जीएसटी पर उलटा पड़ गया वित्‍त मंत्रालय का गणित

हसमुख अधिया अब जीएसटी लागू होने के पौने चार महिने बाद कह रहे हैं कि छोटे और मझौले व्यापारी बड़ी मुसीबतों का सामना कर रहे हैं।

New Delhi Oct 24 : राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने जीएसटी (एकीकृत कर) के बारे में जो कहा है, उससे आप किस नतीजे पर पहुंचते हैं? हम नतीजों के बारे में विचार करें, उसके पहले हमें दो बातों पर ध्यान देना चाहिए। पहली तो यह कि अधिया हमारी सरकार के राजस्व सचिव हैं, कोई विरोधी दल के नेता नहीं है। दूसरी यह कि वे गुजरात सेवा के अफसर हैं और नरेंद्र मोदी के खास विश्वासपात्र हैं। ऐसे अधिया अब जीएसटी लागू होने के पौने चार महिने बाद कह रहे हैं कि छोटे और मझौले व्यापारी बड़ी मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। याने जीएसटी ने उनकी कमर तोड़ दी है। व्यापार में जबर्दस्त मंदी आ गई है और जितना टैक्स सरकार के खजाने में आ जाना चाहिए था, वह भी नहीं आया याने जीएसटी का जहाज कभी किनारे से टकरा रहा है तो कभी तूफान से!

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वित्त मंत्रालय का गणित भी उलट गया। उसे आशा थी कि अगस्त माह तक कम से कम 68 लाख व्यापारी टैक्स जमा करवाएंगे लेकिन सिर्फgst1 39 लाख ने ही करवाया। पिछले साढ़े तीन माह में नई कर-व्यवस्था में पांच बड़े परिवर्तन हो गए हैं। वे नोटबंदी में रोज़-रोज़ होने वाले परिवर्तनों से कम हैं लेकिन वे किस बात के सूचक हैं? क्या इसके नहीं कि यह सरकार जुबान तो खूब चलाती है लेकिन दिमाग नहीं चलाती? इस सरकार का ही क्या, सभी नेताओं का यही हाल है।

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नोटबंदी के लिए अकेले मोदी की जिम्मेदारी थी लेकिन जीएसटी कौंसिल में तो सभी प्रमुख पार्टियां के नेता हैं। इसे लागू करते वक्त उन्होंने hasraj adhiyaइसका कुछ आगा-पीछा तो सोचा होता! ऐसा लगता है कि हमारे नेता नौकरशाहों के नौकर हैं। इस बार नौकरशाहों ने भी नेताओं को गच्चा दे दिया। गुजरात के चुनाव से घबराए हुए प्रधानमंत्री भाजपा के सबसे पक्के समर्थक छोटे व्यापारियों के घावों पर मरहम उंडेल रहे हैं और अरबों रु. के तोहफे भेंट कर रहे हैं। उन्हें शायद मनचाहा फायदा मिल जाए लेकिन इस सारी उठा-पटक और सरकारी शीर्षासनों से संदेश क्या निकल रहा है?

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क्या यह नहीं कि हमने बंदरों के हाथ में उस्तरा दे दिया है? जिससे बाल सफा करना था, उससे गाल सफा किया जा रहा है। नोटबंदी और gst2एकीकृत कर चमत्कारी कदम सिद्ध हो सकते थे लेकिन हमारे नौसिखिए नेताओं (सभी दलों के) की लापरवाही ने ऐसा माहौल खड़ा कर दिया है कि जो अगली सरकार आएगी, वह भी कोई बड़ी पहल करने से झिझकेगी। (वरिष्‍ठ पत्रकार डॉ वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं। जरूरी नहीं है कि ISN इन विचारों से सहमत हो।)