू आस्था का प्राण है, राम का नाम। इसी लिए ‘राम नाम’ सुखद लगता है। राम का नाम, गुण तथा चरित्र अत्यंत प्रेममुदित है।