ताजमहल में था भगवान शिव का मंदिर, शिव चालीसा पर क्‍यों हो रहा है विवाद ?

ताजमहल पर इस वक्‍त जबरदस्‍त सियासी घमासान मचा हुआ है। कभी इसे मुगल शासकों की क्रूरता की निशानी बताई जाती है तो कभी भगवान शिव का मंदिर।

New Delhi Oct 25 : ताजमहल पर इतना सियासी घमासान आज तक नहीं देखा जितना इन दिनों मचा हुआ है। कोई इसे मुगल शासकों की क्रूरता की निशानी बताता है तो कोई कहता है कि शाहजहां ने मुमताज पर किए अत्‍याचारों के बाद लोगों के गुस्‍से को ठंडा करने के लिए इसे बनवाया था। तो कोई कह रहा है कि दरअसल, ताजमहल भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था। जिस पर मुगल शासकों ने कब्‍जा कर लिया था। ये सारी ही बातें इतिहास के पन्‍नों में दर्ज हैं। एक ही तथ्‍य को लेकर अलग-अलग लेखक हैं अलग-अलग इतिहास हैं। ना जाने किसका इतिहास सच है। हकीकत कुछ भी हो लेकिन, इस वक्‍त ताजमहल पर जमकर सियासी घमासान मचा हुआ है। अभी सोमवार को ही ताजमहल के बाहर शिव चालीसा भी की गई।

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इसके बाद हंगामा और बढ़ गया है। दरअसल, सोमवार को हिंदू युवा वाहिनी के कुछ कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के बाहर शिव चालीसा का पाठ किया था। जिसके बाद विवाद बढ़ गया है। भारतीय जनता पार्टी के फायर ब्रांड नेता विनय कटियार सवाल करते हैं कि आखिर ताजमहल में शिव चालीसा पर विवाद क्‍यों हो रहा है। इसमें क्‍या गलत है। विनय कटियार कहते हैं कि ताजमहल में पूजा करना गलत नहीं है। वैसे भी पूजा बाहर की गई है अंदर नहीं हुई है। विनय कटियार का कहना है कि अब ताजमहल के बाहर चाहें कोई हनुमान चालीसा पढ़े या फिर शिव चालीसा लोगों को क्‍यों दिक्‍कत हो रही है। विनय कटियार भी ये दावा करते हैं कि असल में ताजमहल पुराने राजाओं का महल और मंदिर हुआ करता था।

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लेकिन, शाहजहां ने इस पर कब्‍जाकर इसे कब्रिस्‍तान बना दिया। वो कहते हैं कि मुमताज को तो पहले औरंगाबाद में दफनाया गया था। बाद में ताजमहल में दफनाया गया। विनय कटियार डंके की चोट पर कहतेे हैं कि इसकी इमारत तो अच्‍छी है लेकिन, वो ताज महल नहीं बल्कि तेजो मंदिर है। लोगों को ये बात समझते हुए ही व्‍यवहार करना चाहिए। विनय कटियार का कहना है कि ताजमहल के भीतर कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो ये साबित करते हैं कि यहां भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था। यहां पर एक जगह से पानी भी गिर रहा है और पानी सिर्फ भगवान शिव के मंदिर में ही गिरता है। इतना ही नहीं ताजमहल में नाग और धतूरा की भी आकृतियां हैं। अष्टकोणीय गुंबद हैं जो मस्जिदों में नहीं होते हैं।

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विनय कटियार का कहना है कि तकलीफ इस बात की है कि इसका निर्माण किसी और राजा ने कराया लेकिन, नाम शाहजहां का हो रहा है। शाहजहां ने इसे खूबसूरत कब्रिस्‍तान बना दिया था। उनका कहना है कि ये सिर्फ पर्यटन के लिहाज से एक विश्व प्रसिद्ध इमारत है। लेकिन, इसका कोई भी सांस्‍कृतिक सरोकार नहीं है। ना ही ये राष्‍ट्रीय धरोहर है। ये बात अलग है कि इसे पर्यटन की दृष्टि से राष्‍ट्रीय धरोहर मान लिया गया हो। उनका कहना है कि जो लोग चाहें इसे ताज महल माने लेकिन, हमारे जैसे लोग तो इसे भगवान शिव का मंदिर ही मानेंगे। लेकिन, अब तो ये कब्रिस्‍तान बन गया है। एक मुगल शासक ने मंदिर को कब्रिस्‍तान बना दिया। इस विवाद के बीच यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भी 26 अक्‍टूबर को ताजमहल जा रहे हैं।