गुजरात में विकास की बैंड बजी!

गुजरात में विकास का बैंड बज गया है इसलिए भाजपा के सारे नेता और स्टार प्रचारक गुजरात में विकास की बात नहीं कर रहे हैं।

New Delhi, Oct 30 : नोटबंदी और जीएसटी ने गुजरात को बरबादी के कगार पर ला दिया है ऊपर से विजय रूपानी के नाकारा राज ने युवाओं और महिलाओं को भी पार्टी से दूर कर दिया है। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं कि यह पहला अवसर है जब पूरा त्योहारी सीजन गुजर जाने के बाद भी गुजरात में बाज़ार नहीं सुधरा। नवरात्र के पर्व पर डांडिया और गरबा की चमक के बावजूद सोने की खरीद की चमक नहीं दिखी। जबकि वित्त मंत्री ने दो लाख तक की स्वर्ण खरीद के लिए पैन कार्ड की अनिवार्यता ख़त्म कर दी थी। न ही धनतेरस में बाज़ार चमका। ये दोनों ही बातें गुजरात के लिए अशुभ हैं क्योंकि गुजरात व्यापार पर चलता है न कि आम गुजरातियों को नौकरी की चाह होती है।

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यही कारण है कि गुजरात के वोटर में निजाम बदलने की इच्छा बलवती होती जा रही है। ऊपर से तुर्रा यह कि भाजपा अध्यक्ष अपनी जुबान को लगाम नहीं दे रहे हैं। गुजरात विधानसभा में डेढ़ सौ सीटें पा लेने के उनकी बात को सभी लोग अमित शाह का बड़बोलापन बता रहे हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री के रोड शो में भीड़ का न उमड़ना भी भाजपा के लिए चिंताजनक है। यहाँ तक कि उग्र हिन्दुत्त्व का कार्ड भी नहीं चल पा रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की सभा में भी गुजरती नहीं आए। इससे एक बात तो तय हो गई की 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव मोदी और शाह के घमंड को चूर-चूर कर देगा। पिछले 22 वर्षों से गुजरात में भाजपा का अनवरत राज चल रहा है।

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इस दौरान भाजपा ने यहाँ सारे दांव चल लिए। जातियों के गठजोड़ से लेकर पिछड़ी जातियों के अन्दर उग्र हिन्दुत्त्व पैदा किया। गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री काल के दौरान 2002 में जो कुछ हुआ उसने पटेल से लेकर कोलियों तक को भाजपा के पीछे कर दिया। इसके अलावा मोदी ने खुद को एक पिछड़ी जाति- तेली बताया। इसी का असर रहा कि माधवसिंह सोलंकी का खाम अर्थात क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी मुस्लिम गठजोड़ मात खा गया और नरेंद्र मोदी ने खाम से मुस्लिम को निकाल फेंका और बाकी का जातीय गणित अपने साथ कर लिया। लेकिन इस बार इस गठजोड़ में सेंध लग गई है। अल्पेश और जिग्नेश ने भाजपा की हवा ख़राब कर रखी है।

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पाटीदार पहले से नाराज चल रहे हैं। पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल यूँ भी भाजपा राज में प्रताड़ित रहे। शाह और पटेल इसलिए नाराज हैं क्योंकि नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापार चौपट कर दिया है। बचे 9 परसेंट ब्राह्मण वे पहले से ही मोदी द्वारा ब्राह्मणों को किनारे किये जाने से खफा हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा मध्य, दक्षिण और उत्तर गुजरात में तो किनारे चल ही रही थी ऊपर से सौराष्ट्र में पाटीदारों की नाराजगी उसे महंगी पड़ेगी। अकेले कच्छ से कुछ नहीं होने वाला। यूँ भी कांग्रेस ने अपना हमलावर प्रचार पहले से शुरू कर दिया था। राहुल गाँधी पिछले 20 दिनों से गुजरात में डेरा डाले हैं। उनके हमलावर तेवर से भाजपा रक्षात्मक हो गई है। राहुल गाँधी ने जीएसटी की जो व्याख्या की है वह पूरे गुजरात में फ़ैल गई है। अब तो सब लोग कहने लगे हैं कि जीएसटी है तो गब्बर सिंह टैक्स ही। अब गुजरात के जाल में फँस गए हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
(वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)