गुजरात और हिमाचल के चुनाव में पूरे के पूरे विपक्ष की लुटिया डुबो देगा नोटबंदी का विरोध
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले नोटबंदी का विरोध कांग्रेस समेत पूरे के पूरे विपक्ष को बहुत भारी पड़ सकता है जानिए क्यों ?
New Delhi Oct 27 : पिछले साल आठ नवंबर को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का एलान किया है। रात आठ बजे वो टीवी पर आए थे और देश की जनता को संबोधित करते हुए बताया था कि रात बारह बजे के बाद से एक हजार और पांच सौ के पुराने नोट अमान्य हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के इस फैसले के बाद देश में मानो भूचाल सा आ गया था। राजनैतिक दलों के पसीने छूटने लगे थे। सबसे बड़ी मुश्किल उन लोगों के सामने थी जिनके पास करोड़ों रूपए का कैश था और उन्हें पता था कि चार घंटे बाद ये रूपया रद्दी में तब्दील हो जाएगा। लेकिन, एक बात तो माननी होगी आम जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले में उनके साथ खड़ी रही। क्योंकि आम जनता को एहसास हो चुका था कि मोदी के भीतर कड़े फैसले लेने की कूबत है। वो ही ब्लैक मनी का सफाया कर सकते हैं।
लेकिन, विपक्ष को नोटबंदी का फैसला ना तो उस वक्त रास आ रहा था और ना ही आज पसंद आ रहा है। नोटबंदी की टीस आज भी नेताओं के चेहरों पर साफ दिखाई पड़ती है। आठ नवंबर आने वाली है। इससे पहले कांग्रेस समेत दूसरे सभी विपक्षी दलों ने नोटबंदी के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की रणनीति बनानी शुरु कर दी है। विपक्ष नोटबंदी के खिलाफ आठ नवंबर को ब्लैक डे मनाएंगा। लेकिन, कहीं विपक्ष का ये दांव उसे उलटा ना पड़ जाए। माना जा रहा है कि नोटबंदी का विरोध गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस समेत पूरे के पूरे विपक्ष की लुटिया डुबो सकता है। नोटबंदी का विरोध विपक्ष को भारी पड़ सकता है। विपक्ष कहना है कि नोटबंदी ने लोगों का रोजगार छीन लिया। कई लोगों का व्यापार तक चौपट हो गया। लेकिन, ये हकीकत ये है या फिर सियासत इसका जवाब आप खुद तलाश सकते हैं।
दरअसल, नोटबंदी के बाद भी कई चुनाव हो चुके हैं। उस वक्त भी ये कहा जा रहा था कि मोदी के इस फैसले का असर बीजेपी की लोकप्रियता पर जरुर पड़ेगा। बीजेपी पर इसका असर तो जरूर पड़ा लेकिन, नकारात्मक नहीं बल्कि सकारात्मक। नोटबंदी के बाद चंडीगढ़ नगर निकाय के चुनाव हुए। बीजेपी की बंपर जीत हुई। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए यहां भी भारतीय जनता पार्टी रिकॉर्ड मतों से विजयी हुई। जनता ने नोटबंदी के विरोध को नकार दिया। सिर्फ यूपी ही नहीं बीजेपी ने विपक्ष के नोटबंदी के विरोध के बाद भी उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी सरकार अपनी सरकार बनाई। पंजाब इसलिए बीजेपी और अकाली दल के हाथ नहीं आया क्योंकि यहां पर अकाली दल बादल से जनता नाराज थी। गठबंधन की वजह से इसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भी भुगतना पड़ा था।
महराष्ट्र, केरल और पश्चिम बंगाल के चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी ने पहले के मुकाबले बढ़त हासिल की। चुनाव परिणामों के ये संकेत ये बताने के लिए काफी थे कि विपक्ष जिस नोट बंदी से परेशानी का ढिंढोरा पीट रहा है उसे जनता स्वीकार कर चुकी है। लेकिन, पता नहीं क्यों कांग्रेस ओर दूसरे दलों ने इन चुनाव परिणामों से भी कोई सबक नहीं लिया। विपक्ष ने नोटबंदी के साथ-साथ जीएसटी का भी विरोध शुरु कर दिया है। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि आठ नवंबर को विपक्ष की ओर से मनाया जाने वाला ब्लैक डे गुब्बारे की तरह फूट ना जाए। गुजरात तो दूर कहीं कांग्रेस हिमाचल को भी ना गंवा बैठे। जिसकी पूरी संभावनाएं बनी हुई हैं। हालिया सर्वे भी इस ओर इशारा कर रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश इस बार कांग्रेस से छिन रहा है। इंतजार कीजिए और देखिए क्या होता है।