गुजरात चुनाव में ‘लंगड़ी कांग्रेस’ को चाहिए हार्दिक, अल्‍पेश और जिग्‍नेश की बैसाखी का सहारा

गुजरात चुनाव को लेकर कांग्रेस ने बड़ा दांव चला है। कांग्रेस पार्टी अपना मुक्‍का मजबूत करने के लिए चाहती है कि बीजेपी के सारे विरोधी पंजे के तले आ जाएं।  

New Delhi Oct 22 : कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को ये बात भली-भांति मालूम है कि अगर पूरी की पूरी पार्टी भी सिर के बल खड़ी हो जाए तो वो अकेले अपने दम पर गुजरात का विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकती है। कांग्रेस पार्टी को गुजरात चुनाव जीतने के लिए सियासी बैसाखियों की जरूरत है। शायद इसीलिए कांग्रेस पार्टी की ओर से गुजरात चुनाव से पहले बैसाखियों का खुला आवेदन निकाल दिया गया है। कांग्रेस पार्टी चाहती है कि जिस तरह से बिहार में बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन हुआ था और सभी बीजेपी विरोधी दलों ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था उसी तरह से गुजरात में भी उसे तीनों युवा नेताओं का साथ मिले। कांग्रेस पार्टी की ओर से हार्दिक पटेल, जिग्‍नेश मेवाणी और अल्‍पेश ठाकोर को एक साथ लाने के लिए खुला निमंत्रण भेजा गया है।

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कुछ इसी तरह का काम कांग्रेस पार्टी ने उत्‍तर प्रदेश के चुनाव में भी किया था। कांग्रेस पार्टी यूपी के चुनाव में जिस समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की सरकार को कोसती रही चुनाव से ठीक पहले उससे गठबंधन कर उसका गुणगान शुरु कर दिया था। जबकि शुरुआत में कांग्रेस ने यूपी में 28 साल बेहाल का नारा दिया था। मजह 28 दिन के भीतर ही ये नारा बदल गया था। हालांकि राज्‍यों में गठबंधन का कांग्रेस का फार्मूला बिहार में भी फेल हुआ और यूपी में भी धराशायी हुआ। इसके बाद भी गुजरात में उसे हार्दिक पटेल, जिग्‍नेश मेवाणी और अल्‍पेश ठाकोर से उम्‍मीदे हैं। हार्दिक पटेल पाटीदार आंदोलन के अगुवाई करते रहे हैं। जबकि जिग्‍नेश मेवाणी राज्‍य में दलितों के अत्‍याचार का मुद्दा मुखर होकर उठाते हैं।

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वहीं अल्‍पेश ठाकोर ओबीसी एससी-एसटी एकता मंच की अगुवाई करते हैं। तीनों ही नेताओं की अपनी-अपनी राजनीतिक महात्‍वाकांक्षाएं हैं। सबसे दिलचस्‍प बात ये है कि तीनों ही युवा नेताओं की आपस में नहीं बनती है। फिर भी कांग्रेस को इस बात की उम्‍मीद है कि अलग-अलग दिशा में काम करने वाले तीनों ही ध्रुव एक ही छतरी के नीचे आएंगे। इसके अलावा गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी की ओर से सार्वजनिक तौर पर बीजेपी विरोधी दूसरे नेताओं को भी साथ आने का न्योता भेजा गया है। जनता दल यूनाइटेड के नेता छोटू भाई वसावा को भी साथ कांग्रेस ने निमंत्रण भेजा है। वैसे तो जनता दल यूनाइटेड का बीजेपी के साथ गठबंधन है। लेकिन, छोटू भाई वसावा शरद यादव के चेले हैं।

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ऐसे में गुजरात चुनाव में वो सौ फीसदी कांग्रेस का ही साथ देंगे। छोटू भाई वसावा ने राज्‍यसभा चुनाव में भी पार्टी लाइन से हटकर अहमद पटेल को वोट दिया था। गुजराज इलेक्‍शन में एनसीपी का भी साथ कांग्रेस को मिलेगा। हालांकि गुजरात में ना तो एनसीपी का कोई खास दबदबा है और ना ही जेडीयू का। उससे ज्‍यादा समर्थन तो गुजराज चुनाव के लिए हार्दिक पटेल, जिग्‍नेश मेवाणी और अल्‍पेश ठाकोर ने जुटा लिया है। लेकिन, ये तीनों युवा नेता भी इस बात को बहुत ही अच्‍छी तरह से जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी अपने फायदे के लिए उनका इस्‍तेमाल कर सकती है। इसलिए गुजरात चुनाव में हर नेता और हर पार्टी बहुत ही फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। सियासी नफा-नुकसान की पूरी बिसात गुजरात चुनाव में बिछी हुई नजर आ रही है। देखिए कौन सी चाल कहां चली जाती है।